पिछले पांच सालों में राजस्थान के विधायकों के वेतन-भत्तों पर 90.79 करोड़ रुपये ख़र्च किया गया है. वहीं पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन राशि लगभग तीन गुना बढ़ गया है.
इंदौर: राजस्थान विधानसभा चुनावों के सात दिसंबर को होने वाले मतदान से पहले सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि पिछले साढ़े पांच सालों में सूबे के 200 विधायकों के वेतन-भत्तों पर 90.79 करोड़ रुपये खर्च किये गए.
इसके अलावा इस अवधि में राज्य के पूर्व विधायकों की पेंशन की मद में सरकारी खजाने से 80.32 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बुधवार को बताया कि उन्हें जयपुर स्थित राजस्थान विधानसभा सचिवालय से सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली है.
राजस्थान विधानसभा सदस्यों के वेतन-भत्तों और पूर्व विधायकों की पेंशन के ये आंकड़े एक अप्रैल 2013 से 26 सितंबर 2018 तक की अवधि के हैं.
आरटीआई से मिली जानकारी से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2013-14 में राजस्थान के विधायकों के वेतन-भत्तों पर खर्च राशि 12.15 करोड़ रुपये के स्तर पर थी, जो वित्तीय वर्ष 2017-18 में डेढ़ गुना से भी ज्यादा बढ़कर 18.74 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.
बहरहाल, पांच वित्तीय वर्षों की इस अवधि में राजस्थान के पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन पर होने वाला सरकारी भुगतान लगभग तीन गुना बढ़ गया है.
राजस्थान में वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान पूर्व विधायकों की पेंशन पर खर्च रकम 7.67 करोड़ रुपये थी, जो वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 22.59 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.
बता दें कि आरटीआई के जरिए इस बात का खुलासा लगातार होता रहा है कि विधायकों और सांसदों के वेतन और पेंशन में लगातार इजाफा हो रहा है. नेताओं के वेतन पर आम जनता की भारी राशि को खर्च किया जा रहा है.
इससे पहले ख़बर आई थी कि पिछले साढ़े पांच सालों में मध्य प्रदेश के विधायकों के वेतन-भत्तों पर कुल 149 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में हर एक विधायक की कमाई सूबे की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय के मुक़ाबले क़रीब 18 गुना ज़्यादा थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)