राजधानी नई दिल्ली में हुए किसानों के आंदोलन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के कई नेता साथ नज़र आए. किसानों ने कहा कि राहुल गांधी ने वादे किए हैं, समय आने पर हिसाब लिया जाएगा.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर किसानों के साथ धोख़ा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 15 अमीर दोस्तों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का का क़र्ज़ माफ़ कर सकते हैं तो करोड़ों किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने में उनको परेशानी क्यों है.
गांधी ने शुक्रवार को कृषि क़र्ज़ से मुक्ति और फसल की डेढ़ गुना कीमत दिलाने के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर आयोजित संसद मार्ग पर किसान मुक्ति मार्च में शिरकत करते हुए कहा कि मोदी सरकार के पास किसानों की बात सुनने का वक़्त नहीं है.
गांधी ने क़र्ज़ माफ़ी की मांग को जायज बताते हुए कहा, ‘किसान, मोदी जी से अनिल अंबानी का हवाई जहाज नहीं मांग रहा है, किसान सिर्फ़ यह कह रहा है कि अगर आप अनिल अंबानी को हिंदुस्तान की एयरफोर्स का 30,000 करोड़ रुपये दे सकते हैं, अगर आप अपने 15 मित्रों को 3 लाख 50 हज़ार करोड़ रुपये दे सकते हैं, तो हमारी मेहनत के लिए, हमारे ख़ून के लिए, हमारे पसीने के लिए, आपको हमारा क़र्ज़ माफ़ करके देना ही पड़ेगा.’
उन्होंने किसान के भविष्य और युवाओं के लिए रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा, ‘पिछले साढ़े चार साल में नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने हिंदुस्तान के 15 सबसे अमीर लोगों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ माफ किया है. अब साढ़े बारह लाख करोड़ रुपये जिसे नरेंद्र मोदी जी, अरुण जेटली जी एनपीए कहते हैं, आने वाले समय में वो क़र्ज़ माफ़ करना चाहते हैं.’
गांधी ने किसानों की क़र्ज़ माफ़ी का भरोसा दिलाते हुए कहा, ‘अगर 15 लोगों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये क़र्ज़ माफ किया जा सकता है, तो हिंदुस्तान के करोड़ों किसानों का भी कर्जा माफ़ किया जाएगा.’
क़ानून बनाकर किसानों की समस्या का स्थायी समाधान निकाले जाने की मांग का समर्थन करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘क़ानून बनाना हो, जो भी करना हो, आप हमें बताइए, जो भी आप कहेंगे, हम आपके साथ खड़े होकर दिखाएंगे.’
उन्होंने कहा कि इस समय देश में दो मुद्दे सबसे गंभीर हैं. पहला युवाओं के रोज़गार का संकट और दूसरा किसान का संकट. लड़ाई किसान और युवाओं के भविष्य की है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार अब 12.5 लाख करोड़ रुपये का एनपीए माफ़ करने की योजना बना रही है.
गांधी ने कहा कि सरकार से किसान तोहफ़ा नहीं अपना हक़ मांग रहा है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों का क़र्ज़ पूरी तरह से माफ करने और फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिये कानून बनाने की मांग का समर्थन करते हुये कहा है कि किसानों की इस मांग के साथ विपक्ष के सभी दल एकजुट हैं.
किसान मुक्ति मार्च में किसान सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कहा था कि सही दाम दिलाएंगे, बोनस मिलेगा, न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाएंगे. लेकिन आज हालत यह है कि किसान को न तो फसल का सही दाम मिल रहा है और न ही क़र्ज़ माफ़ हो रहा है.’
उन्होंने सभा में मौजूद अन्य दलों के नेताओं का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘हमारी विचारधारा अलग हो सकती है, मगर किसान और युवाओं के भविष्य के लिए हम सब एक हैं. मोदी जी और भाजपा से हम कहना चाहते हैं कि अगर हमें कानून बदलना पड़े, मुख्यमंत्री बदलना पड़े या प्रधानमंत्री बदलना पड़े, हम किसान का भविष्य बनाने के लिये एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाले हैं.’
बता दें कि किसानों के इस आंदोलन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेता एकजुट नज़र आए.
किसान सभा में राकांपा के शरद पवार, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, माकपा के सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी, नेशनल कांफ्रेस के फ़ारूक़ अब्दुल्ला, भाकपा नेता डी. राजा, भाकपा नेता एस. सुधाकर रेड्डी, आप सांसद संजय सिंह, सपा के धर्मेंद्र यादव, वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव सहित अन्य दलों के नेता भी मौजूद थे.
