सीबीआई विवाद: बीते 24 अक्टूबर को एके बस्सी का पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से राकेश अस्थाना के खिलाफ एसआईटी जांच की मांग की है.
नई दिल्ली: राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे सीबीआई अफसर एके बस्सी ने अपनी तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बीते 24 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे 13 सीबीआई अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था.
आलोक वर्मा के डिप्टी एसपी एके बस्सी इनमें से एक थे. वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए एम. नागेश्वर राव के आदेश पर एके बस्सी का अंडमान व निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया और उन्हें वहां सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा का डिप्टी एसपी नियुक्त किया गया है. सरकार का कहना है बस्सी का तबादला जनहित में किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में एके बस्सी ने अपने तबादले को चुनौती दी है. हालांकि कोर्ट ने इस पर तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया है.
AK Bassi says he has incriminating evidence against #RakeshAsthana in bribery case and asks Supreme Court to call for evidence of technical surveillance. Bassi also seeks setting up a Special Investigating Team (SIT) to investigate charges against Asthana. #CBI https://t.co/M1glPWvhE4
— ANI (@ANI) October 30, 2018
एके बस्सी ने अपनी याचिका में कहा कि उनके पास राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत मामले में काफी सबूत हैं जिसमें फोन कॉल्स, वाट्सऐप मैसेजेस भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तकनीकि निगरानी के सबूत मंगाए. बस्सी ने सुप्रीम कोर्ट से ये भी मांग की कि अस्थाना मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर जांच की जाए.
मालूम हो कि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीनचिट देने में कथित तौर पर घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने बीते दिनों अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई है और सीबीआई ने अपने ही दफ़्तर में छापा मारकर अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है.
डीएसपी देवेंद्र कुमार को सात दिन की हिरासत में भेज दिया गया हैं. देवेंद्र ने अपनी गिरफ़्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मीट कारोबारी मोईन कुरैशी भ्रष्टाचार मामले में हैदराबाद के एक व्यापारी से दो बिचौलियों के ज़रिये पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी. सीबीआई का आरोप है कि लगभग तीन करोड़ रुपये पहले ही बिचौलिये के ज़रिये अस्थाना को दिए जा चुके हैं.
कहा जा रहा है कि सीबीआई के दोनों वरिष्ठतम अधिकारियों के बीचे मचे इस घमासान से जांच एजेंसी की विश्वसनीयता पर उठे सवालों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया है.
वहीं बीते 26 अक्टूबर को केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए आलोक वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में वर्मा के खिलाफ दो हफ्ते में जांच पूरी करे.
रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज एके पटनायक इस जांच की निगरानी करेंगे. केंद्र सरकार ने कहा था कि सीवीसी की सिफारिश के बाद सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया था.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जांच के लिए दो हफ्ते का समय देते हुए कहा कि हम जनहित को देखते हुए इस मामले को ज्यादा लंबा समय के लिए रोककर नहीं रख सकते हैं. हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दस दिन हमारे लिए पर्याप्त नहीं है, तीन हफ्ते का समय मिलना चाहिए.
कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि जब तक जांच चल रही है तब तक सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे और वे सिर्फ डेली रुटीन (नियमित कार्य) करते रहेंगे.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है.