सुरजीत भल्ला का इस्तीफ़ा ऐसे समय में आया है जब बीते 15 महीनों में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम समेत 3 अर्थशास्त्री सरकार का साथ छोड़ चुके हैं.
![Surjit Bhalla, a member of Prime Minister Narendra Modi's Economic Advisory Council, poses for a picture after an interview with Reuters in New Delhi, October 17, 2017. REUTERS/Adnan Abidi/Files](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2018/12/Surjit-Bhalla-Reuters.jpg)
नई दिल्ली: प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और स्तंभकार सुरजीत भल्ला ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
भल्ला ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा, ‘पीएमईएसी की पार्ट-टाइम सदस्यता से मैंने एक दिसंबर को इस्तीफा दे दिया.’ उन्होंने इसकी वजह सीएनएन आईबीएन चैनल से जुड़ना और किताब लिखना बताया है. उन्होंने यह भी कहा कि उनका इस्तीफ़ा बीते 1 दिसंबर से प्रभावी माना जाएगा.
Am in the TV studios CNN IBN ; as I explained in my 6.30 am tweet I resigned from the pmeac and the reasons were also given – consultancy with CNN IBN and work on a book about indian elections since 1952 and my resignation was effective Dec 1 when I joined CNN IBN
— Surjit Bhalla (@surjitbhalla) December 11, 2018
प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया है कि प्रधानमंत्री ने भल्ला का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. प्रवक्ता ने कहा, ‘अपने त्यागपत्र में उन्होंने कहा है कि वह किसी और संगठन में काम करने जा रहे हैं, इसलिए इस पद से इस्तीफा दे रहे हैं.’
भल्ला का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब बीते 15 महीनों में 3 अर्थशास्त्री सरकार का साथ छोड़ चुके हैं. सबसे पहले अगस्त 2017 में नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपना पद छोड़ा था, इसके बाद जून 2018 में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने इस्तीफ़ा दिया और 10 दिसंबर को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया था.
भल्ला द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के कंसल्टिंग एडिटर भी हैं और एक साप्ताहिक कॉलम लिखते हैं. वे रिज़र्व बैंक द्वारा बढ़ी हुई ब्याज दर और मुद्रास्फीति के उम्मीद अधिक आकलन को लेकर आलोचनात्मक रहे हैं.
1 दिसंबर को अपने कॉलम में उन्होंने नीति आयोग द्वारा जीडीपी पर बैक सीरीज डाटा जारी करने की भी आलोचना की थी. उन्होंने लिखा था, ‘बाकियों के साथ, मुझे भी ऐसा लगता है कि नीति आयोग द्वारा सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) के जीडीपी संबंधी डाटा जारी करने में इस तरह प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहना गलत है.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद एक स्वतंत्र निकाय होता है, जिसका काम भारत सरकार, विशेष तौर पर प्रधानमंत्री को आर्थिक मामलों पर परामर्श देना होता है.
वर्तमान आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन सितंबर 2017 में हुआ था और इसका प्रमुख नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय को बनाया गया था. इसके अन्य अंशकालिक सदस्यों में अर्थशास्त्री रथिन रॉय, आशिमा गोयल और शमिका रवि, रतन वाटाल शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)