रिज़र्व बैंक की प्रतिष्ठा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह हमेशा सही हो: अरविंद सुब्रमण्यम

अपनी आने वाली किताब ‘ऑफ काउंसल: द चैलेंजेस ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी’ में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि आईएलएंडएफएस की ताजा विफलता से न केवल वाणिज्यिक बल्कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी प्रभावित हुईं. इन विफलताओं के लिए रिज़र्व बैंक को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

(फोटो: रॉयटर्स)

अपनी आने वाली किताब ‘ऑफ काउंसल: द चैलेंजेस ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी’ में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि आईएलएंडएफएस की ताजा विफलता से न केवल वाणिज्यिक बल्कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी प्रभावित हुईं. इन विफलताओं के लिए रिज़र्व बैंक को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

FILE PHOTO: A security personnel member stands guard at the entrance of the Reserve Bank of India (RBI) headquarters in Mumbai, India, August 2, 2017. REUTERS/Shailesh Andrade/File Photo
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मुंबई: आईएलएंडएफएस के संकट को नियामकीय विफलता करार देते हुए वित्त मंत्री के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि रिज़र्व बैंक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि अपने नियमन के तहत आने वाली सबसे बड़ी इकाइयों में से एक में संकट के मामले में केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी बनती है.

सुब्रमण्यम ने अपनी जल्द आने वाली पुस्तक ‘ऑफ काउंसल: द चैलेंजेस ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी’ में सुब्रमण्यम ने कहा है कि रिज़र्व बैंक की अच्छी प्रतिष्ठा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह हमेशा सही है. वर्षों तक रिज़र्व बैंक ऋण भुगतान की समस्या की गंभीरता या नीरव मोदी और अन्य की धोखाधड़ी को नहीं पकड़ सका.

पेन्गुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित पुस्तक में सुब्रमण्यन ने लिखा है कि आईएलएंडएफएस की ताजा विफलता से न केवल वाणिज्यिक बैंक बल्कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं. इन विफलताओं के लिए रिज़र्व बैंक को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

इस पुस्तक का विमोचन सात दिसंबर को पहले मुंबई में फिर 9 दिसंबर को दिल्ली में किया जाएगा.

सुब्रमण्यम ने कहा कि रिज़र्व बैंक को निगरानी के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी क्षमता सुधारने की जरूरत है और अपने भारी भरकम आरक्षित भंडार के एक हिस्से से संकट में फंसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निर्णायक तरीके से पुन: पूंजीकरण किया जाना चाहिए.

सुब्रमण्यम ने सबसे पहले 2018 की आर्थिक समीक्षा में यह राय दी थी. रिज़र्व बैंक का आरक्षित भंडार 9.7 लाख करोड़ रुपये है.

उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि यह सुझाव देकर मैं रिज़र्व बैंक के मौजूदा और सभी पूर्व गवर्नरों की बात काट रहा हूं, जिनका कहना है कि केंद्रीय बैंक को अपने पास मौजूद पूरी पूंजी की जरूरत है.

हालांकि, सुब्रमण्यम ने आईएलएंडएफएस संकट को लेकर रिज़र्व बैंक की आलोचना की है लेकिन साथ ही उन्होंने केंद्रीय बैंक के हालिया संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा जैसे कुछ कदमों को सराहा भी है.

सुब्रमण्यम अक्तूबर 2014 से जून 2018 के दौरन मुख्य आर्थिक सलाहकार थे.

इससे पहले सामने आए किताब के एक अंश में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने नोटबंदी को एक बड़ा, सख्त और मौद्रिक झटका बताया, जिसने अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत से 6.8% पर पहुंचा दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)