सीबीआई विवाद: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इनका आरोप है कि राकेश अस्थाना को बचाने और राफेल सौदे की जांच से बचने के लिए सरकार ने ऐसा क़दम उठाया.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) में मचे घमासान को लेकर विपक्षी दलों ने हमलावर रूख अपनाते हुए सरकार पर जांच एजेंसी के कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया क्योंकि वह राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे.
गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच चल रही तकरार को लेकर, दोनों अधिकारियों से सारे अधिकार वापस ले लिए गए हैं और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है.
राहुल ने एक ट्वीट में कहा, ‘सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे. उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया. प्रधानमंत्री का संदेश एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा, हटा दिया जाएगा.’
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में आखिरी कील ठोंक दी है.
वहीं माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा को अवकाश पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को गैरकानूनी बताया है.
येचुरी ने मोदी सरकार पर सीबीआई में अपने चहेते अधिकारी को बचाने के लिए वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, ‘मोदी सरकार द्वारा अपने उस चहेते अधिकारी को बचाने के लिए सीबीआई प्रमुख को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया है, जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच चल रही थी.’
येचुरी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई प्रमुख को सरकार की पसंद और नापसंदगी से बचाने के लिए उनका दो साल का कार्यकाल तय किया था जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सीबीआई ‘पिंजड़े में बंद’ नहीं है.’
उन्होंने विवाद के घेरे में आए सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि यह कार्रवाई उक्त अधिकारी के भाजपा में शीर्ष नेतृत्व के साथ संबंधों को सुरक्षित तरीके से छुपाने के लिए की गई है.
बसपा प्रमुख मायावती ने पूरे घटनाक्रम को चिंताजनक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई की विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए मौजूदा विवाद पर विस्तार से संज्ञान लेने का अनुरोध किया है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार की द्वेषपूर्ण, जातिवादी और सांप्रदायिकता पर आधारित नीतियों और कार्यकलापों ने सीबीआई सहित हर संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं को संकट में डाल रखा है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में सवाल किया, ‘सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने के पीछे की वजह क्या है? लोकपाल अधिनियम के तहत नियुक्त किए गए एक जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मोदी सरकार को किस कानून के तहत मिला. मोदी क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि सीबीआई भाजपा की जांच एजेंसी बन गई है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘सीबीआई अब तथाकथित बीबीआई (बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) बन गई है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.’
इस बीच, घटनाक्रम पर सरकार की तरफ से कहा गया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हटाने का निर्णय सीवीसी की सिफारिशों के आधार पर लिया गया तथा एजेंसी की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक था.
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) ने ये सिफारिश बीते शाम को की थी.
जेटली ने कहा कि देश की अग्रणी जांच एजेंसी के दो शीर्ष अधिकारियों के आरोप-प्रत्यारोप के कारण बहुत ही विचित्र तथा दुर्भाग्यपूर्ण हालात बने हैं. यह हालात सामान्य नहीं हैं और आरोपियों को उनके ही खिलाफ की जा रही जांच का प्रभारी नहीं होने दिया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि आरोपों की जांच विशेष जांच दल करेगा और अंतरिम उपाय के तौर पर दोनों को अवकाश पर रखा जाएगा.
वित्त मंत्री ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के उन आरोपों को भी खारिज किया जिसमें कहा गया कि वर्मा को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच करना चाहते थे.
जेटली ने कहा कि इन आरोपों को देखते हुए लगता है कि उन्हें (विपक्षी दलों को) यह भी पता चल रहा था कि संबंधित अधिकारी के दिमाग में क्या चल रहा है. इससे उस व्यक्ति की ईमानदारी पर अपने आप ही सवाल खड़े होते हैं, जिसका कि वे समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि आलोक वर्मा ने केंद्र सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. कोर्ट आने वाले शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगा.
वहीं सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया है. राव की नियुक्ति होते ही राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे सीबीआई के 13 अधिकारियों का तबादला कर दिया गया.
मालूम हो कि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीनचिट देने में कथित तौर पर घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने बीते दिनों अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई है और सीबीआई ने अपने ही दफ़्तर में छापा मारकर अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है.
डीएसपी देवेंद्र कुमार को सात दिन की हिरासत में भेज दिया गया हैं. देवेंद्र ने अपनी गिरफ़्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)