पीड़ित की पहचान बिहार में कटिहार के निवासी डूमन राय के रूप में हुई है. जहांगीरपुरी इलाके में हुई घटना के संबंध में सुपरवाइज़र गिरफ़्तार.
नई दिल्ली: जहांगीरपुरी इलाके में दिल्ली जल बोर्ड के एक सीवर की सफाई के दौरान 32 वर्षीय एक श्रमिक की मौत हो गई.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पश्चिम) एके लाल ने बताया कि पीड़ित की पहचान बिहार में कटिहार के निवासी डूमन राय के रूप में की गई है. राय को शालीमार बाग में मैक्स अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया है, जो कि घटनास्थल पर मौजूद था.
एके लाल ने बताया, ‘रविवार सुबह को डूमन राय टैंक के अंदर वॉल्व खोलने गए थे जहां दम घुटने से उनकी मौत हो गई. भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए और मैनुअल स्कैवेंजर एक्ट की धारा 7 और 9 के तहत केस दर्ज किया गया है.’
प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि राय और तीन अन्य लोग टैंक की सफाई कर रहे थे. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘पीड़ित शख्स टैंक के अंदर आधा घंटा तक था, जिसके बाद अन्य कर्मचारियों को ये पता चला कि वो हिल नहीं रहे हैं. मृत्यु की मुख्य वजह का पता चलना अभी बाकी है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘शुरुआती जांच में पता चला है कि राय ने जैसे ही टैंक खोला, पानी तेजी से आया और वो डूब गए.’ पुलिस इसकी जांच कर रही है कि क्या पीड़ित व्यक्ति ने टैंक में जाने से पहले सुरक्षा उपकरण पहना था या नहीं.
दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली जल बोर्ड इस घटना को लेकर काफी दुखी है. मामले को देखा जा रहा है और जल्द कार्रवाई होगी.’ एक अन्य श्रमिक और प्रत्यक्षदर्शी दयानंद कुमार ने कहा कि राय टैंक में वॉल्व खोलने गया था.
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा हमेशा से होता आया है. हममे से कोई एक कमर में रस्सी बांध कर नीचे जाता है और बाकी लोग रस्सी पकड़े रहते हैं. हमने उन्हें खींचकर बाहर निकाला और नजदीकी अस्पताल में ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित किया गया.’
डूमन राय बिहार से थे और केशवपुरम में किराए पर रहते थे. घर में पत्नी के साथ एक बेटी है. पुलिस ने कहा, ‘राय एक साल पहले दिल्ली आए थे और एक कंपनी में लेबरर का काम कर रहे थे. उन्हें हर महीने 10,000 रुपये मिलते थे.’
इससे पहले सितंबर में पश्चिम दिल्ली के मोती नगर इलाके में एक सीवेज शोधन संयंत्र में काम के दौरान विषाक्त गैस के संपर्क में आने से पांच लोगों की मौत हो गई थी.
देश में लगातार सफाईकर्मियों के जान जोखिम में डालने और उनके लिए समुचित सुरक्षा के इंतज़ामों पर उठते सवालों के बीच इनके परिवार को मुआवजा देने की भी बात होती रही है, लेकिन अब तक कुल कितने सीवर सफाई कर्मचारियों ने काम के दौरान जान गंवाई, इसका आंकड़ा बमुश्किल ही सामने रखा जाता है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के मुताबिक 1993 से लेकर 2018 तक में कुल 666 सफाईकर्मियों की मौत हो चुकी है.
हालांकि सफाईकर्मी और मैला ढोने वालों के लिए काम करने वाली दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) सफाई कर्मचारी आंदोलन के आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 से अब तक में 1,760 सफाईकर्मचारियों की मौत हो चुकी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)