राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में हो रहे भाजपा और कांग्रेस की सभाओं को लेकर लोगों का कहना है कि चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों हर भाषण में एक ही बात बोलते हैं, जो कि याद हो गए हैं.
जयपुर: राजस्थान में लगभग दो महीने से चुनाव प्रचार चल रहा है और लोगों को नेताओं के चुनावी भाषणों की कुछ बातें इस तरह याद हो गई हैं कि सभाओं में मौजूद जनता पहले ही भांप लेती है कि नेताजी आगे क्या बोलने वाले हैं.
चुनाव आयोग ने राजस्थान सहित पांच राज्यों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा छह अक्टूबर को की थी. इसमें से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मिज़ोरम में तो मतदान हो चुका है जबकि राजस्थान में प्रचार अभियान पांच दिसंबर की शाम तक चलेगा यानी क़रीब दो महीने तक राज्य चुनावी रंग में रंगा रहने वाला है.
इतने लंबे समय में बड़ी संख्या में जनसभाओं, रैलियों व रोडशो के बीच राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की बातें भी जनता को कंठस्थ हो गई हैं.
रैलियों में नेताओं के बोलने से पहले ही लोग भांप लेते हैं कि अब क्या बोला जाएगा. ‘नामदार-कामदार’, ‘रागदरबारी-राजदरबारी’, ‘चौकीदार चोर है’ एवं ‘आलिया मालिया जमालिया’ जैसे शब्द इनमें शामिल हैं.
चुनावी गतिविधियों में रुचि रखने वाले मनीष कुमार ने कहा कि इतना लंबा समय हो गया और नेता अपनी रैली में एक ही बात दोहराते हैं तो जनता को याद रहना स्वाभाविक है.
एक अन्य कार्यकर्ता के अनुसार, रैलियों, जनसभाओं के बाद नेताओं के भाषण अख़बारों में छपते हैं, टीवी व वॉट्सऐप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी रिपीट होते रहते हैं इसलिए उनकी कही बातें लोगों के ज़ेहन में बस जाती हैं.
देखने में आया है कि लगभग सभी नेता पिछले दो महीने से अपनी सभी सभाओं में प्राय: एक जैसी बात, एक जैसे नारे देते दिखाई देते हैं.
जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में कांग्रेस नेताओं तथा समर्थकों को ‘रागदरबारी’ और ‘राजदरबारी’ बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) को ‘नामदार’ और ख़ुद को ‘कामदार’ बताते हैं. वह राहुल और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिए ‘नामदार’ बनाम ‘कामदार’ का हवाला अपने भाषण में कई बार दे चुके हैं.
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए सबसे पहले सितंबर में राजस्थान में ही बोला था ‘चौकीदार चोर है’. उनकी हर सभा में यह जुमला कई बार गूंजता है.
राहुल के भाषण में राफेल, सीबीआई निदेशक विवाद का ज़िक्र बार-बार होता है. राहुल प्राय: अपने भाषण में कम से कम एक बार ‘देश का सबसे बड़ा घोटाला नोटबंदी’ और ‘गब्बर सिंह टैक्स-जीएसटी’ का ज़िक्र ज़रूर करते हैं.
इसी तरह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी हर जनसभा में ‘आलिया मालिया जमालिया’ का ज़िक्र करते हैं और इसके ठीक बाद कहते हैं कि भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुन कर देश से निकालेगी. हर सभा में वह कांग्रेस अध्यक्ष को ‘राहुल बाबा’ कहकर बुलाते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हर सभा में कांग्रेस को ‘बिन दूल्हे की बारात’ बताते हुए कहते हैं कि वह तो यह भी तय नहीं कर पाई कि उसका मुख्यमंत्री कौन होगा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भाषण हिंदुत्व पर केंद्रित होता है और वह कहते हैं, ‘कांग्रेस जिन आतंकवादियों को बिरयानी खिला रही थी, हम उन्हें गोली खिला रहे हैं.’
दूसरी ओर, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के निशाने पर सीधे-सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे रहती हैं. गहलोत अपनी हर सभा में कहते हैं, ‘महलों में रहने वाली राजे व उनकी सरकार के कुशासन का अंत तय है.’
वह आरोप दोहराते हैं कि राजे सरकार ने राज्य में बजरी माफिया, खनन माफिया और दारू माफिया को पनपने दिया. पायलट अपने संबोधन में एक बात ज़रूर कहते हैं, ‘प्रदेश की जनता मन बना चुकी है और राजे का बोरिया बिस्तर बंधना तय है.’
जहां तक रैलियों में जुटने वाली भीड़ का सवाल है तो सभी बड़े नेताओं, चाहे वह मोदी हों या राहुल गांधी, जनसैलाब उमड़ता दिखता है.