सोमवार शाम को मंदिर खोला जाएगा. विश्व हिंदू परिषद और हिंदू ऐक्यावेदी जैसे कई हिंदूवादी संगठनों ने संयुक्त रुप से मीडिया संपादकों को लिखे पत्र में कहा कि महिला पत्रकारों की वजह से विरोध प्रदर्शन और भड़क सकता है.
नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर का द्वार खुलने से पहले हिंदूवादी संगठनों ने मीडिया से कहा है कि इसकी कवरेज के लिए युवा महिला पत्रकारों को न भेजें. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को भी मंदिर में प्रवेश का अधिकार प्राप्त हुआ है, जिसके बाद मंदिर समिति के अलावा कई अन्य हिंदूवादी संगठन महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सबरीमाला मंदिर सोमवार को फिर से एक बार खुल रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के 10 से 50 वर्षीय महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का अधिकार देकर सदियों पुरानी परंपरा को खत्म कर दिया था. 17 से 22 अक्टूबर के बीच मंदिर खुला था और महिलाओं के प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया.
विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाली महिला पत्रकारों पर भी हमला किया गया था. विरोध करने वालों ने सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के आदेश की समीक्षा की मांग की है, जिससे 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाज़त मिली है. कहा जाता है कि सबरीमाला मंदिर के भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे, इसलिए इसमें महिलाओं का प्रवेश वर्जित था.
संपादकों को भेजे गए एक पत्र में, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और हिंदू ऐक्यावेदी समेत हिंदूवादी संगठनों के संयुक्त मंच ‘सबरीमाला कर्म समिति’ ने रविवार को कहा कि 10-50 आयु वर्ग की महिला पत्रकारों को भेजने से स्थिति और भी चिंताजनक जो सकती है और विरोध-प्रदर्शन को भड़क सकता है.
पत्र में कहा गया, ‘इस मुद्दे पर भक्तों का समर्थन करने या विरोध करने के अपने अधिकार को स्वीकार करते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि आप ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे स्थिति और बिगड़े.’
त्रावणकोर के आखिरी राजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा के मंगलवार को जन्मदिवस के अवसर पर सोमवार शाम को पूजा के लिए मंदिर खोला जाएगा. मंदिर मंगलवार को रात दस बजे बंद किया जाएगा लेकिन वह 17 नवंबर से तीन महीने लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए दर्शन के वास्ते फिर से खोला जाएगा.
Kerala: Security deployed at Nilakkal base camp as #SabarimalaTemple will open for a day tomorrow pic.twitter.com/OdMnb3j5H7
— ANI (@ANI) November 4, 2018
पिछले महीने जब मंदिर पांच दिनों के लिए मासिक पूजा के वास्ते खुला था तो इस अवसर की रिपोर्टिंग करने के लिए आईं महिला पत्रकारों से बदसलूकी की गई थी. उनके वाहनों को निशाना बनाया गया और प्रदर्शनकारियों के कारण उन्हें वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा.
समिति ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार और रिट याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई करने का फैसला किया है लेकिन राज्य सरकार फैसले के खिलाफ जन आंदोलन को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है और पुलिस बल का इस्तेमाल कर जल्दबाजी में इसे लागू करने की कोशिश कर रही है.
समिति ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं के पास शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.’
समिति ने कहा कि केरल और देश के अन्य हिस्सों और यहां तक कि विदेशों में सभी संप्रदायों से संबंधित भक्त सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में हैं और प्रदर्शन के समर्थन में हैं.
पिछले महीने महिलाओं के प्रवेश को लेकर हो रहे प्रदर्शन से पुलिस हाई अलर्ट पर है और सुरक्षा व्यवस्था में भारी सुरक्षाबल तैनात हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)