सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बिहार की भागलपुर जेल से पंजाब में कड़ी सुरक्षा वाली पटियाला जेल भेजने का निर्देश दिया.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बिहार पुलिस से पूछा कि मुज़फ़्फ़रपुर गृह बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र इस्तीफा देने वाली बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उन्हें क्यों नहीं गिरफ़्तार किया गया है.
पूर्व मंत्री के पति चंद्रशेखर वर्मा ने हथियार मामले में सोमवार को बेगूसराय की अदालत में आत्मसमर्पण किया था.
जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में प्रमुख आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बिहार की भागलपुर जेल से पंजाब में कड़ी सुरक्षा वाली पटियाला जेल भेजा जाए.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस-टिस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था.
इससे पहले शीर्ष अदालत में मामले में जांच से संबंधित विस्तृत सूचनाओं को न्यायालय ने ‘भयावह’ और ‘डरावना’ बताया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो की प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद पीठ ने कहा था कि इसमें तो लड़कियों को नशीला पदार्थ देने सहित बहुत ही हतप्रभ करने वाले तथ्य सामने आए हैं.
शीर्ष अदालत ने ठाकुर के ख़िलाफ़ सीबीआई द्वारा पेश आरोपों पर भी संज्ञान लिया और उन्हें नोटिस जारी कर यह पूछा था कि उन्हें राज्य से बाहर की जेल में क्यों भेजा जाना चाहिए.
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि ठाकुर एक प्रभावशाली व्यक्ति है और जिस जेल के अंदर फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं, वहां उनके पास से एक मोबाइल फोन बरामद किया गया था.
शीर्ष अदालत ने बिहार पुलिस से यह भी कहा कि वह भारी मात्रा में हथियार बरामदगी मामले में पूर्व मंत्री और उनके पति से पूछताछ करे.
मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का पता लगाने में हुए विलंब पर बिहार सरकार और सीबीआई से सफाई मांगी थी. अदालत ने सीबीआई से पूछा की अभी तक चंद्रशेखर वर्मा की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई.
शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को मामले में जांच के लिए सीबीआई की एक नई टीम के गठन से संबंधित पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर यह कहकर रोक लगा दी कि इससे न सिर्फ जारी जांच पर असर पड़ेगा बल्कि यह पीड़ितों के लिए भी नुकसानदायक होगा.
चिकित्सकीय जांच में आश्रय गृह की 42 में से 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई थी. टिस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आश्रय गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी.
इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)