कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं, जिन्होंने 36 लड़ाकू विमानों की ख़रीद में अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को राफेल सौदे में भूमिका पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ जांच की मांग की और आरोप लगाया कि वह एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं जिन्होंने 36 लड़ाकू विमानों की ख़रीद में अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया.
गांधी ने जांच की मांग ऐसे समय की है जब एक दिन पहले फ्रांसीसी वेबसाइट में छपी एक ख़बर में कहा गया कि राफेल बनाने वाली कंपनी डास्सो एविएशन को भारत में अपने ऑफसेट साझेदार के तौर पर अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को ही चुनना था.
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अपने आरोपों के समर्थन में कोई साक्ष्य पेश नहीं किए.
मालूम हो कि सरकार लगातार कहती रही है कि उसकी डास्सो द्वारा रिलायंस डिफेंस को चुनने में कोई भूमिका नहीं है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की फ्रांस की तीन दिन की यात्रा को सरकार द्वारा राफेल सौदे पर पर्दा डालने की कोशिश का हिस्सा बताया.
गांधी ने संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया, ‘रक्षा मंत्री अचानक फ्रांस क्यों गई हैं? क्या आपात स्थिति है?’
उन्होंने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि प्रधानमंत्री भ्रष्ट हैं. भारत के प्रधानमंत्री एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं.’
कांग्रेसी अध्यक्ष ने कहा कि मोदी भ्रष्टाचार से लड़ने के वादे पर सत्ता में आए थे. वह देश के युवाओं को बताना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.
बुधवार को फ्रांस की खोजी वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ ने डास्सो एविएशन के आंतरिक दस्तावेज़ के हवाले से ख़बर दी थी कि विमानन कंपनी 36 राफेल लड़ाकू विमानों का क़रार करने के लिए समझौते के तहत रिलायंस डिफेंस के साथ संयुक्त उपक्रम शुरू करने के लिए मजबूर थी.
हालांकि डास्सो एविएशन ने एक बयान में कहा कि उसने ‘भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझेदारी करने का फैसला स्वतंत्र रूप से किया.’
पिछले महीने, ‘मीडियापार्ट’ ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से कहा था कि फ्रांस के पास डास्सो के लिए भारतीय सहयोगी कंपनी के चयन को लेकर कोई विकल्प नहीं था और भारत सरकार ने फ्रांसीसी विमानन कंपनी के सहयोगी के रूप में भारतीय कंपनी के नाम का प्रस्ताव रखा था.
इस ख़बर ने राजनीतिक भूचाल ला दिया था और कांग्रेस ने सरकार पर हमले तेज़ कर दिए थे और सरकार ने मज़बूती से इन आरोपों को ख़ारिज किया था.
डास्सो और रिलायंस डिफेंस विमान के उपकरण बनाने तथा राफेल सौदे की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त उपक्रम गठित करने की घोषणा कर चुके हैं.
भारत की ‘ऑफसेट’ नीति के अनुसार, विदेशी रक्षा कंपनियां उपकरणों, कलपुर्ज़ों की ख़रीद या अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने के लिए कुल अनुबंध कीमत की कम से कम 30 प्रतिशत राशि भारत में ख़र्च करेगी.
कांग्रेस इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगा रही है और उसका कहना है कि सरकार हर विमान 1670 करोड़ रुपये से अधिक की राशि में ख़रीद रही है जबकि संप्रग सरकार ने 126 राफेल विमानों की ख़रीद पर बातचीत के दौरान हर विमान की 526 करोड़ रुपये की राशि तय की थी.
विपक्षी दलों का आरोप है कि रिलायंस डिफेंस का गठन 2015 में राफेल सौदे की घोषणा से सिर्फ 12 दिन पहले हुआ. रिलायंस समूह ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
कांग्रेस ने इस विषय पर भी सरकार से जवाब मांगे हैं कि सरकारी विमानन कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया जबकि संप्रग सरकार में सौदे में एचएएल को शामिल करने का फैसला हुआ था.
‘मीडियापार्ट’ की ख़बर के बाद अपनी प्रतिक्रिया में डास्सो एविऐशन ने कहा कि भारतीय नियमों तथा क़रार के अनुरूप कंपनी खरीद के मूल्य की 50 प्रतिशत के बराबर राशि भारत में कलपुर्ज़े ख़रीदने और अनुसंधान एवं विकास सुविधाएं स्थापित करने में ख़र्च (आॅफसेट) करने के लिए प्रतिबद्ध है.