मध्य प्रदेश: व्यापमं घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री को राहुल गांधी ने दिलाई कांग्रेस की सदस्यता

व्यापमं घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा डॉ. गुलाब सिंह किरार और उनके बेटे ​के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए जाने के बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था.

गुलाब सिंह किरार. (फोटो साभार: फेसबुक)

व्यापमं घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा डॉ. गुलाब सिंह किरार और उनके बेटे के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए जाने के बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था.

गुलाब सिंह किरार. (फोटो साभार: फेसबुक)
गुलाब सिंह किरार. (फोटो साभार: फेसबुक)

भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले पर भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेरते-घेरते कांग्रेस चुनावी लाभ के लिए घोटाले के आरोपियों को ही गले लगाने लगी है.

डॉ. गुलाब सिंह किरार जो कि पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हुए थे और शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा रखते थे, उन्हें राहुल गांधी ने अपने मालवा-निमाड़ दौरे के दूसरे दिन औपचारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई है.

डॉ. किरार शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी थे और मुख्यमंत्री के काफी क़रीबी माने जाते थे.

वर्तमान में वे अखिल भारतीय किरार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और किसी भी कीमत पर मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की जुगत में लगी कांग्रेस ने किरार वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए गुलाब सिंह किरार को पार्टी में शामिल कर लिया है. चर्चा है कि पार्टी उन्हें पोहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की तैयारी में है.

बता दें कि डॉ. किरार पर जब व्यापमं घोटाले में फ़र्ज़ी तरीके से अपने बेटे शक्ति सिंह किरार को प्री-पीजी-2011 परीक्षा में 11वीं रैंक दिलाने का खुलासा हुआ था तो भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था. साथ ही उनसे सभी प्रकार के पद छीन लिए गए थे.

उन पर व उनके बेटे शक्ति प्रताप सिंह के ख़िलाफ़ विशेष जांच इकाई (एसआईटी) ने 16 जुलाई 2014 को मामला दर्ज किया था.

उनका नाम का खुलासा मामले के एक अन्य आरोपी पीएमटी कांड के सरगना डॉ. दीपक यादव ने किया था. जिसके बाद ह्विसल ब्लोअर आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी की शिकायत पर ग्वालियर के झांसी रोड थाने में उन पर मामला दर्ज किया गया था.

उन पर धारा 419, 420, 488, 467, 120 बी, 3-4 परीक्षा अधिनियम और 13 (1) डी सहित अन्य धाराओं में मामले दर्ज किए गए थे. जिन पर अभी सीबीआई जांच कर रही है.

गिरफ्तारी से बचने के लिए तब डॉ. किरार कई महीनों तक फ़रार भी रहे. उन पर 5,000 रुपये का इनाम भी रखा गया था.

आशीष चतुर्वेदी बताते हैं, ‘फ़रारी के दौरान डॉ. किरार गिरफ्तारी पर अदालत से स्टे ले आए थे. वे अदालत भी पहुंचे थे कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को ख़ारिज करके मामले में जांच के आदेश दे दिए थे.’

अपनी फ़रारी के दौरान जब डॉ. किरार मुख्यमंत्री शिवराज के साथ एक बार सार्वजनिक मंच साझा करते हुए देखे गए तो कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए शिवराज और भाजपा सरकार को घेरने का प्रयास भी किया था.

लेकिन आज वही कांग्रेस गुलाब सिंह किरार को गले लगाती है तो पार्टी की निष्ठा और व्यापमं घोटाले को लेकर उसके दोहरे रवैये पर प्रश्न उठना लाज़मी है.

आशीष कहते हैं, ‘कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस क़दम से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस घोटाले और भ्रष्टाचार के विरोध की आड़ में मध्य प्रदेश की आम जनता को धोखा दे रही है जबकि वास्तविकता में कांग्रेस ख़ुद घोटालेबाज़ों के साथ है.’

वहीं, मामले के एक अन्य ह्विसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय कहते हैं, ‘भाजपा-कांग्रेस और अन्य दल सभी व्यापमं घोटाले के मामले में एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. भाजपा भी पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को टिकट दे रही है जो कि व्यापमं घोटाले का मुख्य रैकेटियर है. बहुजन समाज पार्टी डॉ. जगदीश सागर को गोहद से चुनाव लड़ाने जा रही है. वे भी मामले में मुख्य रैकेटियर है और कांग्रेस इन सबसे दो कदम आगे है.’

वे कहते हैं, ‘कांग्रेस व्यापमं के आरोपी संदीप सक्सेना को भोपाल दक्षिण-पश्चिम से विधानसभा टिकट दे रही है, अगर उसे नहीं दिया तो उसके छोटे भाई को टिकट देना तय है. इसी तरह पंकज संघवी भी एक ऐसा नाम है जिसके कॉलेज में बंपर नकल हुई. उसके कॉलेज के 37 इनविजिलेटर व्यापमं घोटाले में आरोपी बने. उसको भी कांग्रेस इंदौर-5 विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने जा रही है. वहीं, व्यापमं में लिप्त एक अन्य नाम अनूपपुर विधायक फुंदेलाल मार्को का है उसे भी कांग्रेस दोबारा टिकट दे रही है.’

कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना से व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस के इस दोहरे स्टेंड के बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था, ‘सिर्फ ऐसा कहा जाता है कि ये लोग व्यापमं के आरोपी हैं. लेकिन, अब तक मामले में इन पर कोई मुक़दमा नहीं चल रहा है. जांच एक अलग बात है. वह तो बहुत सारे लोगों पर चलती है, इसका मतलब यह तो नहीं कि सबको हम पार्टी से बाहर कर दें. अभी तक गुलाब सिंह किरार पर कोई आरोप फ्रेम नहीं हुआ है. इसलिए ऐसे समय में कोई अगर कांग्रेस में आना चाहता है तो उसका स्वागत है.’

लेकिन, जब उनसे पूछा गया कि भाजपा ने तो घोटाले में नाम सामने आते ही तत्परता दिखाकर गुलाब सिंह से किनारा कर लिया था और कांग्रेस जो व्यापमं के ख़िलाफ़ लड़ने की बात करती है वह उन्हें स्वीकार रही है. ऐसा क्यों?

इस सवाल पर वे बोले, ‘व्यापमं में जिन पर आरोप सिद्ध हो गए हैं या फ्रेम हो रहे हैं तो निश्चित रूप से कांग्रेस उनका विरोध करती है. उनके ख़िलाफ़ है. व्यापमं के लेकर हम बहुत लड़ाई लड़ रहे हैं. अगर गुलाब सिंह या अन्य पर भी आरोप तय या सिद्ध होते हैं तो पार्टी निश्चित रूप से इनको भी बाहर का रास्ता दिखाएगी. लेकिन वर्तमान हालातों में जो नाम आपने गिनाए हैं उनका नाम कहीं भी सामने नहीं आया है, बस जांच चल रही है. अब तक आरोप तो साबित नहीं हुआ है न.’

अगर कांग्रेस की इसी थ्योरी को अपनाया जाए तो ऐसे अनेकों उदाहरण मिलेंगे जहां केवल जांच चलने के नाम पर ही कांग्रेस केंद्र की भाजपा सरकार से लेकर राज्य सरकार के नेताओं से इस्तीफे मांगती रही है.

बहरहाल, आनंद राय व्यापमं घोटाले की लड़ाई में कांग्रेस की भूमिका को ही कठघरे में खड़ा करते हैं.

वे कहते हैं, ‘कांग्रेस का व्यापमं पर कभी विरोध था ही नहीं. जब इनको लगा कि व्यापमं घोटाला अपने चरम पर पहुंच गया है तो राजनीतिक लाभ लेने ये मैदान में उतर आए थे. हम 2009 से इस पर काम कर रहे थे. तब ये लापता थे. लेकिन जब व्यापमं मीडिया की सुर्ख़ियों में आ गया, तब मजबूरी में अपना चेहरा दिखाने के लिए कांग्रेस ने व्यापमं की बात शुरू की. और इन्होंने लड़ाई के नाम पर बस ये किया कि व्यापमं से जुड़े हुए मामलों को सुप्रीम कोर्ट लेकर गए, लेकिन वो भी हम लोगों के साथ.’

वे आगे कहते हैं, ‘ज़मीन पर कांग्रेस ने व्यापमं को लेकर कोई आंदोलन किया होता तो उसका असर दिखता. ज़मीन पर ये कभी व्यापमं घोटाले के मुद्दे पर लड़े ही नहीं. इन्होंने मध्य प्रदेश के छह प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में हुए सीटों के घोटाले को लेकर भी एक लाइन नहीं बोली. उस मामले के गुनाहगारों से भी मैं अकेले लड़ रहा हूं. और कॉलेज के मालिक खुलेआम कांग्रेसियों के साथ घूम रहे हैं.’

बहरहाल, पारस सकलेचा भी मामले में ह्विसल ब्लोअर रहे हैं. वे 2009 से व्यापमं की अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं. बीते दिनों वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. पार्टी के इस फैसले से वे भी आहत जान पड़ते हैं.

वे खुलकर तो पार्टी की ख़िलाफ़त नहीं करते लेकिन कहते हैं, ‘व्यापमं घोटालेबाज़ों की यह मजबूरी हो गई है कि वे सत्ता प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के संरक्षण में जाकर ख़ुद को बचाने का प्रयास करें. लेकिन राजनीतिक दलों को चाहिए कि रणनीति के तहत यदि उनको साथ लिया जाता है तो उतनी ही ज़्यादा तेज़ी से व्यापमं के ह्विसल ब्लोअर्स को भी जनता के सामने प्रस्तुत करें. ताकि राजनीतिक शुचिता का संतुलन बना रहे.’

जब उनसे पूछा गया कि आप स्वयं व्यापमं घोटाला उजागर करने वाले रहे हैं और आज कांग्रेस का भी हिस्सा हैं तो इस घटना के बाद कांग्रेस के व्यापमं को लेकर स्टैंड पर क्या कहेंगे? उन्होंने धर्मसंकट भले लहज़े में जबाव दिया, ‘हमारा पूरा उद्देश्य है कि व्यापमं के जो मुख्य गुनाहगार हैं, शिवराज सिंह. वे अभियुक्त बनें और उसके बीच यदि कोई परिस्थिति होती है तो उस पर समय के अनुसार निर्णय लिया जाए.’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)