अकाली दल ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की मांग की. अकाली दल ने कहा है कि अगर कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया तो उसे सिख समाज का गुस्सा झेलना पड़ेगा.
भोपाल/नई दिल्ली: कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने सोमवार दोपहर मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें भोपाल के जम्बूरी मैदान में एक भव्य समारोह में शपथ दिलाई.
कमलनाथ ने हिंदी में शपथ ली और अकेले शपथ ग्रहण किया. उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी. शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंच पर आते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारे लगाए.
शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित संप्रग के कई दिग्गज नेता मौजूद थे, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, नेशनल कांफ्रेस के नेता फ़ारूख़ अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी शामिल हैं.
कार्यक्रम में बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी आना था लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों नहीं आ सके.
इस भव्य समारोह से पहले मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना हुई. कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन वहां से रवाना हो गईं.
शपथ ग्रहण समारोह में सोमवार की सुबह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अशोक गहलोत, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख राज बब्बर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, राजीव शुक्ला, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, मध्य प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वियज सिंह, वरिष्ठ नेता अजय सिंह, और सुरेश पचौरी सहित अनेक प्रमुख नेता, साधु संत और सभी धर्मो के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर भी मौजूद थे.
शपथ ग्रहण से पहले मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक साथ हाथ उठाकर जनता का अभिवादन किया.
वर्ष 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यहां प्रमुख विपक्षी नेताओं का इकठ्ठा होना महागठबंधन बनने की संभावना की दिशा में एक अहम संकेत माना जा रहा है.
जम्बूरी मैदान में शपथ ग्रहण का भव्य समारोह आयोजित करने की पिछले तीन दिन से तैयारियां की जा रही थीं. मालूम हो कि कमलनाथ के पहले भाजपा के शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी मैदान पर तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा के सभी अहम नेताओं की बड़ी सभाएं भी इसी मैदान पर होती रही हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को मतदान हुआ था और 11 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं. वह बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना रही है. उसे फिलहाल कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं, भाजपा को 109 सीटें मिली हैं.
कमलनाथ को इंदिरा मानती थीं अपना ‘तीसरा बेटा’
मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बने कमलनाथ को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपना ‘तीसरा बेटा’ मानती थीं. कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए गांधी-नेहरू परिवार की तीन पीढ़ियों… इंदिरा गांधी, राजीव गांधी एवं राहुल गांधी के साथ काम किया है.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बार उन्हें अपना ‘तीसरा बेटा’ कहा था, जब उन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुक़ाबले में उनकी मदद की थी. कमलनाथ का इंदिरा गांधी से कितना गहरा नाता था, इसकी तस्दीक उनका 2017 का एक ट्वीट भी करता है. इसमें उन्होंने इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें ‘मां’ कहा था.
72 वर्षीय कमलनाथ को 39 साल बाद अब इंदिरा के पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नई ज़िम्मेदारी सौंपी है. पंद्रह साल बाद कांग्रेस राज्य में सत्तासीन हुई है.
जनता के बीच ‘मामा’ के रूप में छवि बना चुके और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार को लगातार चौथी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए कमलनाथ ने उन्हें कड़ी टक्कर दी.
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कमलनाथ का दावा चुनौतियों से भरा रहा. ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके समानांतर खड़े थे. आख़िरकार अनुभव के आधार पर कमलनाथ को मुख्यमंत्री चुना गया. इसमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया.
सिंधिया के साथ कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस की किस्मत फिर से पलटने का काम शुरू किया था. राज्य में पार्टी 2003 से ही सत्ता से बाहर थी.
कमलनाथ का एक वीडियो वायरल होने पर भाजपा ने उन पर हमला बोला था. इस वीडियो में वह कांग्रेस की जीत के लिए मौलवियों से राज्य के मुस्लिम बहुल इलाके में 90 प्रतिशत वोट सुनिश्चित करने को कहते हुए नज़र आए थे.
बृहस्पतिवार की रात को कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की बैठक में औपचारिक रूप से अपना नेता चुना गया था.
छिंदवाड़ा के पत्रकार सुनील श्रीवास्तव ने इंदिरा गांधी की चुनावी सभा कवर की थी. उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं. इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं, कृपया उन्हें वोट दीजिए.
पूर्व ग्वालियर राजघराने के वंशज एवं पार्टी के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को अनदेखा कर राहुल गांधी ने इस साल 26 अप्रैल को अरुण यादव की जगह कमलनाथ को मध्य प्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था.
कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक साथ ले आए, जिसके चलते मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी में एकजुटता दिखी और कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी.
कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है. देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे कमलनाथ ने राजनीति में आने से पहले सेंट ज़ेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया.
वह वर्ष 1980 में पहली बार मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद बने और नौ बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया.
