उत्तर प्रदेश के नोएडा में चेकिंग के दौरान एक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर ने जिम ट्रेनर को गोली मार दी थी. आरोप है कि सब इंस्पेक्टर ने प्रमोशन की वजह से ऐसा किया था.
दिल्ली से लगे नोएडा शहर में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जितेंद्र यादव नाम के जिम ट्रेनर को फ़र्ज़ी एनकाउंटर में गोली मारने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने योगी आदित्यनाथ सरकार को पांच लाख रुपये देने के आदेश दिया है.
फ़र्ज़ी मुठभेड़ का ये मामला इसी साल तीन फरवरी की रात का है. नोएडा के पर्थला खंजरपुर गांव में रहने वाले जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव को ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर विजय दर्शन ने गोली मारी थी. विजय के साथ मौके पर और भी पुलिसकर्मी मौजूद थे. जितेंद्र पर्थला गांव में ही जिम चलाते थे.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार मानवाधिकार आयोग ने छह हफ़्तों के भीतर राज्य के मुख्य सचिव से भुगतान करने के सबूत के साथ एक रिपोर्ट जमा करने को कहा है. आयोग ने पांच फरवरी की घटना को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था.
एनएचआरसी के मुताबिक पूछताछ के दौरान और उसके द्वारा जारी नोटिस के जवाब में यूपी सरकार ने यह सूचित किया कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को प्रमाणित किया गया था और इस मामले में सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ आरोप-पत्र जमा किया गया था. सरकार ने आयोग को बताया कि सब-इंस्पेक्टर और दो कॉन्स्टेबल समेत शेष तीन आरोपी पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
पर्थला गांव में जिम चलने वाले 25 वर्षीय जितेंद्र इस साल तीन फरवरी रात अपनी चचेरी बहन की शादी के सिलसिले में गाजियाबाद से अपने गांव स्कॉर्पियो से लौट रहे थे.
दैनिक जागरण की ख़बर के अनुसार, ‘जितेंद्र के साथ स्कॉर्पियो में उनके बड़े भाई व चार दोस्त भी मौजूद थे. भाई को घर छोड़ने के बाद जितेंद्र दोस्तों को छोड़ने के लिए सेक्टर-122 गए थे. इसी दौरान लाल रंग की ब्रीजा गाड़ी में सवार प्रशिक्षु दरोगा विजय दर्शन व पंकज सिंह और सिपाही संजय व नरेंद्र ने उनकी गाड़ी की चेकिंग शुरू कर दी थी. आरोप है कि इसी दौरान विजय दर्शन ने जितेंद्र को गोली मार दी थी.’
रिपोर्ट के अनुसार, विजय दर्शन ने प्रमोशन पाने के लिए जितेंद्र गोली मारी थी. वारदात के बाद अधिकारियों के आदेश पर आरोपी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कर लिया गया था. आरोपी विजय दर्शन जेल में बंद है.
मालूम हो कि घटना के आठ महीने बीत जाने के बाद भी जितेंद्र घायल हैं और बिस्तर पर पड़े हैं. गोली उनकी गर्दन से होते हुए रीढ़ की हड्डी में जाकर लगी थी जिसकी वजह से वह चलने-फिरने की स्थिति में नहीं हैं. यहां तक कि डॉक्टरों ने भी जितेंद्र के दोबारा चलने की उम्मीद काफी कम बताई है.