मुशीरुल हसन को विभाजन और दक्षिण एशिया में इस्लाम के इतिहास को लेकर किए गए उनके काम के लिए जाना जाता है. इसके लिए उन्हें पद्मश्री समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
नई दिल्ली: जाने-माने इतिहासकार और जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति मुशीरुल हसन का सोमवार सुबह निधन हो गया. वह तकरीबन 70 साल के थे और चार वर्ष पहले हुए एक सड़क हादसे के बाद सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे.
हसन को बीते रविवार रात राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. उन्होंने तड़के चार बजे अंतिम सांस ली.
उनके पूर्व सचिव जफर नवाज हाशमी ने बताया, ‘वह एक सड़क हादसे के बाद से बिस्तर पर ही थे. किडनी संबंधी समस्याओं के कारण उनका डायलिसिस किया जा रहा था.’
उन्होंने बताया, ‘सेहत संबंधी कुछ जटिलताओं की वजह से उन्हें आधी रात को अस्पताल ले जाया गया जहां सोमवार सुबह उनका निधन हो गया.’
परिवार के लोगों ने बताया कि उनका नमाज ए जनाजा एक बजे बाबुल इल्म में और दो बजे जामिया मस्जिद में किया गया.
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया, ‘उन्हें जामिया परिसर में बने कब्रिस्तान में दफनाया गया.’
उन्हें विभाजन और दक्षिण एशिया में इस्लाम के इतिहास को लेकर किए गए उनके काम के लिए जाना जाता है. अपने काम के लिए हसन ने 2007 में पद्मश्री और ऑर्ड्रे डेस पाल्म्स अकादमी समेत कई पुरस्कार जीते.
मुशीरुल हसन साल 2004 से 2009 तक जामिया मिलिया इस्लामिया में कुलपति रहे.
वह भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष और इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा, ‘प्रसिद्ध विद्वान और लेखक मुशीरुल हसन जी के निधन के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ. जामिया मिलिया इस्लामिया में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा.
Shocked to know about the sad demise of noted scholar and writer Mushir ul Hasan ji. His contribution to Jamia Milla Islamia will always be remembered
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 10, 2018
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हसन के निधन को अकादमिक क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया.
Passing away of Mushirul Hasan is a great loss not just to academia, but to all those who believe in standing up for what is right.
— Manish Sisodia (@msisodia) December 10, 2018
वहीं माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्विटर पर लिखा, ‘एक इतिहासकार, एक शिक्षक, एक कुलपति, एक पुरातात्विक: मुशीरुल हसन ने हमारी समेकित संस्कृति और शिक्षा के सभी अच्छे गुणों को समायोजित किया. उनका काम और उनकी किताबें हमें हमेशा जागरुक करती रहेंगी. इस शोक की घड़ी में हम प्रोफेसर जोया हसन और उनके परिवार के साथ हैं.’
A Historian, A Teacher, A Vice-Chancellor, An Archivist: Mushir ul Hasan blended all fine qualities of our syncretic culture and scholarship. His work and his books continue to shape our consciousness. Condolences to Prof Zoya Hasan & others in his family. https://t.co/wtBeAoKKut
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) December 10, 2018
जाने माने इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने लिखा, ‘यह बहुत दुखद ख़बर है. वो आधुनिक भारतीय इतिहास के सबसे शानदार इतिहासकारों में से एक थे. एक भयानक दुर्घटना के बाद पिछले कुछ वर्षों में उनकी सेहत में धीरे-धीरे गिरावट आई.’
Extremely sad news. One of the most prolific historians of modern Indian history. Saw him decline gradually over the past few years after the terrible accident. RIP Mushir bhai. https://t.co/C5Pex7R1Qc
— S lrfan Habib एस इरफान हबीब عرفان حبئب (@irfhabib) December 10, 2018
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)