इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या का मुख्य आरोपी योगेश राज द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में सात लोगों को आरोपी बनाया गया है. इसमें से छह नाम फ़र्ज़ी निकले हैं.
बुलंदशहर: बीते सोमवार को उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के स्याना गांव में कथित गोकशी के बाद हिंसा फैल गई. इस दौरान भीड़ द्वारा पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह और 20 साल के सुमित नाम के एक शख्स की हत्या कर दी गई.
इस मामले को लेकर दो एफआईआर दर्ज की गई है. एक एफआईआर गोकशी के आरोप पर दर्ज हुई है और दूसरी एफआईआर हिंसा और इंस्पेक्टर की मौत के मामले में दर्ज की गई है.
इंस्पेक्टर की हत्या में मुख्य आरोपी बजरंग दल के नेता योगेश राज को मुख्य आरोपी बनाया गया है. यही शख्स गोकशी मामले का शिकायतकर्ता भी है.
गोकशी मामले में दर्ज एफआईआर में सात लोगों को आरोपी बनाया गया है. हालांकि एनडीटीवी की पड़ताल के मुताबिक सात लोगों में से छह नाम बोगस निकला है. सात में से दो लोग नाबालिग बच्चे हैं.
एफआईआर में लिखा गया है कि सातों लोग नयाबांस गांव के हैं. लेकिन एनडीटीवी की पड़ताल में पता चला है कि इनमें से कई लोग या तो बहुत पहले गांव छोड़कर चले गए हैं या फिर इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.
इस मामले को लेकर एक आरोपी शराफत को लेकर पड़ताल की गई तो पता चला कि उन्होंने दस साल पहले ही गांव छोड़ दिया था. शराफत अब फरीदाबाद में रहते हैं और कई साल से गांव नहीं आए हैं.
बाकी के तीन नाम सुदैफ, इलियास और परवेज इस गांव के हैं ही नहीं. इन लोगों का न तो इस गांव में घर है और न ही कोई जमीन. गांववालों से इनके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया वे इन नामों के बारे में नहीं जानते हैं.
सिर्फ एक नाम सर्फुद्दीन का गांव से ताल्लुक है. इस हिसाब से सात में से छह नाम फर्जी निकल गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इंस्पेक्टर की हत्या का मुख्य आरोपी योगेश राज ने एफआईआर में फर्जी नाम क्यों लिखवाया.
वहीं जिन दो नाबालिग बच्चों को आरोपी बनाया गया है, उनकी उम्र 11-12 साल बताई जा रही है. एनडीटीवी ने इनमें से एक के पिता से बात की है. उन्होंने कहा कि दोनों छोटे बच्चे हैं, वे गोकशी कैसे कर सकते हैं.
पिता ने बताया, ‘मंगलवार को पुलिस ने बच्चों को घंटों थाने में बैठाए रखा. जानबूझ कर माहौल खराब करने के लिए बच्चों को नाम डाला गया है. कुछ लोग जानबूझकर इलाके का माहौल खराब कर रहे हैं.’