सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवड़िया में उनकी 182 फुट ऊंची प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया अनावरण. 72 गांवों के क़रीब 75,000 आदिवासी प्रतिमा के अनावरण का विरोध करने को कहा था.
केवड़िया/गुजरात: तमाम विरोधों के बीच लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवड़िया में बनी उनकी 182 फुट ऊंची प्रतिमा का बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनावरण कर दिया. सरदार पटेल की मूर्ति के अनावरण के पहले इसका विरोध कर रहे तमाम आदिवासी कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ़्तार करने की सूचना है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, मूर्ति के अनावरण से एक दिन पहले मंगलवार को गुजरात पुलिस ने नर्मदा ज़िले से तकरीबन 13 आदिवासी कार्यकर्ताओं और नेताओं का हिरासत में लिया है. पड़ोस के तापी ज़िला मुख्यालय के व्यारा से तकरीबन 10 आदिवासी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जाने की सूचना है. ये लोग दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण के विरोध में प्रदर्शन करने वाले थे.
उल्लेखनीय है कि यह प्रतिमा अमेरिका में स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से करीब दो गुनी ऊंची है और गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट नामक छोटे द्वीप पर स्थापित की गई है. इस प्रतिमा के निर्माण में 70,000 टन से ज़्यादा सीमेंट, 18,500 टन री-एंफोंर्समेंट स्टील, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसा का इस्तेमाल हुआ है.
बहरहाल स्थानीय आदिवासी संगठनों ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित क़रीब 75,000 आदिवासी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नर्मदा ज़िले के केवड़िया में प्रतिमा के अनावरण का विरोध करेंगे.
आदिवासी नेताओं की ओर से कहा गया था कि 72 गांवों में उस दिन कोई खाना नहीं पकेगा. हम उस दिन शोक मनाएंगे क्योंकि इस परियोजना के तहत हमारा जीवन बर्बाद हो गया.’ मालूम हो कि पारंपरिक तौर पर आदिवासी समुदाय में उस दिन भोजन नहीं पकाया जाता है जब वे किसी मृतक के लिए शोक मना रहे होते हैं.
मालूम हो कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परियोजना की वजह से प्रभावित हुए 72 गांवों में से 32 गांव सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. इनमें से 19 गांवों में तथाकथित रूप से पुनर्वास नहीं हुआ है. केवड़िया कॉलोनी के छह गांव और गरुदेश्वर ब्लॉक के सात गांवों में सिर्फ़ मुआवज़ा दिया गया है. ज़मीन और नौकरी जैसे वादों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है.
पुलिस ने जिन लोगों को हिरासत में लिया है वह झगड़िया विधायक छोटू वसावा के संगठन भीलिस्तान टाइगर सेना (बीटीएस) और उनके बेटे महेश वसावा के संगठन भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से जुड़े हुए है.
छोटू वसावा ने सूरत में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘हम सरदार पटेल के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन हम राज्य की भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ हैं, जिसने गुजरात में जनजातियों के अधिकार छीन लिए हैं. हमारी मांग यह है कि सरकार को संविधान के अनुच्छेद 244 (1) को लागू करना चाहिए और फिर स्टैच्यू आॅफ यूनिटी का अनावरण करना चाहिए.’
रिपोर्ट के अनुसार छोटू वसावा ने कहा, ‘हम यह पूछना चाहते हैं कि स्टैच्यू आॅफ यूनिटी से आदिवासियों और जनजातियों को क्या फायदा होने वाला है. सरकार को इस संबंध में स्पष्ट तस्वीर पेश करनी चाहिए. हम लंबे समय से इसे लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और हमें राज्यभर से बड़ी संख्या में आदिवासियों का समर्थन मिला हुआ है.’
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी नेताओं ने दावा किया है कि 90 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जबकि नर्मदा ज़िले के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर आरएस निनामा ने गिरफ़्तारी की बात को खारिज किया है.
आदिवासी नेता आनंद मझगांवकर ने दावा किया है कि लगभग 90 लोगों को स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी के पास के इलाके से हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘इन लोगों को पुलिस ने पकड़ा है मगर हमें जानकारी नहीं है कि उन्हें रखा कहां गया है.’
आमलेठा पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी एमए परमार ने बताया कि पांच लोगों को आमलेठा थाना क्षेत्र से हिरासत में लिया गया है. परमार ने बताया, ‘हमें जानकारी मिली थी कि ये लोग प्रदर्शन करने वाले हैं, इस आधार पर हमने उन्हें हिरासत में ले लिया.’
सरदार पटेल की प्रशंसा पर ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने कोई अपराध कर दिया है: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा को भारत के शाश्वत अस्तित्व का प्रतीक बताते हुए कहा कि सरदार पटेल ने सैकड़ों रियासतों का विलय कर और देश का एकीकरण करके इसे तोड़ने की साज़िश को परास्त करने का काम किया.
नरेंद्र मोदी मोदी ने कहा, ‘हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरज़ोर जवाब दें. इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है. समाज के तौर पर एकजुट रहना है.’
उन्होंने कहा कि आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति पास है. देश के विकास के लिए यही एक रास्ता है, जिसको लेकर आगे बढ़ने की ज़रूरत है. देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार पटेल देकर गए हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं. सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है. ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है.’
उन्होंने जोर दिया कि करोड़ों भारतीयों की तरह उनके मन में एक ही भावना थी कि जिस व्यक्ति ने देश को एक करने के लिए इतना बड़ा पुरुषार्थ किया हो, उसको वो सम्मान अवश्य मिलना चाहिए जिसका वो हक़दार है.
देश के एकीकरण में सरदार पटेल के योगदान को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि जिस कमज़ोरी पर दुनिया उस समय ताने दे रही थी, उसी को ताकत बनाते हुए सरदार पटेल ने देश को रास्ता दिखाया.
उन्होंने कहा, ‘उसी रास्ते पर चलते हुए संशय में घिरा वह भारत आज दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है, दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की तरफ़ आगे बढ़ रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को यह याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा.’
मोदी ने कहा कि सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था जब देश 550 से ज़्यादा रियासतों में बंटी थी. दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी. निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से ही बिखर जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के इसी संवाद से, एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया. देखते ही देखते, भारत एक हो गया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है.
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने संकल्प न लिया होता, तो आज गिर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए वीज़ा लेना पड़ता. उनका संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.
मोदी ने कहा कि देश के लोकतंत्र से सामान्य जन को जोड़ने के लिए वह समर्पित रहे. महिलाओं को भारत की राजनीति में सक्रिय योगदान का अधिकार देने के पीछे भी सरदार पटेल का बहुत बड़ा रोल रहा है.
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल चाहते थे कि भारत सशक्त, सुदृढ़, संवेदनशील, सतर्क और समावेशी बने. हमारे सारे प्रयास उनके इसी सपने को साकार करने की दिशा में हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का ये स्मारक उनके प्रति करोड़ों भारतीयों के सम्मान, हमारे सामर्थ्य का प्रतीक तो है ही, ये देश की अर्थव्यवस्था, रोज़गार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है. इससे हज़ारों आदिवासियों को हर वर्ष सीधा रोज़गार मिलने वाला है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान सरकार की जन कल्याण योजनाओं का ज़िक्र किया. इसमें गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने, शौचालयों का निर्माण, हर बेघर को पक्का घर, गांव-गांव में बिजली सुविधा मुहैया कराने की पहल शामिल है.
उन्होंने प्रतिमा के निर्माण में शामिल कामगारों, शिल्पकारों तथा शिल्पकार राम सुतार की टीम को धन्यवाद दिया.
गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लोकार्पण के दौरान मौजूद थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)