पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को गिरफ़्तार न किए जाने पर शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को फटकारते हुए कहा कि एक पूर्व मंत्री फ़रार है और किसी को कुछ पता ही नहीं है.
![Patna: Former Bihar Social Welfare Minister Manju Verma addresses a press after resigning over allegations against her husband, who is accused of his links with the Muzaffarpur shelter rape case, in Patna on Wednesday, Aug 8, 2018. (PTI Photo) (PTI8_8_2018_000218B)](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2018/10/Manju-Verma-Muzaffarpur-Balika-Grih-PTI8_8_2018_000218B-e1540897619914.jpg)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र इस्तीफा देने वाली बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उन्हें गिरफ़्तार न किए जाने पर नाराज़गी जताते हुए राज्य के डीजीपी को तलब किया है.
मालूम हो कि शीर्ष अदालत मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई कर रही है, जहां उसने पिछली सुनवाई में बिहार पुलिस को चार्जशीट दायर करने को कहा था, साथ ही सरकार से यह भी सवाल किया था कि पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उन्हें क्यों नहीं गिरफ़्तार किया गया है.
इसके जवाब में बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि मंजू वर्मा नहीं मिल रही हैं.
इस पर जस्टिस मदन बी लोकुर ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘बहुत खूब! एक कैबिनेट मंत्री फरार हैं, बहुत खूब. ऐसा कैसे हो सकता है कि कैबिनेट मंत्री फरार है और किसी को पता ही नहीं है कि वे कहां हैं. क्या आपको इस मामले की गंभीरता का अंदाज़ा है कि एक कैबिनेट मंत्री का पता ही नहीं लग पा रहा है. यह तो हद है!’
“Fantastic! cabinet minister (Manju Verma) on the run, fantastic. How could it happen that cabinet minister is absconding and nobody knows where she is. You realise the seriousness of the issue that cabinet minister is not traceable. It’s too much,” observes Justice Madan B Lokur https://t.co/axfsANNEBO
— ANI (@ANI) November 12, 2018
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि इस मामले में बिहार सरकार को जवाब देना होगा, बिहार पुलिस के डीजीपी को अगली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया है.
मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी. साथ ही शीर्ष अदालत ने बिहार के अन्य आश्रय गृहों के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को भी तलब करते हुए 27 नवंबर को पेश होने को कहा है. यह वे आश्रय गृह हैं, जहां बच्चियों के साथ यौन शोषण होने के आरोप लगे हैं.
इससे पहले 29 अक्टूबर को पूर्व मंत्री के पति चंद्रशेखर वर्मा ने हथियार रखने के मामले में बेगूसराय की अदालत में आत्मसमर्पण किया था.
मालूम हो कि मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था. उनके घर पर पड़े सीबीआई के छापे में अवैध हथियार और करीब 50 कारतूस बरामद हुए थे.
शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को मामले में जांच के लिए सीबीआई की एक नई टीम के गठन से संबंधित पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर यह कहकर रोक लगा दी कि इससे न सिर्फ जारी जांच पर असर पड़ेगा बल्कि यह पीड़ितों के लिए भी नुकसानदायक होगा.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस-टिस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था.
चिकित्सकीय जांच में आश्रय गृह की 42 में से 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई थी. टिस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आश्रय गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी.
इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.