शीर्ष अदालत ने बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का पता लगाने में हुए देरी पर बिहार सरकार और सीबीआई से सफाई मांगी है. इस मामले के तूल पकड़ने के बाद मंजू वर्मा ने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
नई दिल्ली: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में लड़कियों से यौन हिंसा और बलात्कार के आरोपों की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की रिपोर्ट में दिए गए विवरण को सुप्रीम कोर्ट ने ‘भयानक’ और ‘डरावना’ करार दिया है.
केंद्रीय जांच ब्यूरो की प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद पीठ ने कहा कि इसमें तो लड़कियों को नशीला पदार्थ देने सहित बहुत ही हतप्रभ करने वाले तथ्य सामने आए हैं.
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा, ‘यह सब क्या हो रहा है? यह तो बहुत ही भयानक है.’
शीर्ष अदालत ने सीबीआई द्वारा बालिका आश्रय गृह के मालिक ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ की गई टिप्पणियों का भी संज्ञान लिया और उसे नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों नहीं उसे राज्य के बाहर किसी जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए.
प्रमुख आरोपी बृजेश कुमार के बहुत अधिक प्रभावशाली होने संबंधी सीबीआई के आरोप को पीठ ने ‘बहुत ही गंभीर’ बताया.
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि सीबीआई के अनुसार बृजेश ठाकुर एक प्रभावशाली व्यक्ति है और जेल में उसके पास से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ है. बृजेश ठाकुर इस समय न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है.
पीठ ने बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार से कहा, ‘यह बहुत ही पीड़ादायक है. आपकी राज्य सरकार क्या कर रही है?’
जांच ब्यूरो की ओर से पेश वकील ने आरोप लगाया गया कि जेल में ब्रजेश ठाकुर के पास से मोबाइल बरामद हुआ है और वह जेल से ही 40 व्यक्तियों के साथ संपर्क में था.
इस पर पीठ ने कहा, ‘उसे (ठाकुर) बिहार से बाहर स्थानांतरित करना होगा और दूसरी जेल में भेजना होगा. यह तमाशा है.’
जांच ब्यूरो ने कहा कि इस मामले में नौ आरोपियों से जांच दल ने पूछताछ की है और इन सभी ने एक समान कहानी सुनाई है जिससे पता चलता है कि ठाकुर ने उन्हें ‘सिखाया-पढ़ाया’ है.
न्यायालय ने इसके साथ ही बृजेश ठाकुर को नोटिस जारी कर यह पूछा कि क्यों नहीं उसकी हिरासत किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित कर दी जाए.
उन्होंने कहा कि मुज़फ़्फ़रपुर का बालिका गृह चार मंज़िला इमारत में है और इसकी दीवारें 50 फुट ऊंची हैं जिनमें कोई झरोखा नहीं है और इसकी हालत जेल से भी बद्तर है.
शीर्ष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का पता लगाने में हुए विलंब पर बिहार सरकार और सीबीआई से सफाई मांगी है. अदालत ने सीबीआई से पूछा की अभी तक चंद्रशेखर वर्मा की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई.
पीठ ने बिहार पुलिस को आदेश दिया कि पूर्व मंत्री और उनके पति के यहां से बड़ी संख्या में हथियार बरामद होने के मामले की वह जांच करें.
इस आश्रय गृह कांड की वजह से मंजू वर्मा को बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
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इस आश्रय गृह कांड में पति चंद्रशेखर वर्मा का नाम सामने आने की की वजह से मंजू वर्मा को बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यह भी पता चला था कि इस साल जनवरी से जून के दौरान चंद्रशेखर वर्मा ने कई बार बृजेश ठाकुर से कथित रूप से बातचीत की थी.
न्यायालय ने पिछले महीने सीबीआई को इस मामले की जांच में हुयी प्रगति की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया था.
पीठ ने कहा कि इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई के दल में किसी प्रकार का बदलाव न किया जाए. इस मामले में न्यायालय अब 30 अक्टूबर को आगे विचार करेगा.
उच्चतम न्यायालय ने बीते 18 सितंबर को इस मामले की जांच के लिए नई सीबीआई टीम गठित करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि यह क़दम न सिर्फ अभी चल रही जांच बल्कि पीड़ितों के लिए भी नुकसानदेह होगा.
न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई निदेशक द्वारा गठित टीम बदलने की कोई वजह नहीं है और बीते 30 जुलाई को गठित की गई टीम को बरकरार रहने दिया जाए.
इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि अभी तक 17 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए हैं और जांच ब्यूरो की प्रगति रिपोर्ट में दिया गया विवरण दुखद है.
इस पर पीठ ने कहा, ‘दुखद? यह बहुत ही दुखद है. बहुत ही भयभीत करने वाला है.’
इससे पहले, पीठ ने कहा था कि जांच सही दिशा में बढ़ती दिख रही है. उसने आयकर विभाग को आश्रय गृह संचालित कर रहे एनजीओ और इसके मालिक ब्रजेश ठाकुर की संपत्तियों की जांच करने के भी निर्देश दिए थे.
बता दें कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में 31मई को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी.
उसके बाद मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार इस बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो गई थी. बलात्कार की शिकार हुई लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं.
बताया जा रहा है कि बलात्कार से पहले लड़कियों को मिर्गी का इंजेक्शन देकर उन्हें बेहोश किया जाता था. लड़कियों के इलाज के लिए बालिका गृह के ऊपर एक कमरा बना हुआ था जहां से पुलिस ने छापा मारकर 63 तरह की दवाएं जब्त की हैं.
मामला तब सामने आया जब इस साल के शुरू में मुंबई के एक संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी समाज लेखा रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित एक एनजीओ द्वारा संचालित बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों से बलात्कार मामले में ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है.
ब्रजेश ठाकुर के के गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित एक अन्य स्वयं सहायता समूह के परिसर से 11 महिलाओं के लापता होने के बाद ठाकुर के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई है.
इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों- किरण कुमारी, मंजू देवी, इंदू कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रौशन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.
इस साल 31 मई को इन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सीबीआई ने सितंबर में जांच अपने हाथ में ले लिया थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में बिहार हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसने मामले के बारे में सभी मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)