राम मंदिर पर निर्णय देते हुए हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखे सुप्रीम कोर्ट: संघ

महाराष्ट्र के उत्तन में संघ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर आरएसएस राम मंदिर के लिए आंदोलन शुरू करने में भी नहीं हिचकेगा, लेकिन मामला अदालत में विचाराधीन होने की वजह से कुछ सीमाएं हैं.

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आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के उत्तन में संघ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर आरएसएस राम मंदिर के लिए आंदोलन शुरू करने में भी नहीं हिचकेगा, लेकिन मामला अदालत में विचाराधीन होने की वजह से कुछ सीमाएं हैं.

Suresh Bhaiyaji Joshi
संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी (फोटो: twitter)

उत्तन (महाराष्ट्र): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से हिंदू ‘अपमानित’ महसूस कर रहे हैं कि अयोध्या का मुद्दा प्राथमिकता वाला नहीं है. संघ ने जोर देते हुए कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर कोई विकल्प नहीं रहा तो अध्यादेश लाना जरूरी होगा.

संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, ‘अगर जरूरत पड़ी तो आरएसएस राम मंदिर के लिए आंदोलन शुरू करने में भी नहीं हिचकेगा, लेकिन मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने की वजह से कुछ सीमाएं हैं.’

उन्होंने यह बात तब कही जब पूछा गया कि था कि क्या संघ राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 के दशक जैसा आंदोलन शुरू करेगा. जोशी ने यह भी कहा कि संघ अयोध्या में राम मंदिर के लिए 30 साल से आंदोलन कर रहा है.

इस बीच भाजपा की सहयोगी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर संघ को लगता है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन शुरू करने की जरूरत है तो उसे नरेंद्र मोदी सरकार को गिरा देना चाहिए.

ठाणे जिले के उत्तन में संघ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर जोशी ने कहा कि संघ इसके लिए सरकार पर ‘कोई दबाव नहीं बना रहा क्योंकि हम कानून और संविधान का सम्मान करते हैं.’

जोशी ने बताया कि शुक्रवार सुबह यहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की जिसमें अनेक मुद्दों के साथ राम मंदिर के विषय पर भी चर्चा हुई.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम उच्चतम न्यायालय का सम्मान करते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखा जाए.’

संघ पदाधिकारी ने कहा, ‘अदालत के फैसले का इंतजार लंबा हो गया है. चूंकि मामला 29 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, तो हमें लगा कि हिंदुओं को दीपावली से पहले खुशखबरी मिल जाएगी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई टाल दी.’

उच्चतम न्यायालय ने 29 अक्टूबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई जनवरी, 2019 के पहले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. एक उचित पीठ सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी.

जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वकील सीएस वैद्यनाथन ने क्रमश: उत्तर प्रदेश सरकार और रामलला की ओर पक्ष रखते हुए मामले में अपीलों पर जल्द सुनवाई की मांग की तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, ‘हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं. मामले में सुनवाई जनवरी में होगी, फरवरी में होगी या मार्च में होगी, यह उचित पीठ तय करेगी.’

संघ पदाधिकारी जोशी ने कहा कि इतने लंबे समय से लंबित मुद्दे पर अदालत के फैसले का इंतजार भी लंबा हो गया है.

उन्होंने कहा कि यह दुख और पीड़ा का विषय है कि जिसे हिंदू अपनी आस्था मानते हैं और जिससे उनकी भावनाएं जुड़ी हैं वह अदालत की प्राथमिकता सूची में नहीं है.

जोशी ने कहा कि संघ अपेक्षा करता है कि अदालत हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर फैसला सुनाए. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण का रास्ता निकालने के लिए कानूनी मंजूरी जरूरी है.

राम मंदिर के जल्द निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की संघ परिवार के अनेक संगठनों की मांग के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि यह सही है.

उन्होंने कहा, ‘अगर और विकल्प नहीं बचते तो सरकार को इस विकल्प पर विचार करना चाहिए. यह सरकार पर निर्भर है.’

हालांकि उसी समय उन्होंने यह भी कहा कि ‘जब तक उच्चतम न्यायालय मालिकाना हक पर निर्णय नहीं सुनाता तब तक सरकार के लिए कोई फैसला करना मुश्किल होगा.’

वहीं मुंबई में उद्धव ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार ने संघ के पूरे एजेंडे को दरकिनार कर दिया है. वह राम मंदिर के समर्थन में इस महीने के अंत में अयोध्या जाएंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आरएसएस के हिंदुत्व पर सवाल उठाये जाने के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है.

सबरीमाला विवाद पर जोशी ने कहा कि संघ मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की मांग का समर्थन करता है.

उन्होंने कहा, ‘हिंदू धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव का हम समर्थन नहीं करते, लेकिन कुछ मंदिरों की अपनी सीमाएं हैं और लोग सोच सकते हैं कि यह उनके अधिकारों के खिलाफ है. लेकिन लोगों को मंदिर के नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि लोगों की आस्था सर्वोपरि है.’

मंदिर बनाने की बात चुनावी ड्रामा: यूपी कैबिनेट मंत्री

संभल: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा द्वारा अयोध्या में राममंदिर बनाने की बात महज ‘चुनावी ड्रामा’ है.

राजभर ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की अयोध्या में मंदिर बनाने की बात सिर्फ चुनावी ड्रामा और लोरी सुनाने वाली बात है.

उन्होंने कहा, ‘चुनाव आता है तो राम मंदिर याद आता है. चुनाव नहीं रहता है तो भगवान राम याद नहीं आते. यह सिर्फ चुनावी ड्रामा है.’

राजभर ने कहा कि जब मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है तब फिर अपने मन से कौन मंदिर बना देगा. या तो दोनों पक्ष रजामंद हों या फिर अदालत का फैसला आये.

सुप्रीम कोर्ट भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं कर सकता: असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद: अयोध्या मसले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला बोलते हुए एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अदालत भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं ले सकती.

ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव भैयाजी जोशी की टिप्पणियों का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया था कि अयोध्या मुद्दे पर ‘हिंदू समुदाय की भावनाओं’ पर भी विचार करना चाहिए.

ओवैसी ने कहा कि ‘हिंदू भावना’ के आधार पर उच्चतम न्यायालय फैसला नहीं कर सकता है.’

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘वह (जोशी) अब भी भारत के संविधान को नकार रहे हैं. आस्था, भावना इत्यादि कुछ भी प्रासंगिक नहीं है और केवल इंसाफ प्रासंगिक है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)