देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में 18,460 पद खाली हैं, जबकि 10,738 पद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में खाली हैं.
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में छह अर्द्धसैनिक बलों में 61,000 से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं.
देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में एक मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार 18,460 पद खाली हैं, जबकि 10,738 पद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में खाली हैं.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अर्द्धसैनिक बलों में ये रिक्तियां सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, मृत्यु, नए पदों के सृजन या नई बटालियन के गठन के चलते उत्पन्न होती हैं.
उन्होंने कहा, ‘रिक्तियों को भर्ती नियमों के मौजूदा प्रावधानों के तहत विभिन्न तरीकों से भरा जाता है जिनमें सीधी भर्ती, पदोन्नति और प्रतिनियुक्ति शामिल हैं. रिक्तियों को भरा जाना एक निरंतर प्रक्रिया है.’
एक मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में 18,942 पद खाली पड़े हुए हैं, जबकि भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में 5,786 पद खाली हैं.
उपरोक्त तिथि के अनुसार असम राइफल्स में 3,840 रिक्तियां, जबकि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में 3,812 रिक्तियां हैं.
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को मुख्य रूप से आंतरिक सुरक्षा में राज्य पुलिस बलों की सहायता के लिए, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवादियों से लड़ने और माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली विरोधी अभियानों में तैनात किया जाता है.
बीएसएफ भारत-पाक और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा करता है, जबकि सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं की रक्षा करता है और भारत तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को चीन-भारत सीमा पर तैनात किया जाता है.
सीआईएसएफ को एयरपोर्ट, परमाणु और औद्योगिक निर्माण, संवेदनशील सरकारी भवन, दिल्ली मेट्रो इत्यादि जगहों पर भी तैनात किया जाता है.
वहीं असम राइफल्स को भारत-म्यांमार बॉर्डर और पुर्वोत्तर में घुसपैठ करने वालों के खिलाफ लड़ने के लिए तैनात किया जाता है.
बता दें कि अर्द्धसैनिक बलों की संयुक्त क्षमता करीब 10 लाख कर्मियों की हैं.
केंद्र की मोदी सरकार पदों के खाली रहने और नियक्तियां नहीं होने की वजह से सवालों के घेरे में है. हालांकि रोजगार के सवाल पर विपक्ष की आलोचना को सिरे से खारिज करते हुए मोदी का कहना है कि देश में नौकरियों की नहीं, बल्कि नौकरी के आंकड़ों की कमी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)