बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में एक वकील सतीश ऊके द्वारा सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की मौत की जांच के संबंध में याचिका दर्ज करवाई गई है.
नागपुर: सीबीआई न्यायाधीश बीएच लोया की मौत की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से एक खंडपीठ के खुद को अलग करने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के एक अन्य न्यायाधीश ने बुधवार को खुद को मामले से अलग कर लिया.
सोहराबुद्दीन कथित फर्जी मुठभेड़ मामले, जिसमें भाजपा प्रमुख अमित शाह और कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरोपी थे, की सुनवाई कर रहे लोया जज लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी, जिसकी वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था.
कथित फर्जी मुठभेड़ के समय गुजरात के गृहमंत्री रहे अमित शाह को लोया की मौत के महीने भर के अंदर सीबीआई द्वारा इस मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था.
बीते हफ्ते नागपुर के एक वकील सतीश ऊके द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक याचिका दायर करते हुए लोया की मौत की जांच करवाने की थी.
इस याचिका में दावा किया है कि जहर देने के कारण बीएच लोया की मृत्यु हुई थी. सतीश ने याचिका में यह भी कहा है कि उनकी जान को ख़तरा है.
एक अख़बार से बात करते हुए सतीश ने कहा था, ‘मुझे नहीं पता कि मैं कल जिंदा रहूंगा या नहीं. जज लोया की मृत्यु से संबंधित रिकॉर्ड्स नष्ट कर दिए गए, लेकिन हमने कुछ अन्य विभागों के माध्यम से दस्तावेजों दोबारा हासिल किए हैं, जिन्हें मैंने अपनी याचिका के साथ जमा किया है. मेरी अदालत से यही अपील है कि वह इन दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, जिससे जांच हो सके भले ही मैं मर जाऊं.’
सतीश ने यह भी बताया कि उनके पास जज लोया की मौत से जुड़े और सबूत भी हैं, वे बाद में हाईकोर्ट में पेश करेंगे.
सतीश की याचिका 26 नवंबर को यहां जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस एसएम मोदक की पीठ के समक्ष आई, लेकिन उन्होंने इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया.
इसके बाद यह याचिका जस्टिस पीएन देशमुख और जस्टिस स्वप्ना जोशी की पीठ के समक्ष भेजी गई, जिसके बाद जस्टिस जोशी ने बुधवार को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.
गौर करने वाली बात यह है कि जज लोया 1 दिसंबर 2014 को जस्टिस स्वप्ना जोशी की ही बेटी की शादी के समारोह में शामिल होने नागपुर गए थे. जस्टिस एसएम मोदक उनके साथ गए थे.
नवंबर 2017 में जज लोया की मौत की परिस्थितियों पर उठे सवालों के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने और बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने जज लोया की मौत की जांच करवाने की मांग की याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने की थी.
उस समय प्रकाशित हुई मीडिया रिपोर्ट्स में जस्टिस एसबी शुक्रे ने बताया था कि लोया को दिल का दौरा पड़ने के बाद वे उन्हें अस्पताल ले गए थे और जज लोया की मौत की परिस्थितियों के बारे में कुछ भी संदेहास्पद नहीं है.
19 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा कि जज लोया की स्वाभाविक मृत्यु हुई थी और इन याचिकाओं में न्याय प्रक्रिया को बाधित करने तथा बदनाम करने के गंभीर प्रयास किए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह फैसला जज लोया के निधन से संबंधित विवरण के बारे में चार न्यायाधीशों के बयानों पर भरोसा करते हुए दिया गया था, जिसमें जस्टिस एसएम मोदक भी शामिल थे.
ऊके की याचिका में मांग की गई है कि लोया की ‘संदिग्ध’ मौत से संबंधित सभी रिकॉर्डों की रक्षा की जाए, जिसमें राज्य गेस्ट हाउस के रिकॉर्ड भी शामिल हैं. ऊके लोया की मौत की जांच की मांग को लेकर नागपुर में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में भी जा चुके हैं.
ऊके ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय के समक्ष उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)