महिलाएं युद्ध वाली भूमिका के लिए तैयार नही हैं, उन्हें बच्चे पालना होता है: सेना अध्यक्ष बिपिन रावत

सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि ज़्यादातर जवान ग्रामीण इलाकों से आते हैं और वे इस बात को स्वीकार नहीं कर सकेंगे कि एक महिला उनको लीड कर रही है.

जनरल बिपिन रावत (फोटो: पीटीआई)

सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि ज़्यादातर जवान ग्रामीण इलाकों से आते हैं और वे इस बात को स्वीकार नहीं कर सकेंगे कि एक महिला उनको लीड कर रही है.

जनरल बिपिन रावत (फोटो: पीटीआई)
जनरल बिपिन रावत (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने महिलाओं को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है. रावत ने न्यूज़ 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि महिलाएं युद्ध वाली भूमिकाओं (कॉम्बैट रोल्स) के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि उनके ऊपर बच्चे पालने की जिम्मेदारी होती है.

बिपिन रावत ने ये भी कहा कि ऐसी स्थिति में महिलाओं को कपड़े बदलने में असुविधा हो सकती है और वे अन्य जवानों पर तांक-झांक का आरोप लगा सकती हैं.

जनरल रावत ने कहा कि वे महिलाओं को युद्ध वाली भूमिकाएं दे सकते हैं लेकिन सेना इसे लेकर तैयार नहीं हो सकती है क्योंकि ज्यादातर जवान ग्रामीण इलाकों से आते हैं और वे इस बात को स्वीकार नहीं कर सकेंगे कि एक महिला उनको लीड कर रही है.

बिपिन रावत ने इस मामले में मातृत्व अवकाश (मैटर्निटी लीव) की भी बात की और कहा कि अगर कोई महिला युद्ध वाली भूमिका में है तो उसे मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता है क्योंकि छह महीने तक वो अपनी यूनिट छोड़कर नहीं जा सकती है.

उन्होंने कहा कि मातृत्व अवकाश पर आपत्ति खड़ा करने पर विवाद हो सकता है. बिपिन रावत ने कहा, ‘क्या मैं उन पर ये प्रतिबंध लगा सकता हूं कि युद्ध वाली भूमिका के दौरान उन्हें मातृत्व अवकाश नहीं दिया जाएगा? अगर मैं ऐसा कहता हूं, तो हंगामा खड़ा हो जाएगा.’

सेना अध्यक्ष बिपिन रावत इन बयानों को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई. सोशल मीडिया पर बिपिन रावत को उनके बयानों को लेकर काफी ट्रोल किया गया.

बता दें कि इस समय लगभग 3,700 महिलाएं लघु सेवा आयोग पर सेना में काम कर रही हैं. 

अन्य देशों के सेनाओं में युद्ध की भूमिका में महिलाओं को देखना आम बात है, हालांकि भारत ने उन्हें अभी तक फ्रंटलाइन इकाइयों जैसे कि पैदल सेना (इंफैन्ट्री) या बख्तरबंद कोर में शामिल नहीं किया गया है.

महिलाएं सेना में अन्य पदों जैसे कि इंजीनियर, साथ ही अन्य अप्रत्यक्ष युद्ध वाली भूमिकाएं, जैसे सशस्त्र समुद्री गश्ती विमान पर पर्यवेक्षकों और सामरिक ऑपरेटर की भूमिका निभाती हैं. हालांकि अभी इस बात को लेकर बहस जारी है कि किस तरह से महिला सैनिकों को युद्ध वाली भूमिकाओं में शामिल किया जाएगा.

इस महीने की शुरुआत में, भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा था कि उनकी सेना ने जहाजों पर महिला नाविकों को शामिल करने के तरीकों की जांच करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है.