तमिलनाडु सरकार एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. राज्य सरकार ने प्रदूषण संबंधी चिंताओं पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद इस साल 28 मई को वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने का निर्देश दिया था.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खनन कंपनी वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को स्थायी तौर पर बंद करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को रद्द कर दिया. एनजीटी ने कहा है कि राज्य सरकार का फैसला बेदम और अनुचित है.
बता दें कि राज्य सरकार ने इस प्लांट को बंद करने का फैसला बीते 22 मई को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद दिया था. स्थानीय लोग प्रदूषण फैलाने के चलते कारखाने को बंद करने की मांग को लेकर 99 दिन से प्रदर्शन कर रहे थे. आंदोलन के 100वें दिन प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और पुलिस की गोलीबारी में 13 लोग मारे गए.
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) को तीन सप्ताह के भीतर कंपनी को खतरनाक तत्वों के निपटान के लिए स्वीकृति देने और अधिकृत करने के लिए ताजा आदेश जारी करने को कहा है.
आदेश में कहा गया है कि इस प्रकार की स्वीकृति कानून के तहत पर्यावरण संरक्षण की समुचित शर्तों के साथ दी जानी चाहिए.
अधिकरण ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद किए जाने के फैसले के खिलाफ कंपनी की अपील पर सुनवाई के बाद 10 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
स्टरलाइट मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पी. रामनाथ ने एनजीटी के निर्णय का स्वागत करते हुए शनिवार को एक बयान में कहा, ‘हमें इस बात की खुशी है कि तूतुकुडी (तूतीकोरिन) कस्बे में स्थिति पुन: सामान्य होगी और पिछली घटनाओं से प्रभावित लोगों की आजीविका का स्रोत बहला होगा.
उन्होंने कहा कि कंपनी निर्णय का अध्ययन करने के बाद कारखाने को चलाने के लिए एनजीटी के आदेश के अनुसार सभी आवश्यक प्रबंध करेगी.
रामनाथ ने कहा कि स्टरलाइट की तूतीकोरिन तांबा स्मेल्टर इकाई अपनी श्रेणी में सबसे अच्छी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है औरपरिचालन के लिए दुनिया में प्रचलित सबसे अच्छे तौर तरीके अपना रही थी. कंपनी आगे भी उसे जारी रखेगी.
एनजीटी ने कहा कि कंपनी इलाके के लोगों के कल्याण के लिए तीन साल के भीतर 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी. पीठ ने साथ ही सुझाव दिया कि कंपनी पर्यावरण के संरक्षण के लिए कदम उठाए. एनजीटी ने कहा है कि कंपनी एक विशेष वेबसाइट बना सकती है जिस पर लोग पर्यावरण से जुड़ी शिकायतों को दर्ज करा सकते हैं.
तमिलनाडु सरकार ने इस साल 28 मई को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को सील करने और स्थायी तौर पर बंद करने का निर्देश दिया था. कंपनी द्वारा प्रदूषण फैलाने और कई स्थानीय लोगों के प्रभावित होने की वजह से प्लांट को बंद कराने की मांग के साथ हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
22 मई को हुई हिंसा और पुलिस कार्रवाई में 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.
स्टरलाइट कॉपर प्लांट के पर्यावरण से जुड़े पहलुओं के अध्ययन के लिए एक स्वतंत्र समिति बनाई गई थी. मेघालय उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तरुण अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने रिपोर्ट में कहा कि कारखाना बंद करने का आदेश देने से पहले राज्य सरकार ने वेदांता को कोई नोटिस नहीं दिया था.
एनजीटी ने इस समिति को लेकर राज्य सरकार और तमिलनाडु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आपत्ति को निरर्थक करार दिया. राज्य सरकार और बोर्ड ने कहा था कि ऐसी समिति का गठन न्यायिक निर्णय के काम को किसी दूसरे को सौंपने के समान है.
तमिलनाडु सरकार एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. पलानीस्वामी ने कहा, ‘तमिलनाडु सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी.’
प्रदूषण संबंधी चिंताओं पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद राज्य सरकार ने 28 मई को तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयंत्र को स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने का आदेश दिया था. प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई में कई लोगों की मौत हो गई थी.
बता दें कि प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी को लेकर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल में रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)