दो दशकों से उठ रही मराठा आरक्षण की मांग को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मंज़ूरी दी. आरक्षण का प्रतिशत अभी तय नहीं.
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने की घोषणा की है.
रविवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. मराठा समुदाय आरक्षण को लेकर दो दशकों से आंदोलन कर रहा था और लगभग महाराष्ट्र भर में 58 रैली की गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार फड़नवीस ने कहा कि मराठा समुदाय को एसईबीसी (सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग) के तहत अलग से आरक्षण दिया जायेगा. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि मराठा समुदाय को कितने प्रतिशत आरक्षण मिलेगा.
सोमवार को विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले रविवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘हमने नवनिर्मित श्रेणी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग के तहत मराठा समुदाय आरक्षण देने का निर्णय लिया है. भारतीय संविधान में किसी समुदाय के लिए आरक्षण को बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रावधान है, बशर्ते इसका सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ापन स्थापित हो.’
#Maratha reservation:
We received Backward Class Commission report with 3 recommendations.
Independent reservation will be given to Maratha community in SEBC.
We constituted a Cabinet Sub-committee to take statutory steps for implementing the recommendations: CM @Dev_Fadnavis pic.twitter.com/K1jwRDRlND— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) November 18, 2018
उन्होंने यह भी कहा कि मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देने का निर्णय इसलिए भी लिया गया ताकि इसका प्रभाव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे पर न पड़े और इसके अलावा संवैधानिक और क़ानूनी बाधा न उत्पन्न हो.
रविवार को फड़नवीस ने कहा, ‘मराठा समुदाय को स्वतंत्र श्रेणी यानी अलग से आरक्षण देने का सरकार का निर्णय है और इसका ओबीसी आरक्षण से कोई लेना-देना नहीं है. ये आरक्षण किसी और के हिस्से से काटकर नहीं दिया जा रहा है.’
यह बताया जा रहा है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में फड़नवीस सरकार इस जुड़े बिल को सदन में पेश करेगी.
वर्तमान में महाराष्ट्र में कुल आरक्षण 52 प्रतिशत है. अनुसूचित जातियों के लिए 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 19 प्रतिशत, विशेष पिछड़ा वर्गों के लिए 2 प्रतिशत, विमुक्ता जाति के लिए 3 प्रतिशत, घुमंतू जनजाति-बी के लिए 2.5 प्रतिशत, घुमंतू जनजाति-सी (धनगर) के लिए 3.5 प्रतिशत और घुमंतू जनजाति-डी (वंजारी) के लिए 2 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है.
अब तक मराठा समुदाय की तरफ से 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग की गई है, सरकार की ओर से एक कैबिनेट स्तरीय उप-समिति का गठन किया है, जो इस बारे में निर्णय लेगी.
50 प्रतिशत तक आरक्षण सीमित करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, ‘भारतीय संविधान में आरक्षण कोटा को सीमित रखने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसके उलट, जब किसी समुदाय को दस्तावेजों के आधार पर सामने रखा जाता है, तब संविधान उन्हें अलग से अपवाद स्वरूप कोटा देता है.’
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु, जहां 69 प्रतिशत आरक्षण है, की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वहां इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन शीर्ष अदालत ने आरक्षण पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है.
मराठा समुदाय की जनसंख्या और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की जनसंख्या लगभग 33 प्रतिशत है और महाराष्ट्र की राजनीति में इस समुदाय का दबदबा है. बीते गुरुवार दी गयी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 37.28 मराठा गरीबी रेखा के नीचे हैं, जबकि आरक्षण के लिए न्यूनतम आधार 25 प्रतिशत को माना जाता है.
यदि किसी समुदाय के 30 प्रतिशत से ज़्यादा लोग कच्चे मकान में रहते हैं, तो उसे सामाजिक पिछड़ा माना जाता है, मराठा समुदाय के मामले में ये आंकड़ा 60 से 65 प्रतिशत है.
शिक्षा में भी मराठा समुदाय राष्ट्रीय साक्षरता सूचकांक में काफ़ी पीछे है. इस समुदाय में आत्महत्या का आंकड़ा, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा है.
दो दशक से आरक्षण की मांग कर रहा है मराठा समुदाय
मराठों ने दो दशक तक कोटा की मांग की है, लेकिन मार्च 2016 से मराठा क्रांति मोर्चा द्वारा 58 शांत रैलियों के माध्यम से सड़क पर जाने के बाद उनके अभियान को गति मिली. आंदोलन के दूसरे चरण में पूरे राज्य में हिंसा और आठ आत्महत्याएं हुई थी.
मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक, राजेंद्र कोंडेन ने सरकार के निर्णय की तारीफ करते हुए कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक निर्णय है. मराठा आरक्षण मांग कई दशकों तक लंबित था. सरकार को अब इस प्रक्रिया को आगे ले जाना चाहिए और कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया पूरा करने के बाद जल्द से जल्द इस लागू करना चाहिए.’
वहीं ओबीसी क्रांति परिषद के प्रमुख अनिल महाजन ने कहा, ‘चूंकि सरकार ने एक अलग श्रेणी के तहत मराठा को आरक्षण देने का फैसला किया है, हमारी सरकार से कोई शिकायत नहीं है. हमारी चिंता बस यह थी कि ओबीसी कोटा बरकरार रहना चाहिए.’
सदन में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने कहा, ‘हम कमीशन की रिपोर्ट का समर्थन करने और मराठों को एक विशेष श्रेणी के तहत आरक्षण देने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं. लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसे किसी भी कानूनी चुनौती के बिना लागू किया जाए.’