पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का प्रस्ताव भेजने का दावा किया.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में तेज़ी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया. साथ ही कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है.
एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है.
इससे कुछ ही समय पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
मुफ़्ती ने बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं.
उन्होंने लिखा, ‘आपको मीडिया की ख़बरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है. नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है.’
महबूबा ने अपने पत्र में कहा, ‘चूंकि इस समय मैं श्रीनगर में हूं, इसलिए मेरा आपसे तत्काल मुलाकात करना संभव नहीं होगा और यह आपको इस बाबत सूचित करने के लिए है कि हम जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आपकी सुविधानुसार मिलना चाहेंगे.’
इसके बाद महबूबा मुफ़्ती ने एक ट्वीट करके बताया कि उनका सरकार बनाने के दावे का फैक्स राजभवन नहीं जा रहा है.
Have been trying to send this letter to Rajbhavan. Strangely the fax is not received. Tried to contact HE Governor on phone. Not available. Hope you see it @jandkgovernor pic.twitter.com/wpsMx6HTa8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
राजभवन को फैक्स न मिलने की वजह से महबूबा मुफ़्ती ने इसे ट्विटर पर ही साझा कर दिया. सरकार बनाने का पत्र साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘राजभवन में पत्र भेजने की कोशिश कर रही हूं, हैरानी की बात है कि फैक्स उन्हें नहीं मिला है. माननीय राज्यपाल से फोन पर बात करने की भी कोशिश की लेकिन वी उपलब्ध नहीं हो सके. आशा है आप इसे देख लेंगे.’
PS – In todays age of technology, it is very strange that the fax machine at HE Governor’s residence didn’t receive our fax but swiftly issued one regarding the assembly dissolution. 🤔4/4
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
उन्होंने कहा, ‘तकनीक के युग में हैरान करने वाली बात है कि राज्यपाल आवास में लगी फैक्स मशीन को हमारे द्वारा भेजा गया फैक्स नहीं मिल सका, लेकिन विधानसभा भंग करने की सूचना आसानी से जारी कर दी गई.’
महबूबा ने ट्वीट करके कहा कि पिछले पांच महीनों से राजनीतिक संबद्धताओं की परवाह किए बगैर, ‘हमने इस विचार को साझा किया था कि विधायकों की ख़रीद फरोख़्त और दलबदल को रोकने के लिए राज्य विधानसभा को तत्काल भंग किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा,‘लेकिन हमारे विचारों को नज़रअंदाज़ किया गया, लेकिन किसने सोचा होगा कि एक महागठबंधन का विचार इस तरह की बैचेनी देगा.’
इसके बाद उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘जम्मू कश्मीर राजभवन को नई फैक्स मशीन की तुरंत ज़रूरत है.’
Raj Bhavan Jammu fax machine at work 😀 pic.twitter.com/RyLOhvQinc
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 21, 2018
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि उनकी पार्टी पांच महीनों से विधानसभा भंग किए जाने का दबाव बना रही थी. यह कोई संयोग नहीं हो सकता कि महबूबा मुफ़्ती के दावा पेश किए जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर अचानक विधानसभा को भंग किए जाने का आदेश आ गया.
इसी बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का आदेश जारी कर दिया. इस पर मुफ़्ती ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. इनमें से कई को उमर अब्दुल्ला ने रिट्वीट भी किया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केंद्र की भाजपा सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी.
आज़ाद ने कहा, ‘स्पष्ट है कि भाजपा की नीति यही है कि या तो हम हों या कोई नहीं.’
उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा बुधवार को पेश किया था.
लोन लंदन से दिल्ली की एक उड़ान में थे. इसी दौरान उन्होंने राज्यपाल को वॉट्एप के ज़रिये संदेश भेजा जिसमें उन्होंने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया.
लोन ने राज्यपाल को एक पत्र लिख कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है.
उनका कहना था, ‘जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के लिए फोन पर हुई हमारी बातचीत के बाद मैं जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा में भाजपा और 18 अन्य निर्वाचित सदस्यों के समर्थन से सरकार बनाने का औपचारिक रूप से दावा पेश करता हूं.’
लोन ने कहा था कि जब उनसे कहा जाएगा तब वह भाजपा विधायक दल तथा अन्य सदस्यों के समर्थन का पत्र पेश करेंगे.
इससे पहले दिन में वरिष्ठ पीडीपी नेता अल्ताफ़ बुख़ारी ने दावा किया कि लगभग 60 विधायक 87 सदस्यीय सदन में प्रस्तावित गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भगवा पार्टी द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में बेहतर विकल्प यह है कि यहां जल्द से जल्द नए विधानसभा चुनाव कराए जाए.
भाजपा ने विपक्षी पार्टियों के प्रस्तावित गठबंधन की निंदा करते हुए इसे ‘आतंक-अनुकूल पार्टियों का गठबंधन’ बताया.
जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों के दावों के बीच राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किये जाने के तुरन्त बाद भाजपा ने ट्वीटर पर कहा कि सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए यह सीमाई राज्य विधायकों की ख़रीद फरोख़्त और अस्थिरता का जोख़िम नहीं उठा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)