यूपी, बिहार, कर्नाटक और राजस्थान समेत 19 राज्यों में नहीं दर्ज हुआ कार्यस्थल पर यौन-उत्पीड़न का एक भी मामला

बजट सत्र के दौरान सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा राज ने देश के सभी राज्यों में साल 2014 और 2015 में कार्यस्थल पर यौन-उत्पीड़न के दर्ज मामलों की जानकारी दी.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Jared Rodriguez /Truthout)

बजट सत्र के दौरान सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा राज ने देश के सभी राज्यों में साल 2014 और 2015 में कार्यस्थल पर यौन-उत्पीड़न के दर्ज मामलों की जानकारी दी.

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फोटो : Jared Rodriguez /Truthout

देशभर से कार्यस्थल पर महिलों के साथ होने वाले उत्पीड़न की खबरें लगातार सुर्ख़ियों में बनी रहती हैं पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो 2014-15 में कई राज्यों में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के कोई मामले ही दर्ज नहीं हुए. इन राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड और राजस्थान समेत 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम हैं, जहां इन दोनों सालों में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं हुआ.

बजट सत्र में सदन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से भाजपा सांसदों ज्योति धुर्वे (बैतूल), नारणभाई काछड़िया (अमरेली) और अभिषेक सिंह (राजनांदगांव) ने कार्यस्थल पर  महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न से जुड़े कई सवाल किए थे. यहां सवाल पूछा गया था कि क्या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पास देशभर में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ पिछले तीन सालों हुए यौन उत्पीड़न के मामलों का ब्यौरा है. इसके जवाब में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा राज ने बताया कि ऐसे आंकड़ें दर्ज करने के लिए मंत्रालय के पास कोई केंद्रीयकृत तंत्र नहीं है और वे इसके लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा एकत्रित आंकड़ों को ही प्रयोग करते हैं.

एनसीआरबी के अनुसार साल 2014-2015 में भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत देशभर में क्रमशः 57 और 119 मामले दर्ज हुए.

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए एनसीआरबी के आंकड़े (स्रोत : loksabha.nic.in)

गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 509 महिलाओं के सम्मान या मर्यादा को चोट पहुंचाने पर प्रयोग की जाती है. यदि कोई व्यक्ति मौखिक या कोई आपत्तिजनक इशारा या कृत्य करता है, जिसका उद्देश्य किसी महिला का अपमान करना है,  उसकी निजता का हनन करना है तो उसपर इस धारा के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उसपर जुर्माना या एक साल तक की क़ैद या दोनों हो सकते हैं.

इन सांसदों ने यह सवाल भी उठाया था कि क्या सरकार महिलाओं के लिए कोई सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक मंच लाने के बारे में सोच रही है, जहां महिलाएं अपनी समस्याएं सीधे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तक पहुंचा सके, जिसके जवाब में बताया गया कि ऐसा मंच तैयार करने की प्रक्रिया जारी है.

वहीं कामकाजी महिलाओं को उनके अधिकारों और शक्तियों के बारे में जागरूक बनाए जाने के उपाय पर जवाब मिला कि मंत्रालय द्वारा कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 पर एक हैंडबुक तैयार की गई है, इसके अलावा मंत्रालय सचिवालय प्रशिक्षण एवं प्रबंधन संस्थान के साथ मिलकर इस अधिनियम के अंतर्गत बनने वाली आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कंप्लेंट कमिटी) के प्रशिक्षण के लिए मॉड्यूल तैयार किया गया है, साथ ही इस अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से देश के विभिन्न शहरों में ट्रेनिंग प्रोग्राम और वर्कशॉप करवाने के लिए संगठनों की सूची तैयार की गई है.