ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने बाल यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मांगी माफी

आॅस्ट्रेलिया में पांच वर्ष तक चली जांच में 8,000 से ज़्यादा ऐसे मामले सामने आए थे जो बाल यौन शोषण से जुड़े हुए थे और ज़्यादातर बच्‍चों का शोषण चर्च या फिर ऐसे राज्य संचालित संस्थानों में हुआ था जिन पर बच्‍चों की सुरक्षा की ज़िम्‍मेदारी थी.

Australian Treasurer Scott Morrison speaks to the press at Parliament House in Canberra, Australia, May 9, 2017. AAP/Dean Lewins/via REUTERS

आॅस्ट्रेलिया में पांच वर्ष तक चली जांच में 8,000 से ज़्यादा ऐसे मामले सामने आए थे जो बाल यौन शोषण से जुड़े हुए थे और ज़्यादातर बच्‍चों का शोषण चर्च या फिर ऐसे राज्य संचालित संस्थानों में हुआ था जिन पर बच्‍चों की सुरक्षा की ज़िम्‍मेदारी थी.

Australian Treasurer Scott Morrison speaks to the press at Parliament House in Canberra, Australia, May 9, 2017. AAP/Dean Lewins/via REUTERS
आॅस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन. (फोटो: रॉयटर्स)

कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को संसद में अपने संबोधन के दौरान बाल यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से माफी मांगी. उन्होंने माना कि सरकार दशकों तक अंजाम दिए गए इन जघन्य अपराधों को रोकने में नाकाम रही.

उन्होंने यह भी कहा कि वह उन पर क्रोधित हैं जिन्होंने आस्था और धर्म की आड़ में अपने कुकृत्यों को छुपाया. पूरे देश में टीवी पर प्रसारित इस संबोधन में मॉरिसन ने कहा, ‘यह ऑस्ट्रेलियाइयों ने ऑस्ट्रेलिया के ही लोगों के साथ किया. दुश्मन हमारे बीच है.’

मालूम हो कि आॅस्ट्रेलिया में पांच वर्ष तक चली जांच में 8,000 से ज़्यादा ऐसे मामले सामने आए थे जो बाल यौन शोषण से जुड़े हुए थे और ज़्यादातर बच्‍चों का शोषण चर्च या फिर ऐसे राज्य संचालित संस्थानों में हुआ था जिन पर बच्‍चों की सुरक्षा की ज़िम्‍मेदारी थी.

उन्होंने कहा, ‘एक राष्ट्र के तौर पर हमने उन्हें निराश किया. हमने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. हमारे लिए यह हमेशा शर्म की बात रहेगी.’ बेहद भावुक दिख रहे मॉरिसन ने कहा कि बलात्कार की की ये घटनाएं धार्मिक और सरकार समर्थित संस्थाओं में होती रहीं.

मॉरिसन ने स्कूलों, चर्चों, युवा समूहों, स्काउट समूहों, अनाथालयों, खेल क्लबों और घर-परिवारों में दिन-ब-दिन, हफ्ता-दर-हफ्ता, महीना-दर-महीना, साल-दर-साल हुई बाल यौन उत्पीड़न की इन घटनाओं के पीड़ितों से कहा, ‘हम आप पर यकीन करते हैं.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज हम उन बच्चों से माफी मांगते हैं जिन्हें हमने निराश किया. माफ कर दें. जिन माता-पिता के साथ विश्वासघात हुआ और जिन्होंने संघर्ष किया, माफ कर दें. उनसे भी माफी जिन्होंने इस बाबत आवाज तो उठाई, लेकिन उन्हें हमने सुना नहीं.’

मॉरिसन ने कहा कि वह उन जीवनसाथियों, साझेदारों, पत्नियों, पतियों, बच्चों से भी माफी मांगते हैं जिन्होंने बलात्कार की इन घटनाओं को दबाए जाने और इंसाफ की राह में रोड़े अटकाने के ख़िलाफ़ संघर्ष किया.

उन्होंने पहले और आज की पीढ़ियों से भी माफी मांगी.

प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद संसद में जनप्रतिनिधि कुछ देर के लिए मौन खड़े रहे. पूरे देश में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रमों में हज़ारों पीड़ितों ने इस संबोधन का प्रसारण देखा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मॉरिसन ने अपने भाषण में क़रीब 800 पीड़‍ितों से माफ़ी मांगी जिनमें से बहुत से लोग भाषण के दौरान दिखाई जा रही तस्वीरों को देखकर भावुक हो गए और रोने लगे थे.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को असाधारण तौर पूरे देश की ओर से बाल यौन शोषण के शिकार पीड़ितों से माफी मांगी. उन्होंने माना कि इस प्रकार के जघन्य अपराधों को रोकने में सरकार असफल रही है.

हालांकि 1980 में दुर्व्यवहार का सामना करने वाले टोनी वार्डली नाम के एक व्यक्ति ने कहा, ‘अगर उन्हें (सरकार को) लगता है कि माफी मांगने से उनकी गलती खत्म होने जा रही है, तो ऐसा नहीं है अभी भी बहुत कुछ किए जाना बाकी है.’

प्रधानमंत्री मॉरीसन ने इंसाफ दिलाने का प्रण किया है लेकिन कुछ पीड़‍ितों का कहना है कि सरकार को जितना करना चाहिए था वो उतना करने में भी वह नाकाम रही.

बहरहाल ऑस्‍ट्रेलिया की ओर से एक रिड्रेसेल नीति शुरू की जाएगी जिसमें इस वर्ष प्रत्‍येक पीड़‍ित को 106,000 अमेरिकी डॉलर की रकम अदा की जाएगी.

मालूम हो कि साल 2008 के बाद यह दूसरा मौका है जब प्रधानमंत्री ने इस तरह से माफी मांगी है.

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले साल 2008 में तत्‍कालीन ऑस्‍ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रड ने ऑस्‍ट्रेलिया के ‘स्‍टोलन जनरेशंस ऑफ इंडीजीनस आॅस्ट्रेलियंस’ संस्‍था के सदस्‍यों से माफी मांगी थी जिन्‍हें उनके परिवार और उनके समुदायों से एसीमिलेशन पॉलिसी के तहत उस समय अलग कर दिया गया था जब वह बच्‍चे थे. 1951 से 1962 के बीच एसिमिलेशन नीति के तहत आॅस्ट्रेलिया में वहां के मूल निवासियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया था, जब वे बच्चे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)