फेसबुक ने यूजर्स की निजी जानकारी सहमति के बिना कंपनियों से साझा की: रिपोर्ट

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में फेसबुक के आंतरिक दस्तावेज़ों और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से कहा गया है कि कंपनी ने नेटफ्लिक्स, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, स्पॉटिफाई और याहू जैसी निजी कंपनियों को यूजर्स के निजी संदेश और उनके दोस्तों की संपर्क जानकारियां पढ़ने की अनुमति दी है.

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में फेसबुक के आंतरिक दस्तावेज़ों और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से कहा गया है कि कंपनी ने नेटफ्लिक्स, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, स्पॉटिफाई और याहू जैसी निजी कंपनियों को यूजर्स के निजी संदेश और उनके दोस्तों की संपर्क जानकारियां पढ़ने की अनुमति दी है.

Mark Zukerberg Reuters
फेसबुक सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग. (फोटो: रॉयटर्स)

न्यूयॉर्क: सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के दुनिया प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन इत्यादि के साथ यूजर्स की निजी जानकारियां साझा करने की हैं. कंपनी से लीक हुए अंदरूनी दस्तावेजों के अनुसार फेसबुक ने इन कंपनियों को यूजर्स के निजी संदेश और उसके दोस्तों की संपर्क जानकारियां तक पढ़ने की अनुमति दी है.

न्यूयॉर्क टाइम्स में मंगलवार को प्रकाशित खबर के अनुसार फेसबुक ने नेटफ्लिक्स और स्पॉटिफाई (म्यूजिक ऐप) जैसी कंपनियों को यूजर्स के निजी संदेश पढ़ने की अनुमति दी.

वहीं माइक्रोसॉफ्ट के सर्च इंजन ‘बिंग’ को बिना यूजर्स की अनुमति के उनके दोस्तों के नाम देखने और अमेजन को दोस्तों के नाम के साथ-साथ उनकी संपर्क जानकारी तक पहुंच बनाने की अनुमति दी.

साथ ही फेसबुक ने याहू को दोस्तों की न्यूज़ फीड देखने दी, जबकि फेसबुक ने कहा था कि वह इस तरह की शेयरिंग सालों पहले ही बंद कर चुका है.

फेसबुक के लोगों की निजता से खिलवाड़ करने की खबरें लगातार मीडिया में छायी हुई हैं.

इससे पहले मार्च में खबर आयी थी कि ब्रिटेन की राजनीतिक परामर्श कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के 8.7 करोड़ यूजर्स की निजी जानकारी का गलत तरीके से इस्तेमाल किया और अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने में भूमिका निभायी.

इसके चलते फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग, अमेरिकी संसद के समक्ष पेश भी हो चुके हैं. इसके बाद जुकरबर्ग ने संसद को आश्वस्त किया था कि फेसबुक द्वारा साझा की जा रही जानकारी पर पूरी तरह से यूजर्स का नियंत्रण है.

हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का कहना है कि इन सब के बावजूद दस्तावेज और फेसबुक और इसके कॉरपोरेट साझीदारों के 50 पूर्व कर्मचारियों के हवाले से पता चलता है कि फेसबुक द्वारा कुछ कंपनियों को डेटा एक्सेस दे रखा है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल कंपनी एप्पल उन फेसबुक यूजर्स के कॉन्टैक्ट नंबर और अन्य जानकारियां देख सकती थी, जिन्होंने शेयरिंग बंद करने के लिए अपने अकाउंट की सेटिंग बदली थी.

इस बीच अमेरिका के 32 संगठनों ने सीईओ मार्क जकरबर्ग और सीओओ शेरिल सैंडबर्ग को फेसबुक बोर्ड से हटाने की मांग की है.

मालूम हो कि  फेसबुक ने 2012 में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) के साथ समझौता किया था, जिसके मुताबिक वह यूजर्स की सहमति के बिना उसका डेटा साझा नहीं कर सकती.

दैनिक भास्कर की खबर फेसबुक ने कहा है कि नेटफ्लिक्स और स्पॉटिफाई समेत सभी कंपनियों को यूजर्स का डेटा उनकी सहमति से ही मिला है, इसलिए यह एफटीसी के साथ समझौते का उल्लंघन नहीं है.

बीते जून में भी खबर आयी थी कि फेसबुक ने चीनी मोबाइल कंपनी हुवेई समेत कम से कम चार अन्य चीनी मोबाइल कंपनियों के साथ डेटा साझा समझौते किए हैं. उल्लेखनीय है कि चीनी मोबाइल कंपनी हुवेई को अमेरिका सुरक्षा एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, फेसबुक ने कहा कि चीनी कंपनियों के साथ समझौता उन्हें (कंपनियों) दोनों उपकरणों के उपयोगकर्ताओं और उनके दोस्तों के धार्मिक और राजनीतिक झुकाव, काम एवं शैक्षिक जानकारी तथा रिलेशनशिप स्टेट्स सहित विस्तृत जानकारी तक पहुंचने की अनुमति देता है. इस तरह की अनुमति की पेशकश ब्लैकबेरी को भी की गई है.

उस समय फेसबुक ने इस बारे में कहा था कि ये समझौते 2010 से पुराने हैं.

तब न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा था कि ये सौदे फेसबुक पर और अधिक मोबाइल उपयोगकर्ताओं को बढ़ाना देने के प्रयासों का हिस्सा है. इन समझौतों ने उपकरण निर्माताओं को कुछ फेसबुक फीचर्स जैसे एड्रेस बुक, लाइक  बटन और स्टेट्स अपडेट्स की पेशकश करने की इजाजत दी.

तब इस बारे में भारत सरकार ने भी फेसबुक से स्पष्टीकरण मांगा था. ज्ञात हो कि दुनिया भर में फेसबुक के करीब 227 करोड़ यूजर्स हैं. इनमें 10% यानी 22 करोड़ भारत में हैं.

निजी डेटा चोरी मामले में फेसबुक के खिलाफ मुकदमा

डेटा चोरी विवाद के बीच अमेरिका के शीर्ष कानूनी अधिकारी ने फेसबुक के खिलाफ डेटा चोरी के मामले में मुकदमा दायर किया है.

फेसबुक पर 2016 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के दौरान कैंब्रिज एनालिटिका को निजी डेटा मुहैया कराने के आरोप लगे थे, जिसे उसने कबूल कर लिया था.

कोलंबिया के अटॉर्नी जनरल कार्ल रैसीन ने एक बयान में कहा, ‘फेसबुक अपने उपभोक्ताओं की निजता की रक्षा करने में नाकाम रहा है और उसने यह बताने में भी उपभोक्ताओं को धोखा दिया है कि कौन उनके डेटा तक पहुंचा और उसका कैसे इस्तेमाल किया गया.’

मुकदमे में मांग की गई है कि फेसबुक यह सुनिश्चित करे कि वह अपने उपभोक्ताओं की निजता को नियंत्रित रखने के लिये प्रोटोकॉल और संरक्षण पर ध्यान देगा. साथ ही उपभोक्ताओं को अपनी निजता से जुड़ी सेटिंग्स को नियंत्रित रखने की प्रक्रिया को आसान बनाने के अलावा क्षतिपूर्ति भी करेगा.

हालांकि फेसबुक की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. फेसबुक ने कबूल किया था कि कैंब्रिज एनालिटिका ने उसके 8 करोड़ 70 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं का डेटा चुराया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)