चुनाव आयोग द्वारा मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के दौरान कालेधन की व्यापक पैमाने पर धरपकड़ हुई है. अवैध रकम के अलावा शराब, मादक द्रव्य और कीमती जेवरात बरामद किए गए हैं.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के दौरान कालेधन की व्यापक पैमाने पर हुई धरपकड़ के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बावजूद चुनाव में धनबल के उपयोग में, कमी आने के बजाय इजाफा ही हुआ है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन राज्यों में पिछले चुनाव की तुलना में जब्त की गई अवैध धनराशि में वृद्धि हुई है.
इससे पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत की उस आशंका को भी बल मिला है जिसमें उन्होंने नोटबंदी से चुनाव में कालेधन पर नकेल कसने के सरकार के दावे पर सवाल खड़े किए थे.
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते रिटायर हुए रावत ने भी कहा था कि नोटबंदी के बावजूद पांच राज्यों के चुनाव में कालेधन की बरामदगी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
चुनाव के दौरान अवैध रकम, शराब, मादक द्रव्य और कीमती जेवरात की धरपकड़ संबंधी चुनाव आयोग के आंकड़े दर्शाते हैं कि इन राज्यों में आचार संहिता लागू होने के बाद लगभग 168 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए.
शुक्रवार को पांच राज्यों में मतदान संपन्न होने के बाद आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जब्त किए गए 168 करोड़ रुपये में से अकेले तेलंगाना की हिस्सेदारी 115.19 करोड़ रुपये की रही. साल 2014 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में 195 करोड़ रुपये कालेधन के रूप में बरामद किए गए थे.
इससे काफी पीछे रहते हुए मध्य प्रदेश 30.93 करोड़ रुपये के साथ दूसरे और राजस्थान 12.85 करोड़ रुपये की बरामदगी के साथ तीसरे पायदान पर रहा. पिछले चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कालेधन, मादक द्रव्य और अवैध शराब सहित बरामद की गई अन्य सामग्री की कीमत 27 करोड़ रूपये थी.
इसी तरह राजस्थान में भी 2013 के चुनाव की तुलना में बरामद अवैध रकम में लगभग एक करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है.
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना में पैसा और शराब पानी की तरह बहाया गया. इस छोटे से नवगठित राज्य ने अवैध रूप से धनबल के इस्तेमाल के मामले में अन्य चारों राज्यों को काफी पीछे छोड़ दिया.
तेलंगाना में 115.19 करोड़ रुपये के कालेधन की बरामदगी के अलावा 12.26 करोड़ रुपये कीमत की 5.45 लाख लीटर शराब और 17.66 किग्रा सोना सहित 6.79 करोड़ रुपये कीमत की बेशकीमती धातुओं के आभूषण जब्त किए गए.
वहीं राजस्थान में चुनाव के दौरान धनबल के अलावा शराब और अन्य नशीले पदार्थों का सर्वाधिक इस्तेमाल हुआ. राज्य में चुनाव आयोग के निगरानी दलों ने सात दिसंबर तक 39.49 करोड़ रुपये की 6.04 लाख लीटर शराब जब्त की.
इतना ही नहीं, नशीले पदार्थों के मामले में भी राजस्थान में अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक 14.58 करोड़ रुपये कीमत के चरस, गांजा, अफीम आदि मादक द्रव्य (38572 किग्रा) पकड़े गए.
बता दें कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा था कि नोटबंदी की वजह से चुनाव में काले धन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
ओपी रावत ने कहा था, ‘नोटबंदी के बाद हमने चुनावों के दौरान भारी मात्रा में धन पकड़ा है. मौजूदा समय में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगभग 200 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं. यह दर्शाता है कि चुनावों के दौरान पैसा ऐसी जगहों से आ रहा है जहां पर ऐसे कदमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)