आतंकी हमलों को लेकर ख़ुफिया एजेंसियों पर संसदीय समिति ने उठाए सवाल

समिति ने गृह मंत्रालय से पठानकोट और उड़ी हमलों की जांच जल्द से जल्द पूरी करने के लिए एनआईए को आदेश देने की सिफारिश की.

समिति ने गृह मंत्रालय से पठानकोट और उड़ी हमलों की जांच जल्द से जल्द पूरी करने के लिए एनआईए को आदेश देने की सिफारिश की.

Pathankot PTI
(फाइल फोटो: पीटीआई)

पठानकोट, उड़ी और कुछ अन्य जगहों पर हुए आतंकी हमलों के संदर्भ में ख़ुफिया एजेंसियों की खिंचाई करते हुए एक स्थायी संसदीय समिति ने एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.

समिति ने कहा है कि इन हमलों से एजेंसियों की ख़ामियां उजागर हुईं लेकिन उनकी असफलता का कोई विश्लेषण नहीं किया गया.

गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने कहा है कि दो जनवरी 2016 को पठानकोट स्थित वायुसेना स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ और इसके एक साल बीत जाने के बावजूद राष्ट्रीय जांच एजेंसी इसकी जांच पूरी नहीं कर पाई है.

पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम की अगुवाई वाली समिति ने आगे कहा है कि पठानकोट, उड़ी, पम्पोर, बारामुला और नगरोटा में हुए हमलों के संदर्भ में विश्वसनीय और कार्रवाई योग्य सूचनाएं मुहैया कराने में ख़ुफिया एजेंसियों की विफलता को लेकर, लगता नहीं कि कोई विश्लेषण किया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है समिति का मानना है कि इन हमलों ने हमारी ख़ुफिया एजेंसियों की ख़ामियों को उजागर किया.

पठानकोट हमले में सात सुरक्षाकर्मी मारे गए थे वहीं पिछले साल 18 सितंबर को उड़ी स्थित ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में सेना के 19 जवान शहीद हुए थे. 25 जून 2016 को श्रीनगर जम्मू राजमार्ग पर सीआरपीएफ के वाहनों के काफिले पर हुए आतंकी हमले में अर्धसैनिक बल के आठ जवान मारे गए थे.

जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले में आतंकवादियों ने तीन अक्तूबर 2016 को राष्ट्रीय रायफल्स के शिविर पर हमला कर एक सुरक्षाकर्मी को मार डाला था. 29 नवंबर 2016 को राज्य के नगरोटा में आतंकियों ने सेना के एक शिविर पर हमला कर सात जवानों को मार डाला था.

रिपोर्ट में कहा गया है समिति सिफारिश करती है कि गृह मंत्रालय को इन हमलों की जांच यथाशीघ्र पूरी करने के लिए एनआईए को आदेश देना चाहिए ताकि सीमाई इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था की ख़ामियों का पता चल सके.

घुसपैठ में आई तेजी को ध्यान में रखते हुए समिति ने कहा है कि सरकार को सीमा पार से नियंत्रण रेखा पर होने वाली घुसपैठ के प्रयासों में अचानक आई तेजी की व्यापक जांच करनी चाहिए और उन कारकों का पता लगाना चाहिए जिनका घुसपैठिये फायदा उठाते हैं.

वर्ष 2016 में घुसपैठ के 364 प्रयास हुए जिनमें से 112 सफल रहे जबकि वर्ष 2015 में हुए घुसपैठ के 121 प्रयासों में से 33 प्रयास सफल रहे थे.

समिति ने यह भी कहा कि सीमा के दूसरी ओर से सुरंगों के ज़रिये घुसपैठ की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है.

समिति को लगता है कि यह भविष्य में घुसपैठियों के लिए बड़ा काम बन सकता है और सरकार को ऐसे प्रयासों को नाक़ाम करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय को सीमाई इलाकों में सुरंगों का पता लगाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान तलाशना चाहिए और उन अन्य देशों की मदद लेनी चाहिए जिन्होंने सुरंगों का पता लगाने के लिए सफलतापूर्वक प्रणालियां विकसित की हैं.

बता दें कि पिछले महीने एक अन्य संसदीय समिति ने देश के रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर कड़ी टिप्पणी की थी. समिति ने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमलों के बावजूद सरकार ने इसे रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और संसद की एक हाई पावर संसदीय समिति के अध्यक्ष मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी ने ये टिप्पणी की थी.

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