सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बीते हफ्ते बिहार पुलिस ने मंजू वर्मा के बेगूसराय स्थित घर के बाहर संपत्ति जब्त करने का नोटिस लगाया था, जिसके बाद मंजू वर्मा ने मंगलवार को स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण किया.
बेगूसराय: मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में जांच से बचने के प्रयासों में फरार चल रही बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने बेगूसराय की एक अदालत में मंगलवार को आत्मसमर्पण कर दिया. बालिका गृह कांड मामले की जांच के लिए वर्मा के खिलाफ शस्त्र कानून में मामला दर्ज है.
मंजू वर्मा एक ऑटो रिक्शा में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभात त्रिवेदी की अदालत में आईं. कुछ सहयोगियों के साथ आई वर्मा अदालत परिसर में प्रवेश करते ही बेहोश हो गईं.
आस-पास के लोगों ने जब वर्मा के मुंह पर पानी के छींटे मारे तब उन्हें होश आया. बाद में उन्हें अदालत कक्ष में ले जाया गया.
इससे पहले 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र इस्तीफा देने वाली बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उन्हें गिरफ़्तार न किए जाने पर नाराज़गी जताते हुए राज्य के डीजीपी को तलब किया था.
मालूम हो कि शीर्ष अदालत मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई कर रही है, जहां उसने पिछली सुनवाई में बिहार पुलिस को चार्जशीट दायर करने को कहा था, साथ ही सरकार से यह भी सवाल किया था कि पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उन्हें क्यों नहीं गिरफ़्तार किया गया है.
इसके जवाब में बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि मंजू वर्मा नहीं मिल रही हैं.
इसके बाद बीते शुक्रवार को बिहार पुलिस के एडीजी एसके सिंघल ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि अगर मंजू वर्मा जल्द आत्मसमर्पण नहीं करती हैं तो बिहार पुलिस उनकी संपत्ति जब्त करेगी.
अमर उजाला की ख़बर के अनुसार, शनिवार को ही वर्मा के बेगूसराय स्थित घर के बाहर संपत्ति जब्त करने संबंधी नोटिस लगा दिया गया था. उनकी की संपत्ति जब्त करने का आदेश बेगूसराय की मंझौल अदालत ने दिया था.
इससे पहले 29 अक्टूबर को पूर्व मंत्री के पति चंद्रशेखर वर्मा ने हथियार रखने के मामले में बेगूसराय की अदालत में आत्मसमर्पण किया था.
मालूम हो कि मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था. उनके घर पर पड़े सीबीआई के छापे में अवैध हथियार और करीब 50 कारतूस बरामद हुए थे.
शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को मामले में जांच के लिए सीबीआई की एक नई टीम के गठन से संबंधित पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर यह कहकर रोक लगा दी कि इससे न सिर्फ जारी जांच पर असर पड़ेगा बल्कि यह पीड़ितों के लिए भी नुकसानदायक होगा.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस-टिस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था.
चिकित्सकीय जांच में आश्रय गृह की 42 में से 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई थी. टिस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आश्रय गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी.
इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
दो आरोपियों की ज़मानत अर्ज़ी खारिज
मुजफ्फरपुर की एक अदालत ने आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में मुकदमे का सामना कर रहे राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग के दो निलंबित अधिकारियों की जमानत याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दीं.
विशेष पोस्को न्यायाधीश आरपी तिवारी ने रवि रोशन और रोज़ी रानी की जमानत अर्जियां खारिज कर दीं. दोनों ही पहले यहां जिला बाल संरक्षण इकाई में सहायक निदेशक के तौर पर तैनात थे.
रोशन को जुलाई में मुजफ्फरपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उस वक्त इस मामले की जांच जिला पुलिस कर रही थी. वहीं रानी को सितंबर में सीबीआई ने पकड़ा था. इस मामले में एक दर्जन से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
रानी और रोशन को पटना की बेउर केंद्रीय जेल में रखा गया है जबकि अन्य मुजफ्फरपुर की जेल में बंद है.
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) के ऑडिट में हुए इस मामले के खुलासे के बाद राज्य के समाज कल्याण विभाग ने पिछले महीने प्राथमिकी दर्ज कराई थी और दस लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)