राफेल सौदे की क़ीमत और रणनीतिक जानकारी 10 दिन के अंदर बताए केंद्र: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष न्यायालय ने सरकार से कहा कि जो भी जानकारी क़ानूनी रूप से सार्वजनिक की जा सकती है उसे याचिकाकर्ताओं को दिया जाए. यदि कोई सूचना गोपनीय है तो उसे सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपें. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अगर केंद्र राफेल की क़ीमत नहीं बता सकता है तो हलफ़नामा दायर करे.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

शीर्ष न्यायालय ने सरकार से कहा कि जो भी जानकारी क़ानूनी रूप से सार्वजनिक की जा सकती है उसे याचिकाकर्ताओं को दिया जाए. यदि कोई सूचना गोपनीय है तो उसे सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपें. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अगर केंद्र राफेल की क़ीमत नहीं बता सकता है तो हलफ़नामा दायर करे.

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह 10 दिन के भीतर राफेल सौदे की कीमत और रणनीतिक जानकारी साझा करे.

इस आदेश पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा आपत्ति जताने पर कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र राफेल की कीमत नहीं बता सकती है तो वो हलफनामा दायर कर कहे कि लड़ाकू विमान की कीमत विशिष्ट सूचना है और इसे साझा नहीं किया जा सकता है.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने केंद्र से कहा कि जो सूचनाएं सार्वजनिक की जा सकती हैं उन्हें वह याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कोई सूचना गोपनीय है तो उसे सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को दिया जाए.

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है.

शीर्ष अदालत ने फिर से यह स्पष्ट किया कि उसे राफेल सौदे से जुड़ी तकनीकी जानकारी नहीं चाहिए. उसने केंद्र से अगले 10 दिन में भारत के ऑफसेट साझेदार की जानकारी सहित अन्य सूचनाएं भी मांगी हैं.

याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी जनहित याचिका में राफेल सौदे की उपयुक्तता या तकनीकी पहलुओं को चुनौती नहीं दी गई है.

वहीं, सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया कि लड़ाकू विमान की कीमत विशिष्ट सूचना है और उसे साझा नहीं किया जा सकता है.

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक केके वेणुगोपाल ने ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह जानकारियां साझा नहीं की जा सकती, जिस पर कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है तो सरकार को हलफनामे के जरिए अपनी आपत्ति दर्ज करवानी चाहिए, जिस पर अदालत विचार करेगी.

इससे पहले बीते 10 अक्टूबर को वकील एमएल शर्मा और विनीत  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राफेल सौदे पर फैसले की प्रक्रिया के ब्यौरे को सीलबंद लिफाफे में देने को कहा था. उस समय कोर्ट ने कहा था कि फ्रांस के साथ हुए इस सौदे के संबंध में उसे कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए.

इसी मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंहा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कर एफआईआर दर्ज करने और कोर्ट की अगुवाई में सीबीआई जांच की मांग की है.

सुनवाई के दौरान जब प्रशांत भूषण ने सीबीआई जांच के लिए दबाव डाला तो कोर्ट ने कहा कि इसके लिए अभी आपको इंतजार करना होगा. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘पहले सीबीआई को ये बताने दीजिए कि उन्होंने शिकायत पर क्या किया है. चार हफ्ते बीत चुके हैं. तब तक आपको इंतजार करना होगा.’

इसी मामले में एक अन्य याचिका आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी दायर की है. सुनवाई के दौरान जब संजय सिंह के वकील ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि भारत सरकार ने संसद में राफेल विमान की कीमत बता दी थी, तो रंजन गोगोई ने मजाक के लहजे में कहा, ‘आप कीमत जानते हैं? हमें बताइए. हम सभी आपके आभारी होंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)