सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की गवाह संरक्षण योजना के मसौदे को मंजूरी दे दी और केंद्र, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि एक साल के भीतर हर ज़िले में गवाही देने के लिए अलग से परिसर बनाया जाए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र की गवाह संरक्षण योजना के मसौदे को मंजूरी दे दी और सभी राज्यों को इस संबंध में संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक इसका पालन करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की पीठ ने कहा कि उसने इस योजना में कुछ बदलाव किए हैं.
लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि एक साल के भीतर यानी कि साल 2019 के अंत तक सभी ज़िलों में ‘गवाही देने के लिए परिसर’ बनाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को लागू करने के लिए केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है.
आसाराम से जुड़े बलात्कार मामले के गवाहों के संरक्षण के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में गवाह संरक्षण योजना की बात सामने आई थी.
इससे पहले 19 नवंबर को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया था कि गवाह संरक्षण योजना के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है. अब तय प्रक्रिया के तहत उसे कानून का रूप दिया जाएगा, लेकिन उस वक्त तक इसका अनुपालन करने का निर्देश न्यायालय को सभी राज्यों को देना चाहिए.
इस मामले में न्याय-मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की मदद कर रहे वकील गौरव अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से चर्चा करने के बाद गवाह संरक्षण योजना का मसौदा तैयार किया है.
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) से परामर्श के बाद अंतिम रूप दिए गए गवाह संरक्षण योजना के मसौदे में गवाहों को खतरे के आकलन के आधार पर तीन श्रेणियों में रखा गया है.
केंद्र ने इस साल अप्रैल में न्यायालय को सूचित किया था कि उसने गवाह संरक्षण योजना का मसौदा तैयार किया है और इस पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राय जानने के लिए उनके पास भेजा गया है.
कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का जवाब मिलने के बाद इस योजना को अंतिम रूप दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गवाह संरक्षण योजना कम से कम संवेदनशील मामलों में तो लागू की जा सकती है और इसके लिए गृह मंत्रालय व्यापक योजना तैयार कर सकता है.
गवाह संरक्षण योजना, 2018 के मसौदे के अनुसार यह गवाहों को संरक्षण मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहला गंभीर प्रयास है. मसौदे में कहा गया है कि न्याय की आंख और कान होने वाले गवाह अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
इस योजना में गवाह की पहचान को सुरक्षित रखना और उसे नई पहचान देने सहित गवाहों के संरक्षण के लिए अनेक प्रावधान हैं.