लाइसेंस वाले दुकानदार बेच सकेंगे पटाखे, ऑनलाइन बिक्री पर रोक: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि दीपावली के दिन रात 8 बजे से लेकर 10 बजे के बीच पटाखें जलाए जाएंगे और यह समयसीमा पूरे देश में लागू होगी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

कोर्ट ने कहा कि दीपावली के दिन रात 8 बजे से लेकर 10 बजे के बीच पटाखे जलाए जाएंगे और यह समयसीमा पूरे देश में लागू होगी.

A shopkeeper waits for customers at his firecracker shop in the old quarters of Delhi, India, October 17, 2018. REUTERS/Adnan Abidi
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को दीपावली और दूसरे त्योहारों के अवसर पर पटाखे फोड़ने के लिए रात 8:00 बजे से 10:00 बजे की समय सीमा निर्धारित करते हुए देशभर में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले हरित पटाखे बनाने की अनुमति दे दी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि सिर्फ लाइसेंस वाले ही पटाखे बेच सकेंगे.

जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी ई-व्यापारिक वेबसाइटों को उन पटाखों की बिक्री करने से रोक दिया है जो निर्धारित सीमा से अधिक शोर करते हैं.

शीर्ष अदालत ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के उद्देश्य से, देश में पटाखों के निर्माण और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध के लिये दायर याचिका पर यह आदेश दिया.

पीठ ने कहा कि यदि ये वेबसाइटें न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करेंगी तो उनके ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि पटाखों से जुड़ा ये निर्देश सभी त्योहारों और शादियों पर भी लागू होगा.

साथ ही पीठ ने कहा, ‘निर्धारित सीमा के भीतर ही शोर करने वाले पटाखों की बाज़ार में बिक्री की अनुमति होगी.’

न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह दीपावली और दूसरे त्योहारों के अवसर पर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सामुदायिक तरीके से पटाखे फोड़ने को प्रोत्साहन दे.

कड़ा रुख़ ज़ाहिर करते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रतिबंधित पटाखे फोड़े जाने की स्थिति में संबंधित इलाके के थाना प्रभारी ज़िम्मेदार होंगे.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के मामले में इनके निर्माताओं की आजीविका के मौलिक अधिकारों और देश की सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी के स्वास्थ्य के अधिकारों सहित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा.

यह भी शीर्ष अदालत ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीने का अधिकार सभी पक्षों पर समान रूप से लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने के अनुरोध पर विचार करते समय इसमें संतुलन बनाने की आवश्यकता है.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ अक्टूबर को दीपावली से पहले पटाखों की बिक्री पर अस्थाई प्रतिबंध लगा दिया था परंतु बाद में न्यायालय ने कारोबारियों की याचिका ख़ारिज करते हुए 19 अक्टूबर, 2017 के अपने आदेश में किसी प्रकार की ढील देने से इनकार कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)