राजस्थान: अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने उप मुख्यमंत्री

अशोक गहलोत 1998 में पहली बार और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. सचिन पायलट लोकसभा सदस्य और मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

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Jaipur: Rajasthan Governor Kalyan Singh shakes hands with newly sworn-in Chief Minister Ashok Gehlot as Deputy Chief Minister Sachin Pilot looks on, during the swearing-in-ceremony of Gehlot's government, in Jaipur, Monday, Dec. 17, 2018. (PTI Photo) (PTI12_17_2018_000128B)
Jaipur: Rajasthan Governor Kalyan Singh shakes hands with newly sworn-in Chief Minister Ashok Gehlot as Deputy Chief Minister Sachin Pilot looks on, during the swearing-in-ceremony of Gehlot's government, in Jaipur, Monday, Dec. 17, 2018. (PTI Photo) (PTI12_17_2018_000128B)

अशोक गहलोत 1998 में पहली बार और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. सचिन पायलट लोकसभा सदस्य और मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

Jaipur: Rajasthan Governor Kalyan Singh shakes hands with newly sworn-in Chief Minister Ashok Gehlot as Deputy Chief Minister Sachin Pilot looks on, during the swearing-in-ceremony of Gehlot's government, in Jaipur, Monday, Dec. 17, 2018. (PTI Photo) (PTI12_17_2018_000128B)
राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्यपाल कल्याण सिंह से हाथ मिलाते अशोक गहलोत, साथ में उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट. (फोटो: पीटीआई)

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में जीत के बाद कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. गहलोत ने सोमवार को जयपुर के अल्बर्ट हॉल में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. इसके साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री बने.

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने गहलोत और पायलट को शपथ दिलायी. इस दौरान मंच पर कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और विपक्षी दल के लोग मौजूद थे.

बता दें कि अशोक गहलोत 1998 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद 2008 में एक बार फिर उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कमाल संभाली. ये तीसरा मौका है जब गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं.

राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं. गहलोत से पहले भैरो सिंह शेखावत और हरिदेव जोशी तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे. हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक चार बार इस पद पर रहे. इंदिरा गांधी के समय से राजनीति में सक्रिय गहलोत केंद्र में मंत्री भी रहे हैं.

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई अहम पदों पर रह चुके गहलोत तीन बार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं. गहलोत ने राजनीति के अलावा 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविरों में काम किया और कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहे.

वहीं सचिन पायलट इससे पहले लोकसभा सदस्य और मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेता दिवगंत राजेश पायलट के बेटे हैं. इंदिरा गांधी के समय से राजनीति में सक्रिय गहलोत केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. पायलट फिलहाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं.

राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर लंबी खींचतान हुई. गहलोत और पायलट दोनों इस पद की दौड़ में शामिल थे. मैराथन बैठकों और गहन मंथन के बाद 14 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गहलोत को मुख्यमंत्री और पायलट को उप मुख्यमंत्री नामित करने का फैसला किया.

गहलोत और पायलट के शपथ ग्रहण में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी पहुंची. इसके अलावा विपक्षी दलों की एकजुटता भी देखने को मिली.

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के अलावा तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी शामिल हुए.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, भूपेंद्र हुड्डा, सिद्धरमैया, आनंद शर्मा, तरुण गोगोई, नवजोत सिंह सिद्धू, अविनाश पांडे सहित कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेतागण भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे. शपथ ग्रहण समारोह में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुईं.

शपथ ग्रहण में दिखी विपक्ष की एकजुटता

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण समारोह के दौरान यह मंच एक अन्य बड़े राजनीतिक दृश्य का गवाह बना और वह है विपक्ष की एकजुटता.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल यहां विपक्षी एकजुटता की धुरी बनते नजर आए. वहीं दूसरे विपक्षी दलों के आला नेताओं की शिरकत ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ व्यापक गठबंधन से जुड़ी कांग्रेस की उम्मीदों को पर लगाने का काम किया.

शपथ ग्रहण में राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी शामिल हुए.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, भूपेंद्र हुड्डा, सिद्धरमैया, आनंद शर्मा, तरुण गोगोई, नवजोत सिंह सिद्धू, अविनाश पांडे सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे.

बीते मई महीने में कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के बाद यह दूसरा मौका था जब विपक्षी दलों के नेता इस तरह एक मंच पर नजर आए.

विपक्षी एकजुटता का यह नजारा उस वक्त दिख रहा है जब तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी राजनीतिक हैसियत की लिहाज से पहले की तुलना में खुद को बहुत बेहतर स्थिति में महसूस कर रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन तीनों राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी एकजुटता के साथ राहुल गांधी के कद में इजाफा साफ तौर पर दिख रहा है. वैसे, इसकी बानगी शनिवार को तमिलनाडु में देखने को मिली जब द्रमुक नेता स्टालिन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की पैरवी की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)