पूर्व केंद्रीय मंत्री और राउरकेला से विधायक दिलीप रॉय और वरिष्ठ नेता बिजॉय मोहपात्रा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को संयुक्त पत्र भेजते हुए कहा कि राज्य में पार्टी की दुखद स्थिति को लेकर बताने के निरंतर प्रयासों के बावजूद किसी वरिष्ठ पार्टी नेता ने विचार-विमर्श करने की ज़हमत की.
भुवनेश्वर: ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं दिलीप रॉय और बिजॉय मोहपात्रा ने शुक्रवार को पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया.
दोनों नेताओं ने इस बाबत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को संयुक्त पत्र भेजने के अलावा रॉय ने विधायक के पद से भी इस्तीफा दे दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं विधानसभा में राउरकेला का प्रतिनिधित्व कर रहे रॉय ने सदन की सदयस्ता से भी इस्तीफा दे दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार अमित शाह को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा कि पार्टी की ख़राब स्थिति को लगातार राज्य भाजपा द्वारा अनदेखा किया जा रहा है, और पार्टी में उनकी हैसियत बस ‘फर्नीचर जैसी’ है.
एक समय पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के मानस पुत्र माने जाने वाले रॉय ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार सुबह विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप अमात से मुलाकात की और सदन की सदस्यता से अपना इस्तीफा पत्र उन्हें सौंप दिया. अध्यक्ष ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है.
पत्र में उन्होंने यह भी लिखा है, ‘हमसे पार्टी में एक फर्नीचर सरीखा व्यवहार नहीं किया जा सकता जबकि बिना किसी आधार के लोग बड़ी-बड़ी बातें करके अपनी ‘नायक’ जैसी छवि पेश करें.’
भाजपा के स्थानीय नेता ने गोपनीयता की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि उनके ‘निराधार’ शब्द का इशारा केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद धर्मेंद्र प्रधान की ओर हो सकता है, जिन्हे आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है.
पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ के साथ महानदी विवाद, ब्राह्मणी नदी पर बनने वाले पुल के अधूरे वादे, राउरकेला में सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल और उड़िया युवाओं को नौकरी देने के बारे में पत्रों में लिखा है, ‘हमें यह बताते हुए खेद हो रहा है कि यहां पार्टी की दुखद स्थिति को लेकर आपको बताने के निरंतर प्रयासों के बावजूद न तो आपने और न ही किसी वरिष्ठ पार्टी नेता ने विचार-विमर्श करने, समीक्षा करने या सुधारात्मक कदम उठाने की जहमत की.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘हमारे द्वारा भले मन से दिए गए सुझावों को कुछ अहंकारी लोगों द्वारा धमकी की तरह प्रचारित किया गया और इन लोगो द्वारा हमारे खिलाफ साजिश करते हुए हमारे क्षेत्रों में एक अभियान तक शुरू किया गया.’
रॉय ने अभी अपने भविष्य के कदम का खुलासा नहीं किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने राउरकेला से 2019 ओडिशा का विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. ओडिशा में अगले साल उसी समय विधानसभा चुनाव होने हैं जब देश में आम चुनाव होंगे.
मोहपात्रा ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य का हित उनके लिए सर्वोपरि है और वह अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में कोई फैसला अगले पखवाड़े करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में उनके सुझावों और विचारों को अनदेखा किया जा रहा था.
इस घटना से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों नेता बीजू जनता दल (बीजद) में वापसी कर सकते हैं जिसके वे संस्थापक सदस्य हैं. मोहपात्रा को साल 2000 में बीजद से निष्कासित कर दिया गया था जबकि रॉय को दो साल बाद बाहर का रास्ता दिखाया गया था.
दोनों नेताओं के जाने की खबर भाजपा के लिए बुरी है जिसकी नजर राज्य में सत्ता हासिल करने पर है.
मोहपात्रा ने कहा कि राज्य में मौजूदा समय में राजनीतिक स्थिति अस्थिर है और वह रॉय के साथ चर्चा करने के बाद ही भविष्य के कदम के बारे में निर्णय लेंगे.
एक वरिष्ठ बीजद नेता ने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. पार्टी में इनको शामिल करने का फैसला मुख्यमंत्री और बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक लेंगे.
रॉय ने टि्वटर पर जारी एक बयान में कहा, ‘बहुत दुखी मन से मैंने राज्य विधानसभा के साथ-साथ भाजपा की सदस्यता को भी छोड़ने का फैसला किया है.’
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष बसंत पांडा ने कहा कि उनके चले जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं होगा. वहीं इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भाजपा उपाध्यक्ष समीर मोहंती ने कहा, ‘ओडिशा से नवीन पटनायक सरकार हटाने में हमें हर व्यक्ति की मदद मिलेगी, हमें ऐसी आशा है, भले ही वो उस गिलहरी जैसी ही क्यों न हो, जिसने राम-सेतु बनाने में मदद की थी. तो अगर एक गिलहरी भी जाने का निर्णय लेती है, तब भी हमें दुःख होगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)