रानिल विक्रमसिंघे ने महिंदा के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने को पूरी तरह से असंवैधानिक क़रार देते हुए कहा है कि वह प्रधानमंत्री के तौर पर अपना काम करते रहेंगे.
कोलंबो: श्रीलंका में नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शुक्रवार को नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई.
इससे पहले सिरिसेना की पार्टी ने अचानक से सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था. पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के शपथ ग्रहण के दृश्य मीडिया को जारी किए गए और टीवी चैनलों पर दिखाए गए.
इससे पहले सिरिसेना के राजनीतिक मोर्चे यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) ने घोषणा की थी कि उसने मौजूदा गठबंधन सरकार से समर्थन लेने का फैसला किया है.
In a sudden political development in #SriLanka, former President #MahindaRajapaksa sworn in as new Prime Minister replacing #RanilWickremesinghe. pic.twitter.com/X71ycplLKd
— All India Radio News (@airnewsalerts) October 26, 2018
यह गठबंधन यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के साथ था जिसके नेता रानिल विक्रमसिंघे अब तक प्रधानमंत्री थे. कृषि मंत्री और यूपीएफए के महासचिव महिंदा अमरवीरा ने संवाददाताओं से कहा कि यूपीएफए के फैसले से संसद को अगवत करा दिया गया है.
श्रीलंका के डेली मिरर वेबसाइट के अनुसार विक्रमसिंघे ने कहा है, ‘मैं अब भी देश का प्रधानमंत्री हूं.’
रानिल ने महिंदा के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने को पूरी तरह से असंवैधानिक क़रार देते हुए कहा है कि वह प्रधानमंत्री के तौर पर अपना काम करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि संसद में वह जल्द ही अपना बहुमत साबित करेंगे.
जबकि वित्त मंत्री मंगला समरवीरा ने ट्वीट कर कहा है कि जो कुछ भी हुआ है वह अवैध, असंवैधानिक और लोकतंत्र पर चोट है.
The appointment of @PresRajapaksa as the Prime Minister is unconstitutional & illegal. This is an anti democratic coup. #lka
— Mangala Samaraweera (@MangalaLK) October 26, 2018
गौरतलब है कि राजपक्षे की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सिरिसेना ने उनसे अलग होकर राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाने के सिरिसेना के क़दम से संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है क्योंकि संविधान में 19वां संशोधन बहुमत के बिना विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाने की अनुमति नहीं देगा.
राजपक्षे और सिरिसेना की कुल 95 सीटें हैं और सामान्य बहुमत से पीछे हैं. विक्रमसिंघे की यूएनपी के पास अपनी ख़ुद की 106 सीटें हैं और बहुमत से केवल सात कम हैं. विक्रमसिंघे या यूएनपी की तरफ़ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की पार्टी ने उनके और विक्रमसिंघे के बीच तनाव बढ़ने के बीच शुक्रवार को सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया. श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) और यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की गठबंधन सरकार उस समय संकट में आ गई थी जब पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे की नई पार्टी ने फरवरी में स्थानीय चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की थी जिसे सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए जनमत संग्रह माना गया.
पिछले सप्ताह खबर आई थी कि सिरिसेना ने अपने वरिष्ठ गठबंधन साझेदार यूएनपी पर उनकी और रक्षा मंत्रालय के पूर्व शीर्ष अधिकारी गोताभया राजपक्षे की हत्या की कथित साज़िश को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया.
गोताभया राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)