बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि भीम आर्मी जैसे संगठन लोगों को जातियों के नाम पर एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे केवल हिंसा होगी और समाज का ध्रुवीकरण होगा.
नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भीम आर्मी और इसके प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद पर एक बार फिर निशाना साधा है.
भीम आर्मी और इसके प्रमुख पर निशाना साधते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे भीम आर्मी जैसे संगठनों से दूर रहें जो चंदा जुटाने के लिए अपनी रैलियों में कथित तौर पर उनका तथा बसपा का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं.
मायावती ने कहा कि ऐसे संगठन चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के हाथों में खेल सकते हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के संगठन लोगों को जातियों के नाम पर एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे केवल हिंसा होगी और समाज का ध्रुवीकरण होगा.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मायावती का यह बयान भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद के उसे बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने मायावती को प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन देने की बात कही थी.
रिपोर्ट के अनुसार, मायावती ने कहा कि बसपा को मालूम चला है कि ऐसे संगठन हमारे विपक्ष द्वारा पर्दे के पीछे से चलाए जा रहे हैं. जो लोग भी बसपा विरोधी संगठनों को चला रहे हैं वह दलित कालोनियों में रहने वाले हमारे भोले-भाले लोगों को बता रहे हैं कि वह मायावती को प्रधानमंत्री बनाएंगे.
मालूम हो कि इसके पहले बीते 16 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने कहा था, ‘मैं देख रही हूं कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ में तो कुछ लोग अपने बचाव में और कुछ लोग ख़ुद को नौजवान दिखाने के लिए कभी मेरे साथ भाई-बहन का तो कभी बुआ-भतीजे का रिश्ता जोड़ रहे हैं.’
उन्होंने कहा था कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई हिंसा के मामले में अभी हाल में रिहा हुआ व्यक्ति (चंद्रशेखर उर्फ रावण) उनके साथ बुआ का नाता जोड़ रहा है.
उन्होंने कहा था कि उनका कभी भी ऐसे लोगों के साथ कोई सम्मानजनक रिश्ता नहीं क़ायम हो सकता. अगर ऐसे लोग वाकई दलितों के हितैषी होते तो अपना संगठन बनाने की बजाए बसपा से जुड़ते.
बहरहाल लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर मुद्दा उठाने पर शनिवार को मायावती ने भाजपा और शिवसेना पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह इन दलों की अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने की ‘राजनीतिक चाल’ है.
उन्होंने कहा कि क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में है, इसलिए दलों और संगठनों को परिणाम का इंतजार करना चाहिए तथा मुद्दे को इस तरह नहीं उठाना चाहिए.
बसपा प्रमुख ने मीडिया के समक्ष एक बयान में कहा, ‘अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने राम मंदिर का मुद्दा उठाया है. यदि उनका इरादा नेक होता तो वे पांच साल इंतजार नहीं करते. यह उनकी राजनीतिक चाल के सिवाय और कुछ नहीं है. शिवसेना और विहिप जैसे उनके सहयोगी जो कुछ कर रहे हैं, वह उनकी साजिश का हिस्सा है.’
राम मंदिर के जल्द निर्माण के लिए विभिन्न संगठन आज अयोध्या में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)