छत्तीसगढ़ के भटगांव विधानसभा के पांच, सीतापुर विधानसभा के दो, जांजगीर-चांपा ज़िले के दो, कोरबा ज़िले और बालोद ज़िले के एक-एक गांव के लोगों द्वारा मतदान न करने की सूचना.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरा और आखिरी चरण का मतदान 20 नवंबर को संपन्न हुआ, जिसमें 76.34 प्रतिशत मतदान हुआ. पहले चरण के मुक़ाबले दूसरे चरण का मतदान शांतिपूर्ण रहा. लेकिन, खबरों के मुताबिक कुछ गांवों में लोगों ने सामूहिक रूप से मतदान का बहिष्कार किया. इसका कारण ये बताया जा रहा है कि गांवों में बुनियादी सुविधाओं के न होने के चलते वो नाराज़ थे.
पत्रिका में छपी ख़बर के मुताबिक भटगांव विधानसभा क्षेत्र के पांच गांवों के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया. वे अपने गांवों में सड़क, बिजली, पानी आदि की बुनियादी सुविधाएं न मिलने से नाराज़ थे.
इन पांच गांवों में- पालकेंवरा, घुईडीह, छतरंग, बांकी, बेलामी, बनगंवा शामिल हैं. यहां के लगभग 2500 लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया. उनके मुताबिक गांवों में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. उन्हें पेंशन जैसी सरकारी सुविधाओं के लिए 65 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. उसके लिए कई-कई दिनों तक ऑफिसों का चक्कर लगाना पड़ता है. वे कई बार खुद को कोरिया जिले से जोड़ने की मांग करते रहे हैं.
सरगुजा ज़िले के सीतापुर विधानसभा क्षेत्र से दो गांवों ने भी सामूहिक रूप से मतदान का बहिष्कार किया. दोनों गांवों में लगभग 1200 मतदाता हैं. यहां के लोगों ने लगभग एक महीना पहले से अपने गांव के बाहर मतदान का बहिष्कार करने का बोर्ड टांग दिया था.
सीतापुर विधानसभा क्षेत्र के नवापारा खुर्द और नानदमाली के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया. मतदान बहिष्कार की सूचना मिलने के बाद लोगों को समझाने के लिए प्रशासन के अधिकारी पहुंचे थे. मतदान को प्रभावित करने वाले कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया था. इसके बावजूद करीब 200 लोगों ने ही मतदान किया.
वहां के लोगों की नाराज़गी इस बात को लेकर है कि वहां से गुज़रने वाली सड़क को बनाने के लिए स्वीकृति मिली थी, लेकिन अभी तक नहीं बनी. इसके अलावा दोनों गांवों में कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं.
जांजगीर-चांपा ज़िले के दो गांवों- बगरैल और मड़वा के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया. बगरैल के लोगों सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं न मिलने की वजह से मतदान का बहिष्कार किया. मड़वा के लोगों ने सरकार द्वारा ज़मीन अधिग्रहण करने और प्रभावितों को रोज़गार उपलब्ध न कराने को लेकर नाराज़ हैं.
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों गांवों के लोगों पर नेता और प्रशासनिक अधिकारियों के समझाइश का भी कोई असर नहीं हुआ. मड़वा के लोगों को समझाइश देने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी मोतीलाल देवांगन और भाजपा के पूर्व विधायक खिलावन साहू गए थे. हालांकि पीठासीन अधिकारियों ने बताया कि मड़वा में दो वोट और बगरैल में मात्र एक वोट पड़ा है. लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि दोनों बूथों पर एक भी वोट नहीं पड़ा है.
कोरबा ज़िले के रामपुर विधानसभा क्षेत्र में जमनीपाली गांव के मतदाताओं ने चार सूत्रीय मांगों को लेकर मतदान का बहिष्कार किया. उनकी मांगे हैं कि गांव के बीच चल रही कोलवॉशरी को बंद किया जाए, सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए गांव तक नहर बनाया जाए, कोरबा-चांपा मार्ग पर गांव में लगी मिर्गा तालाब के किनारे पुल बनाया जाए. गांव में कुल 888 मतदाता हैं. प्रशासनिक अधिकारियों के समझाने के बावजूद वहां एक भी वोट नहीं पड़ा.
बालोद ज़िले के औंराभाठा गांव के ग्रामीणों ने भी 100 साल पुरानी समस्या को हल करने की मांग करते हुए मतदान का बहिष्कार किया. औंराभाठा में 200 मतदाता हैं. चुनाव अधिकारी और तहसीलदार उन्हें समझाने पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती मतदान नहीं करने की बात कही.
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान हुए. पहले चरण की 18 सीटों पर 76 फीसदी मतदान हुआ था वहीं दूसरे चरण में 19 ज़िलों की 72 सीटों पर मत प्रतिशत 71.93 रहा.