बीते 15 नवंबर को सबरीमला पर सर्वदलीय बैठक विफल रही. महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करने के लिए कोच्चि पहुंच गईं. लेकिन दक्षिणपंथी गुटों द्वारा विरोध प्रदर्शन के चलते वे एयरपोर्ट से बाहर नहीं आ सकी हैं.
तिरुवनंतपुरम: सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने पर चल रहे गतिरोध का समाधान करने के लिए गुरुवार को बुलाई गई अहम सर्वदलीय बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई. केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने पर अड़ी रही, जिसकी वजह से विपक्ष बैठक से चला गया.
तीन घंटे तक चली बैठक के बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रार्थना के लिए सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के आदेश को लागू करने के लिए बाध्य है क्योंकि उस पर कोई स्थगन नहीं लगा है.
विपक्ष ने इस बैठक को ढोंग करार दिया. श्रद्धालुओं के राज्यव्यापी प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने यह बैठक बुलाई थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर वर्षों पुरानी रोक समाप्त कर दिया था.
विजयन ने कहा, ‘सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 28 सितंबर के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाया गया है. इसका मतलब है कि 10-50 साल उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने का अधिकार है.’
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और भाजपा के प्रतिनिधि इस अहम बैठक से चले गए. यह सर्वदलीय बैठक दो महीने तक चलने वाले तीर्थाटन सीजन के लिए मंदिर के 17 नवंबर को खुलने से पहले बुलाई गई थी. इस सीजन में लाखों श्रद्धालुओं के सबरीमाला मंदिर में पहुंचने की संभावना है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने सरकार पर अड़ियल होने का आरोप लगाया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरण पिल्लै ने बैठक को समय की बर्बादी बताया.
इस बीच, मंदिर से संबद्ध पंडलाम राज परिवार ने विजयन से कहा कि मंदिर के रीति-रिवाज और परंपराओं के संबंध में उसके रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है और वह युवतियों के प्रवेश के खिलाफ है.
परिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा और तांत्री (प्रमुख पुरोहित) कंडारारु राजीवारु ने इस मुद्दे पर अलग से हुई बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री के सामने यह राय रखी. वर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम युवतियों के प्रवेश के विरुद्ध हैं. इस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.’
राजीवारु ने कहा, ‘हम युवतियों से बस सबरीमाला नहीं आने की अपील कर सकते हैं.’ मुख्यमंत्री ने उन्हें अदालत के आदेश के संबंध सरकार की सीमाओं से अवगत कराया.
सर्वदलीय बैठक में विजयन ने इस मांग को खारिज कर दिया कि सरकार अदालत से उसके आदेश को लागू करने के लिए समय मांगे क्योंकि कई समीक्षा याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि सरकार यह नहीं कह सकती है कि धार्मिक विश्वास संविधान से ऊपर है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ सुझाव रखे जिनमें युवतियों की पूजा अर्चना के लिए सभी दिनों के बजाय कुछ दिन तय कर दिए जाएं. इस पर सभी पक्षों को चर्चा करना है.
उन्होंने कहा कि माकपा की अगुवाई वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार अड़ियल नहीं बल्कि अदालत का आदेश लागू करने के दायित्व से बंधी है. चेन्निथला ने कहा कि सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है और उसने विपक्ष के सुझावों को मानने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री के जवाब के बाद हमने बैठक से चले जाने का निर्णय लिया. बैठक बस ढोंग थी, सरकार किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं थी.’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत यूडीएफ श्रद्धालुओं के साथ है और सबरीमला में शांति और सद्भाव चाहती है लेकिन सरकार का लक्ष्य तीर्थाटन को ‘नष्ट’ करना है जहां हर साल दुनियाभर से लाखों लोग आते हैं.
उन्होंने कहा कि यह श्रद्धालुओं पर सरकार द्वार युद्ध की घोषणा है. मुख्यमंत्री और सरकार सबरीमला में किसी भी हिंसा या अप्रिय घटना के लिए जिम्मेदार होंगे.
भाजपा नेता पिल्लै ने आरोप लगाया कि विजयन माकपा प्रदेश मुख्यालय एकेजी सेंटर द्वारा लिखी पटकथा के साथ आए थे और केरल को ‘स्टालिन का रुस’ बनाने का प्रयास चल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हम लोकतांत्रिक ढंग से सरकार के फैसले का विरोध करेंगे.’उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक सभी का विचार जानने और हल पर पहुंचने के लिए बुलाई गयी थी लेकिन सरकार ने सुझावों को ठुकरा दिया.
उधर वर्मा ने कहा कि सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बैठक हुई और मुख्यमंत्री ने कुछ सुझाव रखे. वर्मा और प्रधान पुरोहित ने कहा, ‘हम उनका परीक्षण करेंगे और चर्चा करेंगे एवं निर्णय लेंगे.’
अदालती आदेश को लागू करने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य में कांग्रेस, भाजपा, आरएसएस और दक्षिणपंथी संगठनों के कई प्रदर्शन हो चुके हैं.
अदालत के आदेश के बाद पिछले महीने से दो बार यह मंदिर खुला और कुछ महिलाओं ने उसमें प्रवेश की कोशिश की परंतु श्रद्धालुओं और विभिन्न हिंदू संगठनों के प्रदर्शन के चलते वे प्रवेश नहीं कर पाईं.
Kochi: Trupti Desai, founder of Bhumata Brigade, having breakfast at Cochin International Airport as she hasn't been able to leave the airport yet due to protests being carried out against her visit to #Sabarimala Temple. #Kerala pic.twitter.com/ILDV7silTx
— ANI (@ANI) November 16, 2018
इस बीच, महिला अधिकार कार्यकर्ता और भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक तृप्ति देसाई छह अन्य महिलाओं के साथ कोच्चि एयरपोर्ट पहुंच गई हैं. उन्होंने राज्य सरकार से सुरक्षा मांगी है.
भगवान अयप्पा मंदिर में माहवारी आयु वर्ग वाली महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के कारण तृप्ति देसाई एयरपोर्ट से बाहर नहीं आ सकीं हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देसाई और उनके साथियों को हवाई अड्डे से बाहर नहीं आने दिया जाएगा.
देसाई पुणे से तड़के करीब चार बजकर 40 मिनट पर यहां पहुंची.
अदालती आदेश का विरोध कर रहे संगठनों ने कहा है कि वे मंदिर में प्रवेश की युवतियों की किसी भी कोशिश का गांधीवादी तरीके से विरोध करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)