ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद बुलंदशहर एसएसपी, स्याना क्षेत्राधिकारी और चिंगरावठी पुलिस चौकी के प्रभारी का तबादला कर दिया गया है. इस रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर सवाल उठाए गए हैं.
लखनऊ: बीते तीन दिसंबर को बुलंदशहर के स्याना इलाके में कथित गोकशी को लेकर उग्र भीड़ की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित कुमार नाम के युवक की मौत के बाद तीन पुलिस कर्मचारियों को हटा दिया गया है.
बुलंदशहर हिंसा को लेकर जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के कुछ ही घंटे में यह कार्रवाई की गई है.
प्रदेश सरकार ने बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कृष्ण बहादुर सिंह को हटा दिया है.
प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने बताया कि बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कृष्ण बहादुर सिंह को हटाकर उन्हें लखनऊ स्थित पुलिस महानिदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि सीतापुर के पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी अब बुलंदशहर के नए एसएसपी बनाए गए हैं.
सरकार ने बुलंदशहर में स्याना के पुलिस क्षेत्राधिकारी सत्य प्रकाश शर्मा और चिंगरावठी पुलिस चौकी के प्रभारी सुरेश कुमार का भी तबादला कर दिया है.
अपर पुलिस महानिदेशक (खुफिया) एसबी शिरोडकर ने सात दिसंबर की रात आला अधिकारियों को गोपनीय जांच रिपोर्ट सौंपी और समझा जाता है कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर ही ये तबादले किए गए.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच भी चल रही है.
सोमवार की घटना के छोटे से छोटे बिंदु और वीडियो फुटेज को ध्यान से खंगाला जा रहा है. दूसरी ओर सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए हैं.
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, एडीजी आईबी की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर में कथित गोकशी की खबर के बाद भारी विरोध शुरू हुआ था और उसी दौरान कुछ लोगों ने हिंसा भड़काने की साजिश रची.
स्थानीय पुलिस और प्रशासन की ओर से हुई देर की वजह से तनाव बढ़ता गया. यही नहीं, जिले के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर नहीं पहुंचे जिसके बाद हालात और बिगड़ गए.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वहीं 100 नंबर पर तैनात पुलिस भी सूचना मिलने के बाद देर से पहुंची. स्थानीय खुफिया भी किसी तरह की साजिश को भांप सकने में पूरी तरह से नाकाम रहा. इसके अलावा पर्याप्त पुलिस फोर्स की भी कमी थी.
पुलिस की ओर से गोकशी करने वालों के खिलाफ एफआईआर का आश्वासन दिया गया था. इसके बाद भीड़ नियंत्रण से बाहर हुई, जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी गई.
बुलंदशहर हिंसा एक हादसा है, लिंचिंग नहीं: योगी आदित्यनाथ
इस बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बुलंदशहर में हुई हिंसा दुर्घटना है, मॉब लिंचिंग नहीं.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कोई मॉब लिंचिंग की घटना नहीं हुई है. बुलंदशहर में जो घटना हुई, वह एक दुर्घटना है. कानून अपना काम कर रहा है… किसी को बख्शा नहीं जाएगा.’
मालूम हो कि गत तीन दिसंबर को बुलंदशहर के स्याना इलाके के चिंगरावठी क्षेत्र में कथित गोकशी के को लेकर उग्र भीड़ की हिंसा में थाना कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह तथा सुमित नामक एक अन्य युवक की मृत्यु हो गई थी.
पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह दादरी में हुए अख़लाक़ हत्या मामले में 28 सितंबर 2015 से नौ नवंबर 2015 तक जांच अधिकारी थे.
इस मामले में 27 नामज़द लोगों तथा 50-60 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है.बुलंदशहर हिंसा मामले और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या मामले में मुख्य आरोपी बजरंग दल के नेता योगेश राज को बनाया गया है, हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में योगेश राज ने ख़ुद को निर्दोष बताया है. वह इस समय फरार है.
मीडिया में आईं ख़बरों के परिप्रेक्ष्य में जब मामले में सेना के किसी जवान के कथित रूप से शामिल होने के बारे में सवाल किया गया तो पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) एसके भगत ने बताया कि मामले में जीतू फौजी भी आरोपी है.
योगेश के बाद बीते छह नवंबर को बुलंदशहर हिंसा में वांछित एक और अभियुक्त शिखर अग्रवाल का वीडियो सामने आया था. इसमें शिखर स्वयं को निर्दोष और हिंसा में मारे गए पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को भ्रष्ट क़रार दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)