कमलनाथ की छवि वैसे तो काफी साफ-सुथरे नेता की है लेकिन हवाला कांड में नाम आने की वजह से वह 1996 में आम चुनाव नहीं लड़ पाए थे. तब पार्टी ने उनकी जगह उनकी पत्नी अलका नाथ को छिंदवाड़ा का टिकट दिया था जो भारी मतों से विजयी हुई थीं. जब एक साल बाद वह इस कांड में बरी हुए थे तो उनकी पत्नी ने छिंदवाड़ा की सीट से इस्तीफा दे दिया और कमलनाथ ने वापस वहां से चुनाव लड़ा लेकिन वह भाजपा के तत्कालीन दिग्गज सुंदरलाल पटवा से हार गए थे.
उनका नाम साल 1984 के सिख विरोधी दंगों में भी उछला था, लेकिन कोई भी अपराध उन पर सिद्ध नहीं हो पाया.
वह तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में वर्ष 1991 में पहली बार पर्यावरण एवं वन मंत्री बने थे. इसके बाद राव के उसी कार्यकाल में वह वर्ष 1995-1996 में केंद्रीय राज्य मंत्री वस्त्र (स्वतंत्र प्रभार) रहे.
बाद में वह डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में वर्ष 2004 से 2009 तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे, जबकि मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में वर्ष 2009 से वर्ष 2011 के बीच वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री बने. बाद में 2011 से 2014 तक उन्होंने शहरी विकास मंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली.
वह वर्ष 2001 से वर्ष 2004 तक अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव भी रहे.
कमलनाथ के परिवार में उनकी पत्नी अलका नाथ एवं दो बेटे नकुल नाथ एवं बाकुल नाथ हैं. राजनीति के अलावा कमलनाथ को बिज़नेस टायकून भी कहा जाता है. उनकी 23 कंपनियां हैं, जिन्हें उनके दोनों बेटे चलाते हैं. कमलनाथ इनमें से किसी भी कंपनी के डायरेक्टर नहीं हैं.
कांग्रेस कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाए: अकाली दल
अकाली दल ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहरए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है तथा कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के कांग्रेस के फैसले को सिख विरोधी क़रार दिया है.
अकाली दल के लोकसभा सदस्य प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने सोमवार को उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘कांग्रेस सिख समाज को यह जवाब दे कि कमलनाथ को कैसे मुख्यमंत्री बना दिया गया जबकि उनके साथी को सिख दंगा मामले में उम्रकैद की सज़ा सुनाई जा रही है. मैं समझता हूं कि अगर कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया तो उसे सिख समाज का गुस्सा झेलना पड़ेगा.’
संसद भवन परिसर में चंदूमाजरा ने कहा कि वह अकाली दल की ओर से, सज्जन कुमार पर उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं. हालांकि यह फैसला ‘देर आए दुरुस्त आए’ है.
उन्होंने सिख दंगा मामले पर फैसले में देरी के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराते हुये कहा, ‘भले ही कांग्रेस ने सत्ता शक्ति से इस सच को दबा कर रखा हो, लेकिन आख़िर में जीत सच की ही होती है.’
चंदूमाजरा ने सिख दंगा मामले की अदालती प्रक्रिया में तेजी आने का श्रेय मोदी सरकार को देते हुये कहा कि सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल की सिफारिश पर, बंद कर दिए गए कुछ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई फिर से शुरू होने के कारण इस मामले में दंगा पीड़ितों को न्याय मिल पाना मुमकिन हुआ है.
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में हत्या की साज़िश रचने का दोषी ठहराते हुए उम्रक़ैद की सजा सुनाई. अदालत ने कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भाव के ख़िलाफ़ कृत्य करने का दोषी ठहराया.
लोकसभा में अकाली दल और भाजपा ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर उठाए सवाल
लोकसभा में अकाली दल के एक सदस्य ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के संबंध में कमलनाथ का उल्लेख करते हुए उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के कांग्रेस के फैसले को सिख विरोधी क़रार दिया है.
शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि कांग्रेस सिख समाज को यह जवाब दे कि कमलनाथ को कैसे मुख्यमंत्री बना दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने इतिहास से सबक नहीं लिया है.’
भाजपा के प्रह्लाद पटेल ने सिख विरोधी दंगा मामले में उच्च न्यायालय के फैसले का ज़िक्र किया. उन्होंने कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने पर भी सवाल उठाया .
शून्यकाल के दौरान लोकसभा में भाजपा सदस्य 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सजा सुनाये जाने के मुद्दे को भी उठा रहे थे. भाजपा सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर ‘सिखों के हत्यारे को सज़ा दो, 1984 के गुनहगारों को सज़ा दो’ के नारे लगा रहे थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)