वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों के इस फैसले पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनके पास छिपाने को बहुत कुछ है, वे ही अपने राज्यों में सीबीआई को नहीं आने दे रहे हैं.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने सीबीआई को राज्य में छापे मारने या जांच करने के लिए दी गई ‘सामान्य रजामंदी’ शुक्रवार को वापस ले ली. राज्य सचिवालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.
पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले से ठीक पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने भी यही कदम उठाया है.
आंध्र प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को अपना समर्थन जताया था.
उन्होंने कहा, ‘चंद्रबाबू नायडू ने बिल्कुल सही किया. भाजपा अपने राजनीतिक हितों और प्रतिशोध के लिए सीबीआई व अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.’
Andhra Pradesh CM Chandrababu Naidu has done the right thing in saying that he won't allow Central Bureau of Investigation (CBI) in his state: West Bengal CM Mamata Banerjee pic.twitter.com/OZVATm6mP7
— ANI (@ANI) November 16, 2018
मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक इसके बाद ममता बनर्जी ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें यह फैसला लिया गया.
पश्चिम बंगाल में 1989 में तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने सीबीआई को सामान्य रजामंदी दी थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर होने की शर्त पर कहा कि शुक्रवार की अधिसूचना के बाद सीबीआई को अब से अदालत के आदेश के अलावा अन्य मामलों में किसी तरह की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.
सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून के तहत काम करती है. इससे पहले आंध प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सीबीआई को राज्य में छापे मारने और जांच करने के लिए दी गई ‘सामान्य रजामंदी’ वापस ले ली.
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री (गृह) एन चिना राजप्पा ने संवाददाताओं से कहा कि सहमति वापसी लेने की वजह देश की प्रमुख जांच एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोप हैं. इसके बाद ममता सरकार का फैसला सामने आया.
आंध्र सरकार के इस कदम को मोदी सरकार और मुख्यमंत्री नायडू के बीच टकराव और बढ़ने के तौर पर देखा जा रहा है. नायडू 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबले के लिए गैर-भाजपा दलों का मोर्चा बनाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि राजप्पा ने साफ किया कि सीबीआई केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ राज्य की अनुमति के बिना जांच कर सकती है.
वहीं नायडू के इस कदम को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी समर्थन मिला है.
बिलकुल सही किया चंद्रबाबु जी ने। मोदी जी CBI और इंकम टैक्स विभाग का दुरुपयोग कर रहे हैं। आज तक नोटबंदी, विजय माल्या, राफ़ेल, सहारा बिडला डायरी आदि घोटाले करने वालों को CBI ने क्यों नहीं पकड़ा?
नायडू जी, इंकम टैक्स वालों को भी अपने राज्य में मत घुसने देना https://t.co/IfH6UWueHv
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 16, 2018
भाजपा का पलटवार
उधर, भाजपा ने नायडू सरकार के फैसले को भ्रष्टाचार, वित्तीय गड़बड़ियों और अन्य आपराधिक कृत्यों को बचाने की दुर्भावनापूर्ण कवायद कहा.
भाजपा के राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिंहा राव ने एक बयान में कहा, ‘राज्य सरकार ने सीबीआई में हालिया घटनाक्रम का हवाला कमजोर बहाने के तौर पर किया है और उसकी मंशा भ्रष्टों को बचाने एवं भ्रष्टाचार व आपराधिक कृत्यों में शामिल लोगों और संगठनों को राजनीतिक संरक्षण देने की है.’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों के इस फैसले पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि जिनके पास छिपाने को बहुत कुछ है, वे ही अपने राज्यों में सीबीआई को नहीं आने दे रहे हैं.
Only those who have a lot to hide have taken the step of not letting CBI come to their state. There is no sovereignty of any state in the matter of corruption. Andhra move is not motivated by any particular case but in fear of what is likely to happen: Union Minister Arun Jaitley pic.twitter.com/fPOH2BWW2b
— ANI (@ANI) November 17, 2018
उन्होंने कहा, ‘केवल वही जिनके पास छिपाने को बहुत है, वे ही सीबीआई को अपने राज्य में नहीं आने दे रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामले में किसी भी राज्य की कोई संप्रभुता नहीं है. आंध्र सरकार का यह कदम किसी विशेष मामले के चलते नहीं बल्कि आगे क्या हो सकता है इस डर के चलते लिया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)