केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को नई दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक बढ़ोतरी और ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती चिंताओं को लेकर लोगों के एक समूह ने मंगलवार को पर्यावरण मंत्रालय के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया.
इंदिरा पर्यावरण भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे जिन पर लिखा था ‘दिल्ली की हवा जहरीली है’, ‘सांस लेने से जान जा रही है’, ‘सांस लेना मेरा अधिकार’ जैसे नारे लिखे थे.
प्रदर्शनकारियों ने गाने गाए और सरकार से मांग की कि वह दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने पर रोक लगाए.
बीते तीन हफ्तों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है और सोमवार को इस मौसम की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई जो ‘गंभीर स्तर’ पर थी.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है.
दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई
दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए आगाह किया कि इस दिवाली पर पिछले साल की तुलना में कम प्रदूषणकारी पटाखे फोड़े जाने के बाद भी प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 के स्तर पर दर्ज किया गया जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है.
बोर्ड ने कहा कि सोमवार को एक्यूआई 434 के स्तर पर गंभीर श्रेणी में रिकार्ड किया गया था जो इस मौसम का अब तक का सर्वाधिक था.
मंगलवार को दिल्ली में पीएम 2.5 कणों का स्तर 243 वहीं पीएम 10 का स्तर 372 दर्ज किया गया.
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पीएम 2.5 का स्तर 237 और पीएम10 का स्तर 366 दर्ज किया गया.
दिल्ली में 12 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ दर्ज की गई, वहीं 13 इलाकों में ‘बहुत खराब’ दर्ज की गई.
अधिकारी लगातार बने हुए प्रदूषण की वजह हवा की दिशा को बताते हैं जो पंजाब और हरियाणा के उन इलाकों से बह रही है जहां पराली जलाई जाती है.
केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़कर ‘गंभीर और आपात’ श्रेणी में जा सकती है.
48 घंटों में सफ़ेद फेफड़े पड़े काले
दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में रखे सफेद फेफड़े 48 घंटों के भीतर काले पड़ गए. दरअसल दिल्ली में ख़राब वायु के चलते अस्पताल ने एक फेफड़े का मॉडल लगाया था, जिसके हेपा फिल्टर से बनाया गया था. हेपा फिल्टर का इस्तेमाल एयर प्यूरीफायर किया जाता है.
लंग केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, तीन नवंबर सुबह 10 बजे फेफड़ों के मॉडल को अस्पताल परिसर में लगाया गया था और 48 घंटे के बाद यह पूरी तरह काला पड़ चुका था.
डॉ. अरविंद का मानना है कि दिल्ली की हवा अब रहने लायक नहीं रही है. उन्होंने आगे बताया कि अगर यही स्थिति रही तो लंग की बीमारी महामारी का रूप ले लेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)