संविधान के सुझावों पर ध्यान नहीं देने से अराजकता तेज़ी से बढ़ेगी: मुख्य न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान की बातों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेज़ी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा.

New Delhi: Chief Justice of India Justice Dipak Misra and CJI-designate Justice Ranjan Gogoi during the launch of SCBA Group Life Insurance policy, at the Supreme court lawns, in New Delhi, Tuesday, Sep 26, 2018. (PTI Photo/ Shahbaz Khan) (PTI9_26_2018_000111B)
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान की बातों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेज़ी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा.

New Delhi: Chief Justice of India Justice Dipak Misra and CJI-designate Justice Ranjan Gogoi during the launch of SCBA Group Life Insurance policy, at the Supreme court lawns, in New Delhi, Tuesday, Sep 26, 2018. (PTI Photo/ Shahbaz Khan) (PTI9_26_2018_000111B)
सीजेआई रंजन गोगोई (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा है कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेज़ी से बढ़ेगी.

मुख्य न्यायाधीश ने संविधान दिवस यानी 26 नवंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि संविधान हाशिये पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की भी आवाज़ है और यह अनिश्चितता तथा संकट के वक़्त में सतत् मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है.

उन्होंने कहा, ‘संविधान की बातों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेज़ी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा.’

गोगोई ने कहा, ‘संविधान भारत की जनता के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, अदालतें रोज़ाना जिस प्रकार के विभिन्न मुद्दों पर सुनवाई करती हैं उसे लोगों को देखना चाहिए.’

गोगोई ने आगे कहा, ‘हमारा संविधान हाशिये पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की आवाज़ है. इसका विवेक अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में हमारा मार्गदर्शन करता है.

उन्होंने कहा कि जब संविधान लागू किया गया था उस वक्त व्यापक पैमाने पर इसकी आलोचना हुई थी लेकिन वक्त ने आलोचनाओं को कमजोर किया और बेहद गर्व की बात है कि पिछले अनेक दशक से इसका जिक्र बेहद जोश के साथ किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘संविधान वक़्त से बंधा दस्तावेज़ भर नहीं है और आज जश्न मनाने का नहीं बल्कि संविधान में किए गए वादों की परीक्षा लेने का वक़्त है.’

जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘क्या हम भारतीय आज़ादी, समानता और गरिमा की शर्तों के साथ जी रहे हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें मैं ख़ुद से पूछता हूं. नि:संदेह काफी तरक्की हुई है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. आज हमें सिर्फ जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि भविष्य के लिए एक खाका तैयार करना चाहिए.’

कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपने निहित विश्वास की तुलना में उनके धर्म, जाति, समुदाय, आर्थिक स्थिति या साक्षरता, भारत के संवैधानिक शासन की सबसे सटीक परिभाषा है.

मंत्री आगे कहते हैं, ‘हमें भारत के लोकतंत्र पर भरोसा करने की ज़रूरत है क्योंकि उन्हें यह विश्वास है कि वे किसी भी राजनीतिक नेता या राजनीतिक दल को बेदख़ल कर सकते हैं चाहे वह कितना भी लोकप्रिय हो. चाहे उसके पास कितनी भी शक्ति हो, दिल्ली में या दूसरे राज्यों में.’

भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं. यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं. इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लग गया था.

गौरतलब है कि 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है.