महज़ 7 फीसदी मतदान वाले श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में फ़ारूक़ जीते

फ़ारूक़ ने कहा, घाटी के खराब हालातों के बावजूद लोग बाहर आए और वोट किया जो ये साबित करता है कि उनका नेशनल कांफ्रेस पर भरोसा है.

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फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, घाटी के खराब हालातों के बावजूद लोग बाहर आए और वोट किया जो ये साबित करता है कि उनका नेशनल कांफ्रेंस पर भरोसा है.

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फ़ारूक़ अब्दुल्ला (फाइल फोटो: पीटीआई)

नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की है. अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में सत्ताधारी पीडीपी उम्मीदवार नजीर खान को 10,700 से अधिक मतों से पराजित किया.

अधिकारियों ने बताया कि अब्दुल्ला को करीब 48,554 वोट जबकि खान को 37,779 वोट मिले. लोकसभा सीट के लिए मतदान नौ अप्रैल को व्यापक हिंसा के बीच हुआ था जिसमें आठ व्यक्तियों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.

सीट के लिए हुए उपचुनाव में 7.13 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था जो कि इतिहास में सबसे कम है. चुनाव आयोग ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के 38 मतदान केंद्रों पर 13 अप्रैल को पुनर्मतदान का आदेश दिया था.

इन 38 मतदान केंद्रों पर हुए पुनर्मतदान में सिर्फ 2.02 फीसदी वोटिंग हुई. कश्मीर में यह अब तक का सबसे कम मतदान है.

इस जीत के बाद अब्दुल्ला ने महबूबा सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम साबित हुई है.

उन्होंने केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से प्रदेश में राज्यपाल शासन लगाने की मांग की. उन्होेंने यह भी कहा कि घाटी के खराब हालातों के बावजूद लोग बाहर आए और वोट किया जो ये साबित करता है कि उनका नेशनल कांफ्रेंस पर भरोसा है.

फ़ारूक़ ने यह भी कहा कि राज्य में आने वाले समय में जो भी चुनाव कराए जाएं वो सभी राज्यपाल शासन के अंतर्गत हो.

लोकसभा सदस्य के तौर पर अब्दुल्ला का यह तीसरा कार्यकाल होगा जिनकी जीत को सत्ताधारी पीडीपी के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. इससे पहले वह 1980 और 2009 मेें लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.

चुनाव मैदान में यद्यपि सात अन्य उम्मीदवार थे लेकिन तीसरे स्थान पर नोटा रहा क्योंकि 930 से अधिक लोगों ने इस विकल्प का चयन किया. नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकर्ताओं ने नौ अप्रैल को सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए आठ युवकों के सम्मान में पार्टी अध्यक्ष अब्दुल्ला की जीत का जश्न नहीं मनाया.

उपचुनाव कराना इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि तत्कालीन पीडीपी नेता तारिक हामिद कर्रा ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. कर्रा ने अपना इस्तीफा हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी बुरहान वानी के गत वर्ष मारे जाने के बाद अशांति के दौरान लोगों पर हुए अत्याचार के खिलाफ दिया था.