उत्तर प्रदेश में भय, नफ़रत, सज़ा का डर ना होने का माहौल है: मानवाधिकार संगठन

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अस्मिता बसु ने कहा कि अगर सरकार सज़ा के डर से मुक्त होने की भावना को खत्म नहीं करती और दोषियों को सजा नहीं दिलाती तो राज्य में स्वघोषित गोरक्षक समूहों के हमले और बढ़ेंगे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. ​​(फोटो: पीटीआई)

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अस्मिता बसु ने कहा कि अगर सरकार सज़ा के डर से मुक्त होने की भावना को खत्म नहीं करती और दोषियों को सजा नहीं दिलाती तो राज्य में स्वघोषित गोरक्षक समूहों के हमले और बढ़ेंगे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था एमनेस्टी इंडिया ने बुलंदशहर में कथित गोकशी को लेकर हुई हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘भय, नफरत और सजा का डर ना होने की संस्कृति फैली हुई है.’

दादरी में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने के मामले की जांच कर चुके इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और 20 वर्षीय सुमित कुमार की सोमवार को गोली लगने से मौत हुई थी. उनकी मौत उस समय हुई जब कथित अवैध गोकशी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ ने एक पुलिस चौकी फूंक दी और पुलिसकर्मियों के साथ झड़प की.

बीते मंगलवार को एमनेस्टी इंडिया ने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में कथित गोरक्षा से जुड़ी हिंसा फैलाने वालों को सजा देने के प्रति जो निष्क्रियता रही है, यह हमला उसी का नतीजा है.

बयान में कहा गया है, ‘उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत के मामले में अभी तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. परेशान करने वाली सच्चाई यह है कि स्वघोषित गोरक्षक समूह कई मामलों में राज्य प्रशासन की शह पर संचालन करते हैं.’

मोहम्मद अखलाक की हत्या के मामले में सुबोध सिंह पहले जांच अधिकारी थे. गोमांस खाने के शक में 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में उग्र भीड़ ने अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.

एमनेस्टी इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अस्मिता बसु ने कहा कि उत्तर प्रदेश की दुखद सच्चाई यह है कि कोई भी, स्वघोषित गो रक्षकों की हिंसा से सुरक्षित नहीं है, ना तो पुलिस और ना ही हाशिये पर आए समुदाय या फिर कोई भी.

उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पुलिस इंस्पेक्टर की मौत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उत्तर प्रदेश में डर, नफरत और सजा के भय से मुक्त होने की संस्कृति व्याप्त है. अगर सरकार सजा के डर से मुक्त होने की भावना को खत्म नहीं करती और दोषियों को सजा नहीं दिलाती तो राज्य में स्वघोषित गो रक्षक समूहों के हमले और बढ़ेंगे.’

बासु ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन धार्मिक विभाजनों को बढ़ावा दिया है उससे आम लोगों में भेदभाव, कटुता और हिंसा का खतरा बढ़ गया है.

उन्होंने कहा कि इसे फौरन खत्म होना चाहिए और सरकार को सभी लोगों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए.