केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा है कि अगर आतंकवाद और अपराध ख़त्म करना है तो देश को वेदों की तरफ़ लौटना पड़ेगा.
नई दिल्ली: केंद्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह का मानना है कि अगर आतंकवाद और अपराध ख़त्म करना है तो देश को वेदों की तरफ लौटना पड़ेगा. राजधानी नई दिल्ली में आर्य समाज के चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह का कहना है कि जितने भी अपराध, आतंकवाद और समस्याएं हैं, उन सबका निदान अगर कोई कर सकता है तो वो वेदों के विचार, ऋषि ज्ञान हैं.
गुरुवार को हुए अंतर्राष्ट्रीय आचार्य महासम्मेलन 2018 के कार्यक्रम में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा, ‘अगर इस देश के गौरव को पुन: लौटाना है तो हमें वेदों की तरफ जाना पड़ेगा.’
Jitne bhi apradh, aatankwaad, samasyaein hain, un sabka nidaan agar koi kar sakta hai hai, to wo vedon ke vichaar, Rishi gyaan hi kar sakti hai…Agar iss desh ke gaurav ko punah lautana hai to hamein punah vedon ki taraf jaana padega: Union Minister Satya Pal Singh (25.10.2018) pic.twitter.com/rpALHRmFXA
— ANI (@ANI) October 26, 2018
एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, सत्यपाल ने आगे कहा, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति जब अपने पद की शपथ लेते हैं तो उनके एक हाथ में बाइबिल होती है और वो उसकी शपथ लेते हैं. मैं सपना देखता हूं जब इस देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री अपने हाथों में वेद लेकर उससे अपने पद की शपथ लेंगे.’
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि चार दिवसीय सम्मेलन में गो-कल्याण, किसान हत्या, पर्यावरण संकट और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन ने भी कहा कि वह आरएसएस और आर्य समाज से बेहद करीब से जुड़े रहे हैं और इन्हीं की शिक्षाओं ने उन्हें जाति और उपजाति छोड़ने के लिए प्रेरित किया.
मालूम हो कि ये कोई पहली दफा नहीं है, जब सत्यपाल सिंह ने इस प्रकार के विवादित बयान दिए हों. इससे पहले पिछले साल उत्तर प्रदेश के बागपत से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने छत्तीसगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सिर्फ़ केंद्रीय विश्वविद्यालयों का ही नहीं बल्कि पूरे देश का भगवाकरण होना चाहिए.
इसके अलावा सत्यपाल सिंह वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन के उस सिद्धांत को भी झुठला चुके हैं, जिसके मुताबिक हमारे पूर्वज बंदर हुआ करते थे. उन्होंने दावा किया था कि चार्ल्स डार्विन का यह सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है और उनके पूर्वज बंदर नहीं थे. इसके साथ ही उन्होंने देश के स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों से सिद्धांत को हटाने की बात कही थी.