उधर, किसानों का कहना है कि सारी सरकारें एक जैसी होती हैं. कांग्रेस ने अपने शासन काल में कुछ नहीं किया. अब वादे किए हैं तो समय आने पर हिसाब लिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से आए राम कृपाल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि हमें लगता है सब सरकार एक सी हैं. पहले वादा करती हैं फिर भूल जाती हैं. कांग्रेस ने भी 10 साल हमारे लिए कुछ नहीं किया था देखते हैं आगे क्या होगा.
उत्तर प्रदेश के ही बरेली से आए किसान प्रमोद ने कहा कि अब ये वादा तो करके गए हैं. अगर नहीं करेंगे तो जवाबदेही होगी इनकी. हम उम्मीद लेकर जा रहे हैं.
एनडीटीवी से बातचीत में किसान प्रेम प्रकाश ने कहा कि अभी तो हम बहुत तकलीफ में हैं. मोदी सरकार ने तो हमें बहुत मजबूर कर दिया है. लेकिन अब थोड़ी सी उम्मीद जागी है. नहीं होगा तो दोबारा संघर्ष करेंगे.
केंद्र ने किसानों के लिए एक भी बड़ी पहल लागू नहीं की: सामाजिक कार्यकर्ता और नेता
सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उसने पिछले साढ़े चार साल में किसानों के लिए एक भी बड़ी पहल लागू नहीं की तथा नोटबंदी से देश में कृषि संकट और गहरा गया.
देशभर से राष्ट्रीय राजधानी में एकत्रित हुए तक़रीबन 35,000 किसानों की एक रैली को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने आरोप लगाया, ‘सरकार शुरुआत से ही कॉरपोरेट समर्थक नीतियां लागू कर रही हैं और उसने किसानों के लिए एक भी बड़ा क़दम नहीं उठाया.’
पाटकर ने कहा, ‘भाजपा सरकार का मक़सद किसानों, आदिवासियों की ज़मीन उद्योगपतियों के हाथों में देने का है.’
अखिल भारतीय किसान महासभा (एआईकेएम) के महासचिव राजाराम सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने नोटबंदी के ज़रिये काले धन को सफेद धन में बदलने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी का असर देशभर के किसानों पर पड़ा है.’
समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा किसानों के उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य पाने के उनके अभियान को मजबूत करने का काम किया है.
उन्होंने कहा, ‘हम आपके प्रदर्शनों का समर्थन करने के लिए हमेशा यहां आए हैं और ऐसा करते रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि किसानों को कम नहीं आंकना चाहिए और उनके पास सरकार गिराने की ताकत है.
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अनजान ने आरोप लगाया कि किसानों की ओर नरेंद्र मोदी सरकार के उदासीन रवैये ने कृषि क्षेत्र में संकट पैदा किया और स्थिति ख़राब हो रही है.
शुक्रवार सुबह लगभग 10:30 दस बजे तक़रीबन 35 हज़ार किसानों ने भारी सुरक्षा इंतज़ामों के बीच रामलीला मैदान से संसद भवन तक पैदल मार्च शुरू किया. दिल्ली पुलिस ने लगभग 3500 पुलिसकर्मियों को सुरक्षा इंतजाम के लिए तैनात किया है.
इस दौरान मध्य दिल्ली स्थित रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक विभिन्न इलाकों में यातायात प्रभावित हुआ. पुलिस ने आंदोलनकारियों को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए संसद मार्ग थाने से आगे बढ़ने से रोक दिया.
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव रेड्डी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार सबसे ज़्यादा किसान विरोधी सरकार है.
उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण (संशोधन) विधेयक पारित करने की कोशिश की लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हुआ. अगर भाजपा दोबारा जीत जाती है तो वह विवादित विधेयक को पारित करने के लिए क़दम उठाएगी.’
येचुरी ने कहा, ‘यह वही पुलिस थाना (संसद मार्ग पुलिस थाना) है जहां विधानसभा में बम फेंकने के लिए भगत सिंह को हिरासत में लिया गया था.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास वोटों की ताक़त है. अगर सरकार अपना रुख़ नहीं बदलती तो उसे सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश एकजुट है और हम अगले चुनावों में मोदी को हटा देंगे.’
तृणमूल कांग्रेस नेता दिनेश त्रिवेदी ने कहा, ‘भारत के किसान हमारे सामने खड़े हैं. यह भारत का अभियान है. ममता जी ने आपके लिए प्रेम व्यक्त किया है. अगर आपका संकल्प मजबूत हैं तो आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं.’
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि देश में किसानों की स्थिति बदलने की ज़रूरत है लेकिन सरकार उनकी दुर्दशा की ओर सहानुभूति नहीं दिखा रही है.
मोदी सरकार ने किसानों की पीठ में छूरा घोंपा है: अरविंद केजरीवाल
आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कृषि उपज मूल्य के निर्धारण से सबंधित स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने से मोदी सरकार के मुकरने को किसानों के साथ धोख़ा बताते हुये कहा है कि सरकार ने किसानों की पीठ में छूरा घोंपा है.
केजरीवाल ने किसान सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं करने का हलफ़नामा पेश किया है. यह किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा है. सरकार के पास अभी भी पांच महीने का समय है. सरकार इस हलफ़नामे को वापस लेकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे वरना किसान 2019 में कयामत ढा देंगे.’
उन्होंने किसानों के संकट के लिए क़र्ज़, फसल मूल्य और फसल की सुरक्षा को सबसे बड़ा कारण बताया.
केजरीवाल ने आंदोलनरत किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को किसानों का तत्काल प्रभाव से पूरा क़र्ज़ माफ़ कर भविष्य में फसल की उचित कीमत का भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकें. इसके बाद प्राकृतिक आपदाओं से फसल के नुकसान से किसान को बचाने के लिए बीमा के बजाय दिल्ली की तर्ज पर मुआवज़ा योजना लागू की जानी चाहिए.
केजरीवाल ने मोदी सरकार द्वारा लागू फसल बीमा योजना को धोख़ा बताते हुए कहा कि यह योजना बीमा कंपनियों को मुनाफा देकर किसानों की आय पर डाका डाल रही है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार फसल मुआवज़ा योजना लागू कर 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को मुआवजा दे रही है. उन्होंने कहा कि यह योजना किसानों को फसल के नुकसान का देश में सर्वाधिक मुआवजा देने वाली योजना बन गई है.
केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों के हित साधने का आरोप लगाते हुए कहा ‘मोदी जी को जितनी चिंता अडाणी और अंबानी की है, अगर वह इसकी दस प्रतिशत चिंता भी किसानों की कर लें तो किसानों को आंदोलन करते हुए दिल्ली नहीं आना पड़ेगा.’
किसानों ने पहली बार बनाया किसान घोषणा पत्र: योगेंद्र यादव
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि किसानों ने कृषि संकट के स्थायी समाधान के लिए पहली बार सरकार के समक्ष समस्या के समाधान का मसौदा पेश किया है.
किसान चार्टर और किसान घोषणा पत्र के रूप में इस मसौदे को शुक्रवार को संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में पेश किया जाएगा.
समिति द्वारा आयोजित किसान मुक्ति यात्रा के लिए देशभर से दिल्ली आए किसानों के संसद मार्च में हिस्सा ले रहे यादव ने कहा कि किसानों ने पहली बार कानून का मसौदा बना कर सरकार के समक्ष पेश किया है. किसानों को क़र्ज़ से मुक्ति दिलाने और कृषि उपज की लागत का डेढ़ गुनी कीमत दिलाने से जुड़े प्रस्तावित दो विधेयक संसद में लंबित हैं. इन्हें पारित कराने के लिए किसानों ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर यह आंदोलन किया है.
यादव ने कहा कि पहली बार किसानों ने भी अपनी समस्या के समाधान का तरीका ख़ुद तैयार कर सरकार के समक्ष प्रस्तावित क़ानून के मसौदे के रूप में पेश किया है. उन्होंने कहा कि यह भी पहला अवसर है जब किसानों ने अपने झंडों को एक कर लिया है. इसलिये यह आंदोलन निर्णायक साबित होगा.
किसान यात्रा में शामिल वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने इस आंदोलन को निर्णायक बताते हुए कहा, ‘इस बार मज़दूर और किसान अकेला नहीं है. डॉक्टर, वकील, छात्र और पेशेवर पहली बार अपनी ड्यूटी छोड़कर किसानों के साथ आए हैं.’
उन्होंने कहा कि इस बार आंदोलनकारी दोनों प्रस्तावित विधेयकों को पारित करने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)