वर्तमान में वित्त आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव और उर्वरक सचिव रह चुके हैं.
नई दिल्ली: सोमवार को उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियों को सामान्य बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी शक्तिकांत दास को भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर चुना है. 61 वर्षीय शक्तिकांत दास का कार्यकाल तीन साल का होगा.
दास वित्त सचिव रहे हैं और वर्तमान में 15वें वित्त आयोग के सदस्य हैं. पटेल के इस्तीफे के बाद कयासों में नए गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत दास का नाम सबसे आगे चल रहा था.
आरबीआई प्रमुख के पद पर पांच साल के बाद फिर से एक आईएएस अधिकारी (सेवानिवृत्त) नियुक्त किया गया है. इससे पहले रघुराम राजन, तीन साल और उर्जित पटेल दो साल इस पद पर रहे हैं. ये दोनों अर्थशास्त्री हैं.
पहले यह माना जा रहा था कि सरकार रिजर्व बैंक के भीतर से ही किसी को संस्थान का प्रमुख चुनेगी लेकिन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एक दिन के भीतर ही रिजर्व बैंक के गवर्नर के लिये दास को चुना
नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान दास ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी. वित्त सचिव एएन झा ने उनकी नियुक्ति पर कहा कि दास का राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार में व्यापक अनुभव रहा है.
26 फरवरी 1957 को जन्मे शक्तिकांत दास ने इतिहास में एमए किया है और तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह मई 2017 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग से सेवानिवृत हुये.
नोटबंदी के समय अर्थव्यवस्था में नये नोट पहुंचाने का काम उन्होंने बखूबी निभाया. नवंबर 2016 की रात अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने के बाद आर्थिक तंत्र की 86 प्रतिशत मुद्रा को एक झटके में वापस ले लिया गया. इससे आर्थिक गतिविधियों को संभालने का काम काफी अहम था.
वित्त मंत्रालय से सेवानिवृति के बाद दास को जी-20 में भारत का शेरपा बनाया गया. इसके साथ ही उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य भी बनाया गया.
उन्होंने भारत के आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव और उर्वरक सचिव के बतौर भी काम किया है. केंद्रीय आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, शक्तिकांत दास को भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों में से एक माना जाता था.
दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़े दास को केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राजग सरकार बनने के साथ ही वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का कार्यभार सौंपा गया. इसके बाद उन्हें आर्थिक मामले विभाग में स्थानांतरित किया गया
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के कामकाज में रिजर्व बैंक और मौद्रिक नीति की देखरेख भी आती है. रिजर्व बैंक गवर्नर का पद ज्यादातर नौकरशाहों के पास ही रहा है.
केंद्र की भाजपा सरकार ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को दूसरा कार्यकाल नहीं दिया. उनके जाने के बाद अर्थशास्त्री उर्जित पटेल को केंद्रीय बैंक का प्रमुख बनाया. लेकिन उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर का पद एक बार फिर से एक (सेवानिवृत्त) सरकारी अधिकारी के पास चला गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)