आरएसएस नेता ने सुप्रीम कोर्ट के जजों पर साधा निशाना, कहा- केंद्र मंदिर पर क़ानून लाने को तैयार

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि अयोध्या मामला टालने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है.

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Ranchi: RSS leader Indresh Kumar addresses a press conference, in Ranchi on Monday, July 23, 2018. (PTI Photo) (PTI7_23_2018_000133B)
Ranchi: RSS leader Indresh Kumar addresses a press conference, in Ranchi on Monday, July 23, 2018. (PTI Photo) (PTI7_23_2018_000133B)

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि अयोध्या मामला टालने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है.

Ranchi: RSS leader Indresh Kumar addresses a press conference, in Ranchi on Monday, July 23, 2018. (PTI Photo) (PTI7_23_2018_000133B)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार (फाइल फोटो: पीटीआई)

 नई दिल्ली: राम मंदिर मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के नेता इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार राम मंदिर बनाने के लिए कानून लाने वाली थी लेकिन चुनाव आचार संहिता की वजह से उन्होंने ऐसा नहीं किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कुमार ने कहा,’हो सकता है आदेश लाने के खिलाफ कोई सरफिरा सुप्रीम कोर्ट जाएगा तो आज का चीफ जस्टिस उसे स्टे भी कर सकता है.’

राम मंदिर मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली तीन जजों द्वारा जनवरी में मामले की सुनवाई करने के फैसले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने किसी का नाम नहीं लिया है क्योंकि 125 करोड़ भारतीय उनका नाम जानते हैं. तीन जजों की पीठ..उन्होंने मामले को टरकाया, नकारा, अपमानित किया.’

इतना ही नहीं, इंद्रेश कुमार ने ये भी कहा कि क्या देश इतना बेबस है कि दो-तीन जजों को लोगों के विश्वास, लोकतंत्र, संविधान और संवैधानिक अधिकार का गला घोंटने दे.

कुमार ने आगे कहा, ‘क्या आप और मैं असहाय होकर देखते रहेंगे? क्यों और किसके लिए? जो आतंकवाद को अर्ध रात्रि में सुन सकते हैं, वो शांति को अपमान और उपहास कर दें. यहां तक अंग्रेजों को भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे न्यायिक प्रक्रिया पर ऐसे अत्याचार कर सकें.’

आरएसएस नेता ने दावा किया कि दो-तीन जजों के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है. सभी लोग न्याय का इंतजार कर रहे हैं. लोगों का अभी भी विश्वास है लेकिन दो-तीन जजों की वजह से न्यायपालिका, जजों और न्याय का अपमान हुआ है. इस मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए. समस्या क्या है?

कुमार ने कहा, ‘ये सवाल खड़ा होता है कि यदि वे न्याय देने के लिए तैयार नहीं हैं तो उन्हें ये सोचना चाहिए कि क्या वे जज बने रहना चाहते हैं या इस्तीफा देना चाहते हैं.’

इंद्रेश कुमार ने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम ‘जन्मभूमि से अन्याय क्यों’ में ये बातें कही.

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘भारत का संविधान जजों की बपौती नहीं है, क्या वे कानून से ऊपर हैं.’

साथ ही उन्होंने कहा कि राम जन्म स्थान को बदलने की क्यों इज़ाज़त दी गई, जबकि काबा, वेटिकन और स्वर्ण मंदिर नहीं बदले जा सकते तो राम जन्मभूमि क्यों बदलनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘मस्जिद बनाने की अपनी शर्तें हैं. बाबर को किसी ने जमीन दान में नहीं दी थी, न ही बाबर ने किसी से जमीन खरीदी थी. बाबर ने वहां राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जोकि इस्लाम के मुताबिक गुनाह है.

मालूम हो कि हिंदू संगठनों द्वारा राम मंदिर के मुद्दे को उछाला जा रहा है. दो दिन पहले ही विश्व हिंदू परिषद और शिव सेना ने राम मंदिर मुद्दे को लेकर अयोध्या में दो दिवसीय धर्मसभा का आयोजन किया था. उन संगठनों और संतों ने राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की. हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई होने तक उनकी पार्टी इस पर कोई अध्यादेश नहीं लाएगी.

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने ये भी कहा कि शहंशाह ताजमहल के साथ कोर्ट या इंडस्ट्री भी बनवा सकता था. बाबर भी हम पर शासन करने के लिए आया था. कुछ लोग पूछते हैं कि फैजाबाद को अयोध्या करने से रोजगार मिल जाएगा क्या?  मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या अयोध्या को फैजाबाद करने से रोजगार मिला था?

दरअसल आरएसएस और अन्य हिंदू संगठन सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई टालने की वजह से नाराज हैं. हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था देर से मिला न्याय अन्याय के बराबर होता है.

सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि विवाद मामले पर 22 जनवरी, 2019 को सुनवाई होनी है.

इंद्रेश कुमार द्वारा इस तरह का विवादित बयान देना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले जुलाई महीने में मॉब लिंचिंग पर बोलते हुए, ‘अगर लोग बीफ खाना बंद कर दें तो देश में मॉब लिंचिंग अपने आप रुक जाएगी’ कहा